व्यापक नई यूरिया नीति-2015 के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की स्वीकृति

May 14, 2015, 16:54 IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में 13 मई 2015 को अगले चार वित्तीय वर्षों के लिए यूरिया नीति-2015 को मंजूरी प्रदान की गयी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में 13 मई 2015 को अगले चार वित्तीय वर्षों के लिए यूरिया नीति-2015 को मंजूरी प्रदान की गयी. इस नीति के लागू होने पर स्वदेशी यूरिया उत्पादन तथा यूरिया इकाइयों में ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा दिया जायेगा.

इससे घरेलू क्षेत्र की 30 यूरिया उत्पादन इकाइयों को अधिक ऊर्जा कुशल बनने में सहायता मिलेगी. साथ ही इससे किसानों को अधिकतम खुदरा मूल्य पर यूरिया की समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करायी जाएगी.


इस नीति से आगामी चार वर्षों में, उर्जा खपत के नये मानदंडों को अपनाने तथा आयात प्रतिस्थापन से 2618 करोड़ रूपये की सब्सिडी की प्रत्यक्ष बचत होगी तथा 2211 करोड़ रूपये की अप्रत्यक्ष बचत होगी. साथ ही इससे हर साल 20 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त उत्पादन होने का अनुमान भी है.

इससे पहले सरकार ने 26 लाख टन का अतिरिक्त उत्पादन करने के लिए बिहार में बरौनी तथा उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में बंद यूरिया इकाइयों को पुनर्जीवित करने का फैसला किया था. तेलंगाना में बंद पड़ी रामागुंडम और ओडिशा में बंद पड़ी तालचेर यूरिया इकाई के पुनरुद्धार के लिए विभिन्न हितधारकों के बीच संयुक्त उद्यम समझौतों पर दिसंबर, 2014 और जनवरी, 2015 में हस्ताक्षर किए गए. इन दोनो इकाईयों के शुरू होने से घरेलू उत्पादन में 26 लाख टन की वृद्धि होगी.


यूरिया नीति-2015 की विशेषताएं

भारत में प्रतिवर्ष 310 लाख मीट्रिक टन यूरिया इस्तेमाल किया जाता है जबकि लगभग 80 लाख मीट्रिक टन यूरिया आयात किया जाता है.

पी एवं के श्रेणियों की खादों को परिवहन योजना से मुक्त बना दिया गया है ताकि देश में किसी भी जगह किसी भी कंपनी की खाद मिल सके. इससे किसी विशेष क्षेत्र में किसी एक कंपनी के एकाधिकार को कम किया जा सकेगा.

खाद ढोने के लिए रेल भाड़े में दी जाने वाली सब्सिडी को एकमुश्त आधार पर देना तय किया गया है ताकि कंपनियों को परिवहन लागत में किफायत हो.

सरकार, देश के किसी भी हिस्से में जहां उर्वरकों की कमी हो रही हो, उर्वरकों की आपूर्ति के लिए खाद आपूर्तिकर्ताओं को सरकारी उपकरणों के जरिए निर्देशित करने के लिए स्वतंत्र होगी.

उर्वरक मिलने के छह महीने के अंदर संबंधित राज्य सरकारों को उर्वरक की गुणवत्ता का प्रमाण पत्र देना होगा. यदि गुणवत्ता सही नहीं पाई गयी तो आपूर्तिकर्ता को सब्सिडी का भुगतान नहीं किया जायेगा.

 

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Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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