श्रीलंका की संसद ने 29 अप्रैल 2015 को राष्ट्रपति की शक्तियों में कटौती करने वाले संशोधन विधेयक को अनुमति प्रदान कर दी .
यह संविधान का 19वां(19ए) संशोधन है. श्रीलंका की संसद के 225 सदस्यीय में से 215 सदस्यों ने इस प्रस्ताव के पक्ष में वोट डाला और एक ने विपक्ष में वोट किया जबकी एक सदस्य ने मतदान से दूरी बरती, जबकि सात सदस्य अनुपस्थित रहे.
विधेयक के अनुसार –
• संशोधन के तहत राष्ट्रपति की संसद को भंग करने की शक्ति को नियंत्रित किया गया है. अब जब तक संसद पांच वर्ष की निर्धारित अवधि में से साढ़े चार वर्ष पूरे नहीं कर लेती तो उसे भंग नहीं किया जा सकता है जबकि पहले राष्ट्रपति केवल एक साल बाद ही संसद को भंग कर सकते थे.
• राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेने की सीमा फिर से लागू हो गई है. राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने अपने कार्यकाल में दो कार्यकाल की समय सीम को खत्म कर दिया था और वह स्वयं तीसरी बार चुनाव में खड़े हुए थे. जिसमे उन्हें मैत्रीपाल सिरिसेना से हार का सामना करना पड़ा था.
• राष्ट्रपति के कार्यकाल को 6 वर्ष से घटा कर पुनः 5 वर्ष कर दिया गया है.
पृष्ठभूमि-
• 19वां संशोधन राष्ट्रपति के रूप में अपने एक दशक लंबे कार्यकाल के दौरान राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे द्वारा प्रयोग की गई शक्तियों में परिवर्तन लाएगा.
• वर्तमान राष्ट्रपति मैत्रीपाल श्रीसेन ने चुनाव अभियान के दौरान राष्ट्रपति की अत्यधिक शक्तियों में कटौती करने का वादा किया था.
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