पश्चिमी एशियाई राष्ट्र सीरिया में गृह युद्ध को समाप्त करने हेतु दूसरे दौर की जेनेवा-2 शांति वार्ता में भारत प्रथम बार वार्ताकार बना. इस वार्ता में सीरिया के सत्तापक्ष, लड़ाकू विद्रोही एवं विश्व के समस्त शक्तिशाली देश 22 जनवरी 2014 को स्विट्जरलैंड के जेनेवा शहर में वार्ता करेंगे. भारत की तरफ से वार्ता में केंद्रीय विदेश मंत्री गए.
सीरिया संकट (गृह युद्ध)
सीरिया की सेना एवं प्रदर्शनकारियों के मध्य राष्ट्रपति बसर अल-असद को पद से हटाने की मांग को लेकर राजधानी दमिश्क में सशस्त्र संघर्ष 15 मार्च 2011 को प्रारंभ हुआ. यह संकट अप्रैल 2011 से राष्ट्रव्यापी हो गया. इन प्रदर्शनों को अरब स्प्रिंग के रूप में भी जाना जाता है. यह उत्तर अफ्रीकी एवं मध्य पूर्वी विरोध आंदोलनों का हिस्सा थे.
• सीरिया के प्रदर्शनकारियों ने प्रथम बार राष्ट्रपति बसर अल-असद सरकार के ढांचे के भीतर लोकतांत्रिक और आर्थिक सुधारो की मांग की. सीरियाई सेना ने देश भर में विद्रोही प्रदर्शनकारियों का हिंसात्मक दमन किया.
• जुलाई 2013 तक, सीरिया की सरकार ने देश के लगभग 30-40 प्रतिशत एवं सीरिया की आबादी का 60 प्रतिशत भाग अपने नियंत्रण में ले लिया था.
• संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार सीरिया संकट में मरने वालों की संख्या जून 2013 में 100,000 के आस-पास एवं सितंबर 2013 तक यह संख्या 1,20,000 तक पहुंच गयी.
• चार लाख से अधिक सीरियाई लोग विस्थापित, तीन लाख से अधिक सीरियाई लोग शरणार्थी एवं दो लाख से अधिक लोग भोजन एवं पीने के पानी से वंचित है.
• सबसे ख़राब स्थिती 12,000 निवासियों वाले सीरिया के “मुआदमियत –अल शाम” शहर की है. यहाँ सीरियाई सेना ने नाकाबंदी कर रखी है. जिस कारण यहाँ पर सर्दी एवं भुखमरी से लोगो के मरने की भविष्यवाणी की जा रही है.
• रासायनिक हथियारों का भी सीरिया में इस्तेमाल किया गया. सरीन गैस के प्रयोग से काफी बड़ी संख्या में बच्चे मारे गए.
विदित हो कि दिसंबर 2013 में भारत ने विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी को चर्चा के लिए सीरिया भेजा था.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation