सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी 2016 को जारी एक सुझाव के अंतर्गत संसद से कहा कि वह बच्चों से रेप और यौन उत्पीड़न करने वाले दोषियों को सख्त सजा देने के लिए कानून बनाए.
जस्टिस दीपक मिश्रा और एनवी रमना की पीठ ने सरकार को यह निर्देश देने से इनकार कर दिया कि बच्चों के बलात्कारियों को बंध्याकरण (नपुंसक) बनाने का अतिरिक्त दंड दिया जाए. साथ ही कोर्ट ने कहा कि संसद “बच्चा” शब्द को फिर से परिभाषित करे और यौन शोषण करने वालों को सख्त दंड देने की व्यवस्था करे.
पीठ सुप्रीम कोर्ट महिला वकील संगठन की याचिका पर विचार कर रही थी. कोर्ट ने इस पर सुनवाई के लिए अटॉर्नी जरनल को भी बुलवाया था लेकिन रोहतगी ने कहा कि कोर्ट दंड देने की व्यवस्था नहीं कर सकता यह संसद का अधिकार है. कोर्ट ने दुष्कर्मी को बंध्याकरण की सजा देने की महिला वकीलों की मांग ठुकरा दी क्योंकि सज़ा तय करने का अधिकार विधायिका का है.
• क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2012 में 38172 नाबालिग दुष्कर्म की शिकार हुई थीं और 2014 में यह आंकड़ा बढ़ कर 89423 पर पहुंच गया.
• याचिकाकर्ता ने कहा है कि यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण का 2012 में लाया गया कानून नाबालिगों को यौन हमलों से बचाने में विफल रहा है.
• मद्रास हाईकोर्ट ने अक्तूबर 2015 में केंद्र सरकार से कहा कि था बच्चों से रेप करने वालों को नपुंसक बनाने पर विचार किया जाए ताकि नाबालिगों पर यौन हमला करने वालों में डर पैदा किया जा सके.
• रूस, पोलैंड, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया, यूएस, न्यूजीलैंड और अर्जेंटीना में बच्चों से रेप करने वालों को नपुंसक बनाने का प्रावधान है.
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