हिमाचल प्रदेश राज्य सरकार ने जुलाई 2011 के तीसरे सप्ताह में भ्रष्टाचार से जुडे़ मामले के त्वरित निपटारे हेतु अभियोजन की मंजूरी के लिए तीन महीने की अवधि तय की. जबकि राज्य सरकार ने विशेष परिस्थितियों में यह सीमा चार महीने तक निश्चित की.
हिमाचल प्रदेश सरकार ने इस संबंध में मुख्य सचिव के हवाले से समस्त सचिवों, विभागाध्यक्षों, सार्वजनिक उपक्रमों, बोर्ड व निगम के प्रबंध निदेशक, मंडलायुक्त व उपायुक्तों को निर्देश जारी किए. इस निर्देश के तहत यदि किसी विभाग में अभियोजन की मंजूरी प्रदान करने के लिए बेवजह देरी होती है तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने का प्रावधान है.
राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम-1988 (Prevention of Corruption Act 1988) के तहत चल रहे मामलों में अभियोजन की मंजूरी में देरी को जांच प्रक्रिया में बाधा बताते हुए इस अधिनियम के तहत जितने भी मामले चल रहे हैं उनके अभियोजन की मंजूरी तीन माह के भीतर देने का निर्णय लिया.
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