योजना आयोग की जगह नीति आयोग क्यों बना ?

Jun 30, 2016, 15:55 IST

स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किए गए एक महत्वपूर्ण घोषणा के द्वारा, केंद्र सरकार ने 1 जनवरी 2015 को योजना आयोग की जगह नीति आयोग (बदलते भारत के लिए राष्ट्रीय संस्थान) की स्थापना की। नीति आयोग का चेयरमैन भी योजना आयोग की तरह ही प्रधानमंत्री होगा I अरविंद पनगढ़िया को इसका पहला वाईस चेयरमैन बनाया गया है I

स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किए गए एक महत्वपूर्ण घोषणा के अनुसार, केंद्र सरकार ने 1 जनवरी 2015 को योजना आयोग की जगह नीति आयोग (बदलते भारत के लिए राष्ट्रीय संस्थान) की स्थापना की। ऐसा हितधारकों जिसमें राज्य सरकारें, विषय विशेषज्ञों और प्रासंगिक संस्थान शामिल थे, के बीत व्यापक विचार विमर्श के बाद किया गया है।

योजना आयोगः

इसकी स्थापना यूएसएसआर (भूतपूर्व सोवियत संघ) की तर्ज पर देश में पांच योजनाएं बनाने के लिए परामर्श दात्री संस्थान के तौर पर 15 मार्च 1950 को हुई थी।

योजना आयोग के कार्यः

  1. देश के भौतिक, पूंजीगत और मानव संसाधनों का अनुमान लगाना।
  2. मानव संसाधन के कुशल एवं संतुलित उपयोग हेतु योजना तैयार करना।
  3. योजना के विभिन्न चरणों का निर्धारण करना और प्राथमिकता के आधार पर संसाधनों के आवंटन का प्रस्ताव देना।

नीति आयोग: एक परिचय

नीति आयोग का गठन "विकास प्रक्रिया में महत्वपूर्ण मार्गदर्शक एवं रणनीतिक इनपुट प्रदान" करने के लिए किया गया है। यह एक "थिंक टैंक" की तरह काम करेगा और नीतिगत मामलों में केंद्र और राज्यों को परामर्श देगा। अंतर– मंत्रालयी सहयोग और केंद्र–राज्य समन्वय (सहकारी संघवाद) को बेहतर कर यह आयोग नीतियों की धीमी और मंद कार्यान्वयन को समाप्त करना चाहता है। प्रधानमंत्री इसके पदेन अध्यक्ष हैं और उपाध्यक्ष श्री अरविन्द पनगढ़िया है जबकि मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अमिताभ कांत हैं।

नीति आयोग के कार्य

  • राष्ट्रीय लक्ष्यों के आलोक में राज्यों की सक्रिए भागीदारी के साथ राष्ट्रीय विकास प्राथमिकता क्षेत्रों और रणनीति का साझा दृष्टिकोण विकसित करना।
  • निरंतर आधार पर राज्यों के साथ संरचित समर्थन पहलों और तंत्रों के माध्यम से सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना। इस बात को स्वीकारना की मजबूत राज्य, मजबूत राष्ट्र का निर्माण करता है।
  • गांव स्तर पर विश्वसनीय योजना तैयार करने और सरकार के उच्च स्तर पर उत्तरोत्तर इनको एकत्र करने के लिए तंत्र विकसित करना।
  • यह सुनिश्चित करना कि जो क्षेत्र खास तौर पर नीति आयोग को दिए गए हैं,उनमे आर्थिक रणनीति और नीतियों में राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों को शामिल किया गया है।
  • हमारे समाज के कुछ वर्गों, जिन पर आर्थिक प्रगति से पर्याप्त रूप से लाभान्वित न होने के का खतरा हो, पर विशेष ध्यान देना।
  • रणनीतिक और दीर्धकालिक नीति एवं कार्यक्रम की रूपरेखा और पहलों का डिजाइन तैयार करना और उनकी प्रगति एवं प्रभावकारिता पर नजर रखना। निगरानी और प्रतिक्रिया से मिली सीख का प्रयोग बीच में किए जाने वाले अनिवार्य सुधारों समेत नए सुधारों में किया जाएगा।

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नीति आयोग बनाम योजना आयोग (NITI Aayog vs Planning Commission)

पैमाने

नीति आयोग

योजना आयोग

वित्तीय शक्ति

एक सलाहकार निकाय या थिंक – टैंक है। कोषों को आवंटित करने की शक्ति वित्त मंत्रालय में निहित हो सकती है।

मंत्रालयों और राज्य सरकारों को कोषों के आवंटन की शक्ति थी।

पूर्णकालिक सदस्य

योजना आयोग की तुलना में पूर्ण–कालिक सदस्यों की संख्या कम हो सकती है।

अंतिम आयोग में आठ पूर्ण–कालिक सदस्य थे।

राज्य की भूमिका

राज्य सरकारों से योजना आयोग में जैसी भूमिका उन्होंने निभाई है, की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद की जा रही है। 

राज्यों की भूमिका राष्ट्रीय विकास परिषद और योजना आयोग की बैठकों के दौरान वार्षिक बातचीत तक सीमित थी।

सदस्य सचिव

सीईओ के रूप में जाने जाएंगे और इनकी नियुक्ति प्रधानमंत्री करेंगे। 

सचिव या सदस्य सचिव सामान्य प्रक्रिया के माध्यम से नियुक्त किए जाते थे। 

अंशकालिक सदस्य

कई अंशकालिक सदस्य होंगे। यह समय– समय पर आवश्यकता के अनुसार निर्धारित होगा। 

पूर्ण योजना आयोग में अंशकालिक सदस्यों का कोई प्रावधान नहीं था।

नीति आयोग ने योजना आयोग का स्थान क्यों लियाः कारण

  1. नीति आयोग के समर्थकों का कहना है कि, योजना आयोग के विपरीत, नीति आयोग, एक थिंक टैंक या मंच के तौर पर अधिक काम करेगा। योजना आयोग, पंचवर्षीय योजना बनाता था और आर्थिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए संसाधनों का आवंटन करता था।
  2. नीति आयोग में भारत के 29 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों के नेता होंगे। लेकिन इसके पूर्ण कालिक कर्मचारी– एक उपाध्यक्ष, मुख्य कार्यकारी अधिकारी और विशेषज्ञ– 64 वर्षीय प्रधानमंत्री को सीधे रिपोर्ट करेंगे, जो कि इसके अध्यक्ष होंगें। यह योजना आयोग से अलग है क्योंकि यह राष्ट्रीय विकास परिषद को रिपोर्ट किया करता था।
  3. नीति आयोग और योजना आयोग के बीच योजना के दृष्टिकोण में प्रमुख अंतर यह है कि, नीति आयोग राज्यों की भागीदारी को बढ़ाएगा जबकि योजना आयोग एक ही आकार में सभी के फिट आ जाने वाले टॉप– डाउन अप्रोच को अपनाता था। 
  4. योजना आयोग की भूमिका व्यापक नीति बनाने की थी और इसकी क्षमता सलाहकार की भूमिका के तौर पर अधिक है। नीति आयोग राज्यों को उनके संबंधित आवश्यकताओं के आधार पर संसाधनों का आवंटन कर सकेगी।
  5. योजना आयोग के दायरे में आने वाली नीतियों में राज्यों को नीतिगत नियोजन में अपनी बात सीधे कहने की बहुत कम स्वतंत्रता थी। राज्य राष्ट्रीय विकास परिष्द के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से शामिल थे। ऐसा नीति आयोग में नहीं दोहराया जाएगा। 

नीति आयोग का उद्देश्य निम्नलिखित के माध्यम से जटिल चुनौतियों का बेहतर ढंग से सामना करने के लिए भारत को सक्षम बनाना है

  1. भारत की जनसांख्यिकीय लाभांश (demographic dividend) का इस्तेमाल करना और शिक्षा, कौशल विकास को बढाकर, लैंगिक असमानता को समाप्त कर यहां के युवाओं, पुरुषों एवं महिलाओं को सक्षम बनाकर रोजगार-परक शिक्षा देना है।
  2. गरीबी का उन्मूलन और प्रत्येक भारतीय को गरिमा एवं आत्म–सम्मान की जिंदगी जीने का अवसर प्रदान करना।
  3. लिंग भेद, जाति और आर्थिक आधार पर असमानता को दूर करना।
  4. विकास प्रक्रियाओं में गांवों को संस्थागत तौर पर एकीकृत करना।
  5. 50 मिलियन (500 मिलियन/ 5 करोड़) छोटे व्यापारों, जो रोजगार सृजन के प्रमुख स्रोत हैं,को नीतिगत समर्थन देना।
  6. हमारे पर्यावरण और पारिस्थितिक परिसंपत्तियों की सुरक्षा करना।

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Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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