किसी भी संघीय शासन मे संघीय विधायिका का ऊपरी सदन संवैधानिक बाध्यता के कारण संघीय स्तर पर राज्यों के हितों की रक्षा करने के लिए बनाया जाता है। इसी सिद्धांत के आधार पर भारत में राज्य सभा का गठन हुआ है। राज्यसभा का गठन एक पुनरीक्षण सदन के रूप मे हुआ है जो लोकसभा द्वारा पास किये गये प्रस्तावों की समीक्षा करता है| यह मंत्रिपरिषद मे विशेषज्ञों की कमी भी पूरी कर सकता है क्योंकि कम से कम 12 विशेषज्ञ इस सभा में मनोनीत होते हैं। भारत के उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन “सभापति” होते हैं| राज्यसभा को राज्यों का परामर्शदाता भी कहा जाता है।
भारत के लोकसभा अध्यक्षों की सूची
राज्यसभा से संबंधित संवैधानिक प्रावधान
गठन / सदस्य संख्या
संविधान के अनुच्छेद 80 के अनुसार राज्यसभा की अधिकतम सदस्य संख्या 250 निर्धारित है, जिनमें से 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किये जाते हैं और 238 सदस्य सभी राज्यों एवं दो केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि होते हैं। वर्तमान में राज्यसभा के 245 सदस्य हैं जिसमें से 233 सदस्य विभिन्न राज्यों एवं दिल्ली और पुडुचेरी के प्रतिनिधि हैं और 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किये गए हैं। राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सदस्य साहित्य, विज्ञान, कला और सामाजिक सेवा के विशेषज्ञ या व्यावहारिक अनुभव रखने वाले व्यक्ति होते हैं।
सीटों का आवंटन
विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को राज्यसभा के सीटों के आवंटन संबंधी नियम संविधान की चौथी अनुसूची में वर्णित है। सीटों का आवंटन प्रत्येक राज्य की जनसंख्या के आधार पर किया जाता है। राज्यों के पुनर्गठन और नए राज्यों के गठन के फलस्वरूप राज्यसभा में राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों को आवंटित सीटों की संख्या में 1952 के बाद से समय-समय पर बदलाव होते रहे हैं|
भारतीय संविधान के महत्वपूर्ण संशोधन
सदस्यों की योग्यता
संविधान के अनुच्छेद 84 में संसद की सदस्यता के लिए योग्यताएं निर्धारित की गई हैं। राज्य सभा की सदस्यता हेतु किसी व्यक्ति के पास निम्नलिखित योग्यताएं होनी चाहिए:
(क) उसे भारत का नागरिक होना चाहिए और निर्वाचन आयोग द्वारा इस कार्य के लिए नियुक्त किसी व्यक्ति के समक्ष तीसरी अनुसूची में इस प्रयोजन के लिए दिए गए प्रारूप के अनुसार शपथ लेना चाहिए और उस पर अपने हस्ताक्षर करने चाहिए|
(ख) उसे कम से कम तीस वर्ष की आयु का होना चाहिए|
(ग) उसके पास ऐसी अन्य योग्यताएं होनी चाहिए जो संसद द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा या उसके अधीन इस कार्य हेतु लागू की जाएं।
अयोग्यताएं
संविधान के अनुच्छेद 102 में यह निर्धारित किया गया है कि कोई व्यक्ति संसद के किसी सदन का सदस्य चुने जाने के लिए और सदस्य होने के लिए अयोग्य होगा-
(क) यदि वह भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन, ऐसे पद को छोड़कर, जिसको धारण करना संसद ने विधि द्वारा सही घोषित किया है, कोई लाभ का पद धारण करता है|
(ख) यदि वह मानसिक रूप से बीमार है और न्यायालय के समक्ष इसे साबित किया जा चुका है|
(ग) यदि वह दिवालिया घोषित हो चुका है|
(घ) यदि वह भारत का नागरिक नहीं है या उसने किसी विदेशी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से अर्जित कर ली हे या वह किसी विदेशी राज्य के प्रति निष्ठा रखता है|
(ड़) यदि वह संसद द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा या उसके अधीन अयोग्य घोषित कर दिया जाता है।
सभी भारतीय राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों में राज्यसभा सदस्यों की सूची
क्र. सं. | राज्य/केन्द्रशासित प्रदेश | राज्यसभा सदस्यों की संख्या |
1. | 31 | |
2. | महाराष्ट्र | 19 |
3. | तमिलनाडु | 18 |
4. | पश्चिम बंगाल | 16 |
5. | 16 | |
6. | 12 | |
7. | 11 | |
8. | आंध्र प्रदेश | 11 |
9. | गुजरात | 11 |
10. | ओडिशा | 10 |
11. | 10 | |
12. | केरल | 9 |
13. | पंजाब | 7 |
14. | तेलंगाना | 7 |
15. | झारखण्ड | 6 |
16. | हरियाणा | 5 |
17. | 5 | |
18. | जम्मू-कश्मीर | 4 |
19. | हिमाचल प्रदेश | 3 |
20. | 3 | |
21 | राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली | 3 |
22. | असम | 1 |
23. | गोवा | 1 |
24. | मणिपुर | 1 |
25. | मेघालय | 1 |
26. | मिजोरम | 1 |
27. | नागालैंड | 1 |
28. | पुदुचेरी | 1 |
29. | सिक्किम | 1 |
30. | त्रिपुरा | 1 |
31. | अरुणाचल प्रदेश | 1 |
राष्ट्रपति द्वारा नामांकित सदस्य - 12
प्रमुख तथ्य :
1. केवल दो केन्द्रशासित प्रदेशों राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और पुदुचेरी के लिए ही राज्यसभा के सीटों का आवंटन किया गया है|
2. उत्तर प्रदेश में राज्यसभा के सीटों की संख्या सर्वाधिक है|
3. आंध्र प्रदेश के विभाजन से पहले वहां राज्यसभा की 18 सीटें थी लेकिन जून 2014 में विभाजन के बाद 7 सीटें नवगठित राज्य तेलंगाना को दे दी गई|
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