भारतीय संविधान से अनुच्छेद 370 के खत्म होने के बाद अब भारत में राज्यों की संख्या 28 हो गई है, जबकि केंद्र शासित प्रदेशों (UT) की संख्या 8 हो गई है। राज्य में राज्यपाल कानूनी प्रमुख होता है, लेकिन वास्तविक कार्यकारी अधिकार मुख्यमंत्री के पास होता है। संविधान के अनुच्छेद 164 में इस बात का उल्लेख है कि राज्य में मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाएगी।
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मुख्यमंत्री की नियुक्ति
हमारे संविधान में मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त होने की योग्यता के बारे में विशेष रूप से उल्लेख नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 164 में प्रावधान है कि मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाएगी। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि राज्यपाल किसी को भी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश का मुख्यमंत्री नियुक्त करने के लिए स्वतंत्र है।
मुख्यमंत्री की शक्तियां एवं कार्य
सीएम की शक्तियों और कार्यों को निम्नलिखित शीर्षकों के अंतर्गत वर्गीकृत किया जा सकता है:
-मंत्रिपरिषद के संबंध में –
राज्य मंत्रिपरिषद के संबंध में मुख्यमंत्री की शक्तियां निम्नलिखित हैं -
-वह राज्यपाल को किसी व्यक्ति को मंत्री नियुक्त करने की सलाह देता है। सीएम की सलाह पर ही राज्यपाल मंत्रियों की नियुक्ति करते हैं।
-मंत्रियों के बीच विभागों का आवंटन एवं फेरबदल।
-मतभेद की स्थिति में; वह मंत्री से इस्तीफा देने के लिए कह सकते हैं।
-सभी मंत्रियों की गतिविधियों को निर्देशित, मार्गदर्शन और नियंत्रित करना।
-यदि मुख्यमंत्री इस्तीफा देता है, तो पूरे मंत्रिमंडल को इस्तीफा देना पड़ता है।
-राज्यपाल के संबंध मेंः-
हमारे संविधान के अनुच्छेद 167 के तहत मुख्यमंत्री राज्यपाल और राज्य मंत्रिपरिषद के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करता है। राज्यपाल के संबंध में कार्य इस प्रकार हैं:
-राज्यों के प्रशासन से संबंधित मंत्रिपरिषद के सभी निर्णयों के बारे में सीएम को राज्यपाल को बताना होता है।
-जब भी राज्यपाल लिए गए निर्णयों या प्रशासन के संबंध में कोई जानकारी मांगते हैं, तो सीएम को उन्हें वह जानकारी प्रदान करनी होती है।
-जब कैबिनेट के विचार के बिना कोई निर्णय लिया गया हो, तो राज्यपाल मंत्रिपरिषद से विचार करने के लिए कह सकता है।
-मुख्यमंत्री अटॉर्नी जनरल, राज्य लोक सेवा आयोग (अध्यक्ष और सदस्य) व राज्य चुनाव आयोग आदि जैसे महत्वपूर्ण अधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में राज्यपाल को सलाह देते हैं।
-राज्य विधानमंडल के संबंध में -
-सभी नीतियों की घोषणा उनके द्वारा सदन के पटल पर की जाती है।
-वह राज्यपाल से विधानसभा भंग करने की सिफारिश करता है।
-वह राज्यपाल को समय-समय पर राज्य विधानसभा के सत्र बुलाने, स्थगित करने के संबंध में सलाह देता है।
-अन्य कार्य
-जमीनी स्तर पर वह लोगों के साथ नियमित रूप से संपर्क में रहने और उनकी समस्याओं के बारे में जानने का अधिकार रखता है, ताकि विधानसभा के पटल पर नीतियां ला सके।
-वह राज्य योजना आयोग के अध्यक्ष के रूप में कार्य करता है।
- वह एक वर्ष की अवधि के लिए रोटेशन में संबंधित क्षेत्रीय परिषद का उपाध्यक्ष होता है।
-आपातकाल के दौरान वह राज्य में संकट प्रबंधक के रूप में कार्य करता है।
उपरोक्त स्पष्टीकरण से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि किसी राज्य के मुख्यमंत्री के कार्यों की विस्तृत श्रृंखला होती है। वह राज्य की आम जनता द्वारा चुने गये विधायकों का नेता होता है।
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