भारत में संविधान दिवस 26 नवंबर को ही क्यों मनाया जाता है?

26 नवंबर को हर साल भारत में संविधान दिवस मनाया जाता है. इस दिन संविधान के निर्माता डॉ. बी. आर. अम्बेडकर को याद और सम्मानित किया जाता है. यह दिवस संविधान के महत्व को समझाने के लिए भी प्रत्येक वर्ष 26 नवंबर को मनाया जाता है. आइये इस लेख के माध्यम से संविधान दिवस के बारे में विस्तार से अध्ययन करते हैं.

Nov 25, 2020, 13:37 IST
Constitution Day of India
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भारत का संविधान लचीला, मजबूत और व्यवहारिक है. यह शांति और युद्धकाल में देश को एकजुट रखने में सक्षम है. प्रत्येक वर्ष 26 नवंबर को संविधान दिवस भारत के संविधान के महत्व को समझाने के लिए मनाया जाता है. इस दिन लोगों को बताया जाता है कि कैसे हमारा संविधान देश की तरक्की के लिए महत्वपूर्ण है और साथ ही  डॉ. बी. आर. अम्बेडकर  को देश के संविधान निर्माण में किन-किन कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा था.

भारत के संविधान दिवस के बारे में

स्वतंत्र भारत के इतिहास में 26 नवंबर का अपना ही महत्व है क्योंकि इसी दिन वर्ष 1949 में, संविधान सभा द्वारा भारत के संविधान को स्वीकृत किया गया था जो 26 जनवरी 1950 को प्रभाव में आया. इसलिए, यह एक नए युग की सुबह को चिह्नित करता है. संविधान के निर्माताओं के योगदान को स्वीकार करने और प्रमुख मूल्यों के बारे में लोगों को समझाने के लिए, 26 नवंबर को 'संविधान दिवस' के रूप में मनाया जाता है.

भारत के संविधान को जब अपनाया गया था तब भारत के नागरिकों ने शांति, शिष्टता और प्रगति के साथ एक नए संवैधानिक, वैज्ञानिक, स्वराज्य और आधुनिक भारत में प्रवेश किया था. 

क्या आप भारतीय संविधान के बारे में ये तथ्य जानते हैं?

 भारत में संविधान दिवस मनाने की घोषणा कब की गई थी?

भारत सरकार द्वारा 19 नवंबर 2015 को हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने के लिए घोषित किया गया था. अंबेडकर की स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी मेमोरियल (Ambedkar's Statue of Equality Memorial) की आधारशिला रखते हुए यह घोषणा की गई थी.

भारत के संविधान में कानून का शासन, सरकार के मौलिक राजनीतिक सिद्धांतों, प्रक्रियाओं, प्रथाओं, अधिकारों, शक्तियों और कर्तव्यों का प्रावधान है. यह देश में संसदीय सर्वोच्चता की जगह संवैधानिक सर्वोच्चता को स्थापित करता है, क्योंकि इसका निर्माण संसद द्वारा नहीं बल्कि एक संविधान सभा द्वारा किया गया था. 

भारत का संविधान कैसे अस्तित्व में आया?

जैसा कि हम जानते हैं कि 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ और 26 जनवरी 1950 को हम गणतंत्र दिवस मनाते हैं क्योंकि इसी दिन भारत का संविधान प्रभाव में आया था.

1934 में, संविधान सभा (Constituent Assembly) की मांग की गई थी. आपको बता दें कि एम.एन. रॉय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता, पहले थे जिन्होंने इस विचार को रखा था. कांग्रेस पार्टी द्वारा इसे अपनाया गया और अंत में, 1940 में, ब्रिटिश सरकार द्वारा मांग को स्वीकार कर लिया गया था. अगस्त प्रस्ताव में भारतीयों को भारतीय संविधान को ड्राफ्ट करने की अनुमति दे दी गई.

9 दिसंबर 1946 को, आजादी से पहले, पहली बार संविधान सभा (Constituent Assembly) की बैठक हुई. संविधान सभा के पहले अध्यक्ष डॉ सच्चिदानंद सिन्हा थे. 

29 अगस्त 1947 को संविधान सभा ने संविधान को तैयार करने के लिए एक ड्राफ्टिंग समिति बनाई जिसके अध्यक्ष डॉ बी आर अम्बेडकर थे. 26 नवंबर, 1949 को समिति ने अपना काम समाप्त कर दिया था. 24 जनवरी 1950 को यह प्रक्रिया पूरी हुई जब सदस्यों ने दस्तावेज़ की दो हस्तलिखित प्रतियों पर एक-एक हिंदी और अंग्रेजी में हस्ताक्षर किए.

भारत के संविधान को 26 नवंबर, 1949 को अपनाया गया था और माननीय सदस्यों ने 24 जनवरी, 1950 को इस पर अपने हस्ताक्षर किए. लगभग 284 सदस्यों ने संविधान पर हस्ताक्षर किए. भारत का संविधान 26 जनवरी, 1950 को प्रभाव में आया. संविधान के बनने में 2 साल, 11 महीने और 17 दिन का समय लगा था.

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भारत में संविधान दिवस कैसे मनाया जाता है?

जैसा की आप जानते हैं कि 26 नवंबर को भारत के संविधान को अपनाने के उपलक्ष्य में संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है. समारोह के भाग के रूप में, संविधान में निहित मूल्यों और सिद्धांतों को उजागर करने और दोहराने के उद्देश्य से कई गतिविधियां आयोजित की जाती हैं.

समारोहों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा संविधान की प्रस्तावना का पठन है और इसकी विचारधारा को बनाए रखने की हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है. संवैधानिक मूल्यों और भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों पर वार्ता / वेबिनार जैसी अन्य गतिविधियां भी आयोजित की जाती हैं.

भारतीय संविधान की प्रस्तावना

प्रस्तावना (Preamble), को भारतीय संविधान का परिचय पत्र कहा जाता है. 1976 में 42वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा इसमें संशोधन किया गया था जिसमें तीन नए शब्द समाजवादी, पंथनिरपेक्ष और अखंडता को जोड़ा गया था. प्रस्तावना, भारत के सभी नागरिकों के लिए न्याय, स्वतंत्रता, समानता को सुरक्षित करती है और लोगों के बीच भाई चारे को बढावा देती है. भारतीय संविधान की प्रस्तावना पंडित नेहरू द्वारा पेश किये गए ‘उद्देश्य प्रस्ताव’ पर आधारित है.

“हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्त्व-संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिये तथा इसके समस्त नागरिकों को: 
सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, 
विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, 
प्रतिष्ठा और अवसर की समता 
प्राप्त कराने के लिये तथा उन सब में
व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता 
तथा अखंडता सुनिश्चित करने वाली 
बंधुता बढ़ाने के लिये 
दृढ़ संकल्पित होकर अपनी इस संविधान सभा में आज दिनांक 26 नवंबर, 1949 ई. को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं.”

भारत का संविधान दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को संचालित करने वाला विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है. यह अपने देश के नागरिकों की आकांक्षाओं को पूरा करने वाला एक ऐसा संविधान है जो व्यक्तिगत स्वतंत्रता और इच्छाओं की प्राप्ति की व्यापक संभावना प्रदान करता है. साथ ही यह सामूहिक विकास और प्रगति की आवश्यकता को भी पूरा करता है. 

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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