न्यूनतम गारंटी योजना (MIG) और न्यूनतम आय गारंटी योजना (UBI) में क्या अंतर है?

MIG vs UBI: पूर्व वित्त मंत्री स्व. श्री अरुण जेटली ने आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17 में गरीबी कम करने के प्रयास के लिए देश में चल रही विभिन्न 'सामाजिक कल्याण योजनाओं' के स्थान पर एक न्यूनतम आय गारंटी योजना (UBI) शुरू करने की वकालत की थी. जबकि राहुल गाँधी ने देश में न्यूनतम गारंटी योजना (MIG) की बात कही थी. आइये इस लेख में जानते हैं कि इन दोनों योजनाओं में क्या अंतर है?

Hemant Singh
Jan 3, 2020, 11:55 IST
MIG vs UBI
MIG vs UBI

भारत एक लोकतांत्रिक देश है यहाँ सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लोगों के कल्याण को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध होती है. दूसरी ओर विपक्षी दल; सत्ता पक्ष की कमियों को उजागर करके उनके कल्याण के लिए और भी नयी योजनायें लाने के लिए दबाव बनाते हैं.

इसी क्रम में इस लेख में कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों ने देश से गरीबी ख़त्म करने के लिए न्यूनतम गारंटी योजना (MIG) और न्यूनतम आय गारंटी योजना (UBI) नामक दो अलग अलग योजनाओं की बात कही है. आइये इस लेख में इन दोनों के बारे में मुख्य अंतर जानते हैं.

आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17 में वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने गरीबी कम करने के प्रयास के लिए देश में चल रही विभिन्न सामाजिक कल्याण योजनाओं के स्थान पर एक न्यूनतम आय गारंटी योजना (UBI) शुरू करने की वकालत की थी. इसके जवाब में राहुल गाँधी ने देश में न्यूनतम गारंटी योजना (MIG) की बात कही जो कि देश में 25 करोड़ गरीब लोगों को 6 हजार रुपये प्रति माह देने का प्रस्ताव रखती है.

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न्यूनतम आय गारंटी योजना (UBI) की विशेषताएं;

1. यूनिवर्सल बेसिक इनकम देश के प्रत्येक नागरिक के लिए एक फिक्स (मासिक) नकद हस्तांतरण योजना है. इसका मतलब है कि यह योजना अमीर और गरीब, नौकरीपेशा और बेरोजगार सभी के लिए होगी.

2. अर्थशास्त्री सुरेश तेंदुलकर ने देश के लोगों को पोषण की व्यवस्था के लिए न्यूनतम 7,620 रुपये प्रति व्यक्ति/ वार्षिक देने की अनुशंसा दी थी. इसलिए NDA सरकार देश की 75% आबादी को न्यूनतम 7,620 रुपये प्रति व्यक्ति/ वार्षिक देगी. इसका अनुमानित खर्च जीडीपी का लगभग 4.9% होगा.

3. इस योजना के तहत लोगों को वस्तुओं और सेवाओं देने के स्थान पर सीधे उनके खाते में नकद रुपया भेजा जायेगा.

न्यूनतम गारंटी योजना (MIG)की विशेषताएं;

1. MIG देश के केवल गरीब ग्रामीण और शहरी परिवारों को कवर करेगा.

2. इस योजना से देश के सभी नागरिकों को रुपये नहीं मिलेंगे, इसलिए यह एक लक्षित योजना होगी.

3. यह योजना देश के 25 करोड़ गरीब लोगों को हर माह 6 हजार रुपये देगी जिसका कुल खर्च देश की जीडीपी के 2% के बराबर होगा.

आइये जानते हैं कि इन दोनों योजनाओं में क्या मुख्य अंतर हैं;

1. यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) NDA सरकार द्वारा प्रस्तावित है जबकि न्यूनतम गारंटी योजना (MIG) कांग्रेस पार्टी द्वारा प्रस्तावित है.

2. यूनिवर्सल बेसिक इनकम का कांसेप्ट NDA सरकार ने 2016-17 के आर्थिक सर्वेक्षण में दिया था जबकि न्यूनतम गारंटी योजना (MIG) की घोषणा कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गाँधी ने जनवरी में छत्तीसगढ़ के रायपुर में की थी.

3. यूबीआई एक सार्वभौमिक अर्थात सभी के लिए योजना है यानी यह लाभार्थियों की पहचान नहीं करती है जबकि MIG खासतौर पर देश के गरीब ग्रामीण और शहरी परिवारों के लिए लक्षित योजना है.

4. UBI योजना का पात्र होने के लिए लाभार्थी की आर्थिक स्थिति, रोजगार या बेरोजगार जैसे मापदंडों को ध्यान में नहीं रखा जायेगा. इसके उलट MIG स्कीम के लाभार्थी विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के द्वारा चिन्हित किये जायेंगे.

5. UBI योजना में एक परिवार के हर सदस्य को अलग अलग सहायता दी जाएगी जबकि MIG योजना में तहत पूरे परिवार को इकाई माना जायेगा अर्थात परिवार के हर सदस्य को अलग अलग सहायता नहीं दी जाएगी.

6. UBI योजना के तहत देश की 75% जनसँख्या को 7,620 रुपये प्रति व्यक्ति/ वार्षिक दिया जायेगा जबकि MIG के तहत देश के 25 करोड़ गरीबों को 6 हजार रुपये प्रति वर्ष दिया जायेगा.
ध्यान रहे कि अर्थशास्त्री सुरेश तेंदुलकर ने देश के लोगों को पोषण की व्यवस्था के लिए न्यूनतम 7,620 रुपये प्रति व्यक्ति/ वार्षिक देने की अनुशंसा दी थी.

7. UBI पर सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 4.9% खर्च होगा जबकि MIG पर कुल परिव्यय सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 2% होगा.

भारत के पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम का कहना है कि एमआईजी योजना की लागत यूबीआई की लागत का केवल 1/5 वां हिस्सा हो सकती है (यह मानते हुए कि 20% आबादी गरीबी रेखा से नीचे है).

सारांशतः यह कहना बुद्धिमानी होगी कि दोनों योजनाएँ ठीक हैं, यदि ये अपने इच्छित उद्देश्यों को पूरा करती हैं. वर्तमान में भारत जीडीपी का लगभग 5.2 प्रतिशत हिस्सा सभी प्रायोजित कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च करता है. यदि UBI और MIG योजनायें शुरू की जातीं हैं तो सरकार को इन कल्याणकारी योजनाओं में से कुछ के बजट में कमी करनी होगी या फिर कुछ योजनाओं को बंद करना पड़ सकता है क्योंकि सरकार के पास UBI और MIG जैसी योजनाओं पर अतिरिक्त खर्च करने के लिए संसाधन नहीं होंगे.

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