आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारत की 134 करोड़ जनसँख्या में से केवल 1.5% लोग ही आयकर का भुगतान करते हैं. हालाँकि यह संख्या साल दर साल बढती जा रही है. इन सभी लोगों को अपना आयकर दाखिल करने और टीडीएस दाखिल करने के लिए आयकर विभाग द्वारा PAN और TAN नंबर जारी किये जाते हैं जो कि एक यूनिक नंबर होता है अर्थात एक व्यक्ति को केवल एक ही नंबर दिया जाता है.
पैन (PAN) नम्बर क्या है?
स्थायी खाता संख्या (Permanent Account Number )को शोर्ट फॉर्म में PAN के नाम से जाना जाता है. यह एक अक्षरांकीय कोड है, इसमें दस अक्षर शामिल होते हैं या दस अक्षरों से मिलकर बनता है. यह आयकर विभाग द्वारा उन करदाताओं के लिए जारी किया जाता है जो कि आयकर विभाग द्वारा जारी किये गए फॉर्मेट में आयकर फॉर्म को भरते हैं. यह नंबर पूरे देश के आयकर दाताओं के लिए अलग अलग होता है अर्थात हर करदाता के पास एक यूनिक नंबर होता है और इसकी वैद्यता पूरी जिंदगी के लिए होती है.
पैन कार्ड को आयकर विभाग द्वारा प्लास्टिक कार्ड के रूप में जारी किया जाता है. आयकर विभाग द्वारा इसका उपयोग विभिन्न वित्तीय लेन-देनों जैसे आयकर रिटर्न दाखिल करने में, लोन लेने में, कर रिफंड प्राप्त करने में और पहचान के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है.
पैन कार्ड को कई अन्य दस्तावेजों के साथ जोड़कर कर बेस (tax base) को बढाया जा सकता है, कर चोरी को रोका जा सकता है, व्यक्ति के सिविल स्कोर को भी जाना जा सकता है जिससे व्यक्ति की लोन लेने की योग्यता का पता चलता है. आयकर रिटर्न भरते समय पैन नम्बर भरना सभी करदाताओं के लिए अनिवार्य होता है.
image source:Puducherry Informations
जानें फर्जी GST बिल की जाँच कैसे करें?
टैन नंबर क्या है?
TAN का फुल फॉर्म Tax deduction and collection Account Number है. टैन नंबर आयकर विभाग द्वारा 10 अंकों का एक अल्फान्यूमेरिक नंबर जैसे कि RXOY02811K होता है. टैन नंबर को टीडीएस / टीसीएस रिटर्न दाखिल करते समय या टीडीएस / टीसीएस से संबंधित आयकर विभाग के साथ कोई अन्य कामकाज करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. सभी कानूनी निकाय जैसे व्यक्ति, संयुक्त हिंदू परिवार, स्थानीय प्राधिकरण, कंपनी, साझेदारी फर्म, स्वायत्त निकाय आदि, टैन नंबर के लिए आवेदन कर सकते हैं.
टैन नंबर उन सभी लोगों के लिए आवश्यक है जो अपनी आमदनी के स्रोतों पर कर का भुगतान करते हैं, ये उन सभी के लिए जरुरी है जो कि आयकर रिटर्न में कटौती कर दावा करने के लिए भुगतान करते हैं.
टैन की बनावट इस प्रकार होती है जैसे ANBA99999B.इसमें पहले चार नंबर अक्षर के रुप में और उसके बाद के पांच अंकीय रुप में दिए होते हैं और अंतिम वाला नंबर भी अक्षर होता है.
टैन में लिखे प्रत्येाक टैन नंबर की एक विशष्ट पहचान बताते हैं. इस नंबर में जिस जगह से टैन जारी किया जाता है वहां का नाम, पहले तीन अक्षर शहर या राज्य का नाम बताते हैं और चौथा अक्षर आपके नाम के पहले अक्षर को दर्शाता है. आयकर विभाग के अधिनियम 1961 के अनुभाग 203A में उल्लेखित है कि सभी व्यक्ति जो टीडीएस का भुगतान कर रहे हैं, उन्हें टैन नंबर रखना अनिवार्य है. यदि किसी ने जरूरी दस्तावेजों में टैन नंबर को नही बताया है तो आयकर विभाग उसके ऊपर 10,000 रुपए का जुर्माना भी लगा सकता है.
उदाहरण: यह नम्बर वकील और रेस्टोरेंट्स को निश्चित रूप से लेना पड़ता है क्योंकि इनकी सेवाएँ सर्विस टैक्स के अंदर आतीं हैं इसलिए ये लोग अपने ग्राहकों से सर्विस टैक्स लेते हैं और फिर उसको टैन नंबर की सहायता से भारत सरकार के पास जमा करा देते हैं.
जानें कैसे आपके ATM पर 5 लाख रुपये तक का दुर्घटना बीमा मिलता है?
टैन और पैन नंबर के बीच अंतर
1. पैन एक विशिष्ट पहचान संख्या है, जो प्रत्येक आयकर दाता को आयकर विभाग द्वारा दिया जाता है. यह नम्बर उन लोगों की आयकर दाखिल करने में मदद करता है जो कि आय की एक निश्चित सीमा से अधिक रुपया कमाते हैं. दूसरी ओर टैन नम्बर भी एक ऐसी विशिष्ट संख्या होती है जो कि किसी दूसरे व्यक्ति के पास नही हो सकती है. यह संख्या उन व्यक्तियों औए संस्थाओं को दी जाती है जो कि लोगों से कर वसूलते हैं और भारत सरकार के पास जमा करते हैं.
2. पैन नम्बर के लिए आवेदन करने के लिए, किसी व्यक्ति या संस्था को फॉर्म 49A (भारतीय के मामले में) और विदेशियों के मामले में फॉर्म 49 AA भरना पड़ता है. लेकिन यदि कोई टैन नम्बर के लिए आवेदन करना चाहता है तो उसे फॉर्म 49B भरना पड़ता है.
3. किसी व्यक्ति को पैन संख्या आयकर अधिनियम,1961 के सेक्शन 139A के तहत जारी किया जाता है जबकि टैन नम्बर को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 203 A के तहत जारी किया जाता है.
4. पैन नम्बर और टैन नम्बर दोनों को आयकर विभाग द्वारा जारी किया जाता है लेकिन पैन नम्बर बनवाने की फीस इस समय 105 रुपये है तो वहीँ टैन नम्बर बनवाने के लिए 60 रुपये का खर्च आता है.
5. पैन कार्ड आयकर विभाग के संबंध में सभी वित्तीय लेनदेन के लिए एक सार्वभौमिक पहचान पत्र के रूप में कार्य करता है जबकि इसके विपरीत टैन नम्बर की जरुरत TDS का व्यौरा दाखिल करने के लिए किया जाता है. हालाँकि TDS पैन और टैन नम्बर धारक दोनों को ही भरना पड़ता है.
टैन और पैन नंबर में समानताएँ
1. दोनों को आयकर विभाग द्वारा जारी किया जाता है
2. दोनों नंबरों का कोड 10 अंकों का होता है
3. नियमों का उल्लंघन करने पर दोनों के मामले में 10000 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है.
4. दोनों को ऑनलाइन और ऑफलाइन बनवाया जा सकता है
इस प्रकार आपने पढ़ा कि किस प्रकार पैन और टैन नम्बर एक ही संस्था द्वारा जारी किये जाते हैं लेकिन दोनों को जारी करने के उद्येश्य अलग अलग हैं.हालाँकि दोनों ही अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ाने और कर चोरी घटाने के लिए बनाये गए हैं.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation