भारत में वर्तमान में 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं। इन सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में यदि जिलों की बात करें तो यहां कुल 797 जिले हैं। आपने भारत के अलग-अलग जिलों के बारे में पढ़ा और सुना होगा, जिनमें से अधिकतर जिलों की अपनी विशेष पहचान है, जो कि हर साल बड़ी संख्या में देशी-विदेशी सैलानियों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं।
हालांकि, क्या आप जानते हैं कि पर्यावरण की दृष्टि से भारत का एक जिला और भी महत्वपूर्ण बन गया है। देश के एक जिले को सबसे पहला कार्बन न्यूट्रल जिला का गौरव प्राप्त है। कौन-सा है यह जिला और किस राज्य में है स्थित, जानने के लिए यह पूरा लेख पढ़ें।
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राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जिलों की संख्या
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कितने-कितने जिले हैं। आपको बता दें कि भारत में कुल 797 जिले हैं। इनमें से 752 जिले राज्यों और 45 जिले केंद्र शासित प्रदेशों में हैं।
क्या होता है कार्बन न्यूट्रल जिला
यहां सबसे पहले यह भी जानना जरूरी है कि कार्बन न्यूट्रल क्या होता है, तो आपको बता दें कि जब किसी भी क्षेत्र में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन या निष्कासन नेट-जीरो हो जाता है, तो उस स्थिति को कार्बन न्यूट्रल कहा जाता है। ऐसे में देश के अलग-अलग हिस्सों में कार्बन न्यूट्रल को लेकर जिलों और गांव को घोषित किया गया है।
यह बात हम अच्छी तरह से जानते हैं कि मौजूदा समय में बदलती पर्यावरणीय स्थिति को देखते हुए कार्बन डाइऑक्साइड हमारे पर्यावरण को अधिक नुकसान पहुंचा रही है। ऐसे में कई देशों की सरकारों का नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन पर जोर है।
भारत का पहला कार्बन न्यूट्रल जिला कौन-सा है
अब सवाल है कि भारत का पहला कार्बन न्यूट्रल जिला कौन-सा है, तो आपको बता दें कि भारत का पहला कार्बन न्यूट्रल जिला असम राज्य का माजुली द्वीप जिला है। यह जिला ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे स्थित है, जो की 483 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। 1950 से पहले यह 1250 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ था। इसके कम होने की प्रमुख वजह यहां बहने वाली नदी बताई जाती है, जो कि जमीन के कटाव का कारण है।
साल 2016 में बना था पहला द्वीप जिला
आपको बता दें कि असम का माजुली द्वीप जिला साल 2016 में पहले ऐसा जिला बना था, जिसे जिले के रूप में घोषित किया गया था। इसके बाद से यहां पर पर्यटन को भी बढ़ावा मिला है। यहां लोग रस महोत्सव के साथ-साथ फोल्गु और पोरग उत्सव देखने के लिए पहुंचते हैं।
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