भारत विविधताओं का देश कहा जाता है, जहां संस्कृति और अनूठी परंपराओं का मिश्रण देखने को मिलता है। व्यक्ति की जड़े उसके गांव और वहां की परंपराओं से जुड़ी होती हैं। ऐसा कहा भी जाता है कि असली भारत की पहचान गांव से ही होती है। वर्तमान में भारत में गावों की संख्या 6 लाख से अधिक है, जिनमें भारत की एक बड़ी आबादी निवास करती है।
ऐसा कहा भी जाता है कि असली भारत की पहचान गांवों से होती है। हालांकि, क्या आप भारत के पहले कार्बन-न्यूट्रल गांव के बारे में जानते हैं। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
पढ़ेंः कौन-सा है एशिया का सबसे पढ़ा-लिखा गांव, जानें
क्या होता है कार्बन-न्यूट्रल
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि आखिर कार्बन-न्यूट्रल क्या होता है। आपको बता दें कि यहां कार्बन-न्यूट्रल उस स्थिति को कहते हैं, जब नेट-जीरो कार्बन डाइऑक्साइड एमिशन होता है। इसके तहत कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन या निष्कासन को समाप्त किया जाता है, जिससे पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सके।
भारत का पहला कार्बन-न्यूट्रल गांव
अब सवाल है कि भारत का पहला कार्बन-न्यूट्रल गांव कौन-सा है। आपको बता दें कि भारत का पहला कार्बन-न्यूट्रल गांव जम्मू-कश्मीर के सांबा जिले का पल्ली गांव है। यह सौर ऊर्जा से पूरी तरह से संचालित होने वाला भारत का पहला गांव है। ऐसे में इस गांव की पंचायत के सभी रिकॉर्ड डिजिटल हैं।
पल्ली गांव में 500 किलोवॉट का सोलर प्लांट
पल्ली गांव में बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 500 किलोवॉट सौर उर्जा प्लांट का उद्घाटन किया गया था। वहीं, इस गांव में 6408 वर्ग किलोमीटर में करीब 1500 सोलर प्लांट लगाए गए हैं, जिससे गांव पूरी तरह से सौर ऊर्जा पर आधारित गांव बन गया है। ऐसे में यहां ऊर्जा उत्पादन में कार्बन उत्सर्जन नहीं होता है, जिससे इस गांव ने कार्बन-न्यूट्रॉन में पहले पायदान पर जगह बनाई है।
पावर ग्रिड से मिलती है बिजली
इस गांव में सौर ऊर्जा से जो बिजली का उत्पादन होता है, उसे स्थानीय पावर ग्रिड में भेज दिया जाता है, जहां से बिजली को स्थानीय घरों में वितरित किया जाता है। वहीं, कुछ घरों के ऊपर भी सौर ऊर्जा प्लांट लगाए गए हैं।
Comments
All Comments (0)
Join the conversation