भारत विविध संस्कृति, अनूठी परंपराओं और समृद्ध इतिहास के साथ-साथ अनेक नेशनल पार्क का भी घर है। पर्यावरण के दृष्टि से नेशनल पार्क महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो कि कुल वन क्षेत्र में वृद्धि करने के साथ जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखने में मदद करते हैं।
नेशनल पार्क विभिन्न प्रकार के वनस्पतियों के साथ-साथ वन्यजीवों का घर भी होता है, जिससे भारत की जैव विविधता और मजबूत होती है। आपने भारत के अलग-अलग नेशनल पार्क के बारे में सुना और पढ़ा होगा। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि भारत का सबसे छोटा नेशनल पार्क कौन-सा है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
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भारत में कुल कितने नेशनल पार्क हैं
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि भारत में कुल कितने नेशनल पार्क हैं, तो आपको बता दें कि भारत में कुल 108 नेशनल पार्क हैं, जो कि 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में अलग-अलग जगहों पर स्थित हैं।
भारत का सबसे छोटा नेशनल पार्क कौन-सा है
अब सवाल है कि भारत का सबसे छोटा नेशनल पार्क कौन-सा है, तो आपको बता दें कि भारत का सबसे छोटा नेशनल पार्क अंडमान और निकोबार दीप समूह में स्थित है, जिसे हम साउथ बटन आइलैंड राष्ट्रीय उद्यान के रूप में भी जानते हैं।
कितने एरिया में फैला है नेशनल पार्क
भारत का सबसे छोटा नेशनल पार्क सिर्फ 5 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इस पार्क की स्थापना साल 1987 में की गई थी। वहीं, यह नेशनल पार्क रानी झांसी मरीन नेशनल पार्क के हिस्से के रूप में जाना जाता है।
क्या है नेशनल पार्क की विशेषता
भारत के सबसे छोटे नेशनल पार्क की विशेषता की बात करें, तो यह मुख्य तौर पर स्कूबा डाइविंग और स्नॉर्कलिंग का आनंद उठाने के लिए आने वाले पर्यटकों की पसंदीदा स्थलों में से एक है। यही वजह है कि हर साल यहां पर बड़ी संख्या में पर्यटक रोमांचक खेलों के लिए पहुंचते हैं।
किन वन्यजीवों के लिए जाना जाता है नेशनल पार्क
भारत का यह नेशनल पार्क डॉल्फिन, ऑक्टोपस, कछुए, सफेद पेट वाले समुद्री ईगल और मूंगा चट्टान के लिए जाना जाता है। यहां पहुंचने पर आपको विविध प्रकार की वनस्पतियों की झलक भी देखने को मिल जाएगी। इस नेशनल पार्क की हैवलॉक द्वीप से दूरी करीब 22 से 24 किलोमीटर के बीच पड़ती है।
समुद्र किनारे होने की वजह से यहां पर तापमान 20 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। वहीं, दक्षिण -पश्चिम मानसून दौरान यहां जून से अक्टूबर के बीच अधिक बारिश दर्ज की जाती है। वहीं, पर्यटन की बात करें, तो दिसंबर से लेकर अप्रैल तक यहां पर सबसे अधिक पर्यटक पहुंचते हैं।
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