क्यों हुई थी बक्सर की लड़ाई और क्या रहे परिणाम, जानें

बक्सर की लड़ाई (1764) निर्णायक लड़ाई थी, जो अंग्रेजी सेना और मीर कासिम, बंगाल के नवाब, अवध के नवाब और शाह आलम द्वितीय और मुगल सम्राट की संयुक्त सेना के बीच लड़ी गई थी। यह लड़ाई फरमान और दस्तक के दुरुपयोग तथा अंग्रेजो की व्यापारिक विस्तारवादी आकांक्षा का परिणाम थी।

Dec 15, 2023, 16:19 IST
बक्सर का युद्ध
बक्सर का युद्ध

बक्सर की लड़ाई ब्रिटिशों को एक शासक के रूप में परिभाषित करने वाली निर्णायक लड़ाई थी, जो अंग्रेजी सेनाओं और बंगाल के नवाब मीर कासिम, अवध के नवाब और मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय की संयुक्त सेना के बीच लड़ी गई थी। यह लड़ाई फरमान और दस्तक के दुरुपयोग तथा अंग्रेजों की व्यापारिक विस्तारवादी आकांक्षा का परिणाम थी।

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22 अक्टूबर 1764 को बक्सर की लड़ाई हुई और भारतीय सेनाएं हार गईं। बक्सर की लड़ाई भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई थी। 1765 में शुजा-उद-दौला और शाह आलम ने क्लाइव के साथ इलाहाबाद में संधि पर हस्ताक्षर किए, जो कंपनी का गवर्नर बन गया था।

इन संधियों के तहत अंग्रेजी कंपनी ने बंगाल, बिहार और ओडिशा की दीवानी हासिल कर ली, जिससे कंपनी को इन क्षेत्रों से राजस्व इकट्ठा करने का अधिकार मिल गया। अवध के नवाब ने इलाहाबाद और कोरा को मुगल सम्राट को सौंप दिया, जो ब्रिटिश सैनिकों की सुरक्षा के तहत इलाहाबाद में रहने लगे।

कंपनी मुगल सम्राट को हर साल 26 लाख रुपये का भुगतान करने पर सहमत हुई, लेकिन उन्होंने जल्द ही यह भुगतान करना बंद कर दिया। कंपनी ने किसी भी आक्रमणकारी से नवाब की रक्षा के लिए अपनी सेना भेजने का वादा किया, जिसके लिए नवाब को भुगतान करना करने के लिए कहा गया।

इस प्रकार अवध का नवाब कंपनी पर निर्भर हो गया था। इस बीच मीर जाफ़र को पुनः बंगाल का नवाब बना दिया गया। उनकी मृत्यु के बाद उनके बेटे को नवाब के रूप में गद्दी पर बिठाया गया था। कंपनी के अधिकारियों ने नवाब से धन उगाही करके भारी व्यक्तिगत लाभ कमाया।

 

युद्धक्षेत्र की ओर ले जाने वाली घटनाएं

-अंग्रेजों द्वारा फरमान और दस्तक का दुरुपयोग, जिसने मीर कासिम के अधिकार और संप्रभुता को चुनौती दी।

-अंग्रेजों के आंतरिक व्यापार पर सभी करों की समाप्ति।

-कंपनी के कर्मचारियों का दुर्व्यवहार- उन्होंने भारतीय कारीगरों, किसानों और व्यापारियों को अपना माल सस्ते दाम पर बेचने के लिए मजबूर किया और रिश्वत और उपहार की परंपरा भी शुरू की।

-अंग्रेजों की लूट-खसोट की प्रवृत्ति न केवल व्यापारिक नैतिकता का हनन करती थी, बल्कि नवाब की सत्ता को भी चुनौती देती थी।

निष्कर्ष

बक्सर की लड़ाई भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई। अंग्रेजों की रुचि तीन तटीय क्षेत्रों अर्थात् कलकत्ता, बंबई और मद्रास में केंद्रित थी। कर्नाटक में एंग्लो-फ्रांसीसी युद्ध और पलासी और बक्सर की लड़ाई से भारत पर ब्रिटिश विजय का काल शुरू हुआ। 1765 तक अंग्रेज बंगाल, बिहार और ओडिसा के आभासी शासक बन गए थे। अवध के नवाब उन पर निर्भर हो गए थे और कर्नाटक के नवाब भी, जो उनकी रचना थे।

ऐसे में भारत में अंग्रेजों की पकड़ और मजबूत करने के लिए बक्सर का युद्ध महत्वपूर्ण साबित हुआ था, जिसके बाद अंग्रेजों ने अपने अधिकार क्षेत्र को बढ़ा दिया था।  

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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