Independence Day 2024: दुनिया में जब भी सांस्कृतिक विरासत, अनूठी परंपराओं और समृद्ध इतिहास की बात होती है, तो सबसे शीर्ष पर भारत का नाम आता है। हमारा प्यारा भारत इस वर्ष अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है।
हालांकि, यहां तक का सफर आसान नहीं था, क्योंकि यह दिन देखने के लिए भारत के स्वतंत्रता सेनानियों ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए ब्रिटिश सेना से लोहा लिया और अपने प्राणों की आहूति दी। इसके बाद यह दिन देखने को मिला।
आपने आजादी के अलग-अलग नायकों के बारे में पढ़ा और सुना होगा। हालांकि, इस लेख के माध्यम से हम आजादी के उन 10 नायकों के बारे में जानेंगे, जिनका नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों के साथ दर्ज हैं।
Independence Day 2024: आजादी के 10 नायक
तांत्या टोपे (1814-1859)
तांत्या टोपे रानी लक्ष्मीबाई के करीबी सहयोगी थे, जो कि 1857 के भारतीय विद्रोह में एक जनरल थे। टोपे ने ब्रिटिश सेना के खिलाफ सफल सैन्य अभियानों का नेतृत्व किया तथा उन्हें गुरिल्ला युद्ध रणनीति के लिए याद किया जाता है।
अरुणा आसफ अली (1909-1996)
अरुणा आसफ अली ने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने आंदोलन के दौरान मुंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का झंडा फहराया। इनसे उन्हें एक नई पहचान मिली थी।
बिरसा मुंडा (1875-1900)
बिरसा मुंडा ने 19वीं सदी के अंत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ मुंडा विद्रोह का नेतृत्व किया था। उन्हें मुंडा विद्रोह के लिए जाना जाता है। झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में बिरसा मुंडा को नायक माना जाता है।
मातंगिनी हाजरा (1870-1942)
मातंगिनी हाजरा भारत छोड़ो आंदोलन और असहयोग आंदोलन का हिस्सा थीं। साल 1942 में एक जुलूस का नेतृत्व करते समय ब्रिटिश पुलिस ने उन्हें गोली मार दी थी। आपको बता दें कि गोली लगने के बाद भी उन्होंने "वंदे मातरम" का नारा लगाना जारी रखा और उनके हाथ में तिरंगा लहराता रहा था।
भीकाजी कामा (1861-1936)
भीकाजी कामा को भारत के राष्ट्रीय ध्वज के डिजाइन का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने विदेशों में भारत की स्वतंत्रता की वकालत की थी। ऐसे में वह आजादी की महत्त्वपूर्ण नायक हैं।
अल्लूरी सीताराम राजू (1897-1924)
आपने फिल्म ‘RRR’ देखी होगी, जो कि अल्लूरी सीताराम राजू पर आधारित हैं। राजू आंध्र प्रदेश के एक आदिवासी नेता थे, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ 1922-24 के रम्पा विद्रोह का नेतृत्व किया था।
-कनकलता बरुआ (1924-1942)
बरुआ असम की एक किशोर स्वतंत्रता सेनानी थी। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान एक जुलूस का नेतृत्व करते समय ब्रिटिश पुलिस ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी। खास बात यह है कि उन्होंने भारतीय ध्वज को खुद से लगा रखा और मृत्यु के बाद भी ध्वज को गिरने नहीं दिया।
-पोट्टी श्रीरामुलु (1901-1952)
पोट्टी श्रीरामुलु एक कट्टर गांधीवादी के रूप में जाने जाते थे। श्रीरामुलु पृथक आंध्र राज्य के निर्माण की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठ गए थे। अंत में उनकी मृत्यु हो गई और इससे देश में पहला भाषा आधारित राज्य आंध्र प्रदेश का गठन हुआ।
-वेलु नचियार (1730-1796)
तमिलनाडु में शिवगंगा की रानी वेलु नचियार भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक सत्ता के खिलाफ युद्ध छेड़ने वाली पहली भारतीय रानी थीं।
-बाघा जतिन (1879-1915)
जतिन्द्रनाथ मुखर्जी को हम बाघा जतिन के नाम से भी जानते हैं। वह ब्रिटिश शासन के खिलाफ क्रांतिकारी नेता थे। जतिन को ब्रिटिश सेनाओं के साथ साहसिक मुठभेड़ों के लिए याद किया जाता है, जिन्होंने आजादी की लड़ाई में अपने अदम्य साहस का परिचय दिया था।
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