Independence Day 2024 Shayari, Kavita in Hindi: भारत इस वर्ष अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। आजादी का यह पर्व सिर्फ पर्व तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उस दिन को याद करने का प्रतीक है, जब कई शहादत और लंबे संघर्ष के बाद देशवासियों ने आजाद भारत का सूर्योदय देखा था।
इसके लिए देश के घर में एक ज्वाला उठी थी, जिसने समय के साथ-साथ अपने विशाल रूप धारण किया और क्रांति की आग ने भारत की आजादी के सपने को सच करने में सहयोग किया। यही वजह है कि इस दिन को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है और इस दिन स्कूलों से लेकर कॉलेज व अन्य कार्यालयों में देशभक्ति से जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
इस कड़ी में भारत के इस स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हम कुछ शायरी और कविताओं को साझा कर रहे हैं, जिन्हें आप अपनों के साथ साझा कर सकते हैं।
Independence Day 2024 Shayari, Kavita in Hindi: स्वतंत्रता दिवस पर कुछ प्रमुख कविताएं
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है जोर कितना बाजू-ए-कातिल में है
ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तिरे ऊपर निसार
ले तिरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफ़िल में है
वाए क़िस्मत पांव की ऐ ज़ोफ़ कुछ चलती नहीं
कारवां अपना अभी तक पहली ही मंज़िल में है
रहरव-ए-राह-ए-मोहब्बत रह न जाना राह में
लज़्ज़त-ए-सहरा-नवर्दी दूरी-ए-मंज़िल में है
शौक़ से राह-ए-मोहब्बत की मुसीबत झेल ले
इक ख़ुशी का राज़ पिन्हां जादा-ए-मंज़िल में है
आज फिर मक़्तल में क़ातिल कह रहा है बार बार
आएं वो शौक़-ए-शहादत जिन के जिन के दिल में है
मरने वालो आओ अब गर्दन कटाओ शौक़ से
ये ग़नीमत वक़्त है ख़ंजर कफ़-ए-क़ातिल में है
माने-ए-इजहार तुम को है हया, हम को अदब
कुछ तुम्हारे दिल के अंदर कुछ हमारे दिल में है
मय-कदा सुनसान ख़ुम उल्टे पड़े हैं जाम चूर
सर-निगूं बैठा है साक़ी जो तिरी महफ़िल में है
वक़्त आने दे दिखा देंगे तुझे ऐ आसमां
हम अभी से क्यूं बताएं क्या हमारे दिल में है
अब न अगले वलवले हैं और न वो अरमां की भीड़
सिर्फ़ मिट जाने की इक हसरत दिल-ए-'बिस्मिल' में है
कवि - बिस्मिल अजीमाबादी
इंसान जहां बेचा जाता, ईमान खरीदा जाता है।
इस्लाम सिसकियां भरता है, डालर मन में मुस्काता है॥
भूखों को गोली नंगों को हथियार पिन्हाए जाते हैं।
सूखे कंठों से जेहादी नारे लगवाए जाते हैं॥
लाहौर, कराची, ढाका पर मातम की है काली छाया।
पख्तूनों पर, गिलगित पर है ग़मगीन गुलामी का साया॥
बस इसीलिए तो कहता हूं आज़ादी अभी अधूरी है।
कैसे उल्लास मनाऊं मैं? थोड़े दिन की मजबूरी है॥
दिन दूर नहीं खंडित भारत को पुन: अखंड बनाएंगे।
गिलगित से गारो पर्वत तक आज़ादी पर्व मनाएंगे॥
उस स्वर्ण दिवस के लिए आज से कमर कसें बलिदान करें।
जो पाया उसमें खो न जाएं, जो खोया उसका ध्यान करें॥
कवि - अटल बिहारी वाजपेयी
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा।
सदा शक्ति बरसाने वाला, प्रेम सुधा सरसाने वाला, वीरों को हर्षाने वाला
मातृभूमि का तन-मन सारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा।
स्वतंत्रता के भीषण रण में, लखकर जोश बढ़े क्षण-क्षण में, कांपे शत्रु देखकर मन में,
मिट जाये भय संकट सारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा।
इस झंडे के नीचे निर्भय, हो स्वराज जनता का निश्चय, बोलो भारत माता की जय,
स्वतंत्रता ही ध्येय हमारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा।
आओ प्यारे वीरों आओ, देश-जाति पर बलि-बलि जाओ, एक साथ सब मिलकर गाओ,
प्यारा भारत देश हमारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा।
इसकी शान न जाने पावे, चाहे जान भले ही जावे, विश्व-विजय करके दिखलावे,
तब होवे प्रण-पूर्ण हमारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा।
कवि - श्यामलाल गुप्त पार्षद
Independence Day 2024 Shayari, Kavita in Hindi: स्वतंत्रता दिवस पर कुछ प्रमुख शायरी
-चलो झुक कर सलाम करें उन्हें, जिनके हिस्से में ये मुकाम आता है। खुशनसीब होता है वो खून देश के काम आता है।
-दिल से निकलेगी न मरकर भी वतन की उल्फत, मेरी मिट्टी से भी खुशबू-ए-वतन आएगी। तुम्हें दिल से कैसे जुदा कर दूं, जब हर सांस में बसा वतन आएगा।
-आजादी की कभी शाम न होने देंगे, शहीदों की कुर्बानी बदनाम न होने देंगे। बची हो जो एक बूंद भी गरम लहू की, तब तक भारत माता का आंचल नीलाम न होने देंगे।
-वतन की सरजमीं पर ये प्यार हम लुटाएंगे, हर हाल में इसे दिल से अपनाएंगे। हम ही होंगे इस देश के पहरेदार, जो देश पर मर मिटे, उनका हर कर्ज चुकाएंगे।
-न पूछो जमाने से कि क्या हमारी कहानी है, हमारी पहचान तो बस इतनी है कि हम हिंदुस्तानी हैं। हिंद की फिजाओं में बसी हुई शान है हमारी, सबसे ऊंचा है तिरंगा, ये पहचान है हमारी।
-मिल जाएंगे जमाने में सनम बहुत, वतन से बढ़कर कोई सनम नहीं होता। नोटों में लिपटकर, सोने से सिमटकर मरे हैं कई, लेकिन तिरंगे से खूबसूरत कफन नहीं होता।
-मुझे कसम है इस मिट्टी की न सिर तेरा झुकने दूंगा, गौरवशाली उन पन्नों से मैं नाम वतन का न मिटने दूंगा।
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