भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज किस राज्य में है, यहां जानें

Dec 4, 2024, 13:46 IST

हाल ही में भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज चर्चाओं में रहा है। वजह है कि इसका बनकर तैयार होना। इस कड़ी में हम इस लेख में जानेंगे कि भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज क्या होता है और यह किस राज्य में है। 

भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज
भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज

भारत में नहरें और नदियों की कमी नहीं है, जो कि अंत में जाकर समुद्र में जाकर मिल जाती हैं। इन नहरों और नदियों से लेकर समुद्र पर हमें विभिन्न पुल देखने को मिल जाएंगे। आपने भारत के अलग-अलग पुल के बारे में सुना और पढ़ा होगा।

इनमें से कुछ बड़े पुल समुद्र के ऊपर बने हुए हैं। इस कड़ी में क्या आप जानते हैं कि भारत को अपना पहला वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज भी मिल गया है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि वर्टिकल ब्रिज क्या होता है और यह भारत के किस राज्य में है, यदि नहीं जानते हैं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे। 

क्या होता है लिफ्ट ब्रिज

सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज क्या होता है। आपने अक्सर फिल्मों में देखा होगा कि समुद्र के ऊपर बने पुल खुल जाते हैं और उनके बीच से समुद्री जहाज गुजरते हैं। कुछ इसी तरह का लिफ्ट ब्रिज अब अपने भारत में बन गया है। इस ब्रिज को इस तरह से बनाया गया है, जिससे इसके बीच से कोई भी समुद्री जहाज और नाव आसानी से गुजर सके। 

किस राज्य में है भारत का पहला  लिफ्ट ब्रिज 

अब सवाल है कि भारत का पहला लिफ्ट ब्रिज किस राज्य में है, तो आपको बता दें कि यह तमिलनाडू राज्य में स्थित है। भारत की मुख्य भूमि तमिलनाडू के मंडपम को रामेश्वरम द्वीप से जोड़ता है। 

2019 में रखी गई थी आधारशीला

इस पुल की आधारशीला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा साल 2019 में पुराने पंबन पुल के सामानांतर रखी गई थी। वहीं, साल 2020 में इस पुल का निर्माण कार्य रेल विकास निगम लिमिटेड द्वारा शुरू किया गया था। साल 2021 तक इसका निर्माण कार्य शुरू होना था, लेकिन कोविड महामारी के कारण इसका काम पूरा नहीं हो सका। यह मौजूदा पुल से 3 मीटर ऊंचा है। 

कितना किलोमीटर लंबा है पुल 

इस पुल की लंबाई की बात करें, तो यह कुल 2.07 किलोमीटर लंबा है। यह समुद्र तल से कुल 22 मीटर की एयर क्लीयरेंस प्रदान करता है। इस पुल में 18.3 मीटर के कुल 100 स्पेन हैं।

क्या है पुल की विशेषता

-इस पुल के माध्यम से नाव व जहाज का सुरक्षित संचालन किया जा सकता है।

-नए पुल के माध्यम से ट्रेन 80 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चल सकेगी, जबकि पुराना पुल कमजोर होने की वजह से इस पर ट्रेन 10 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चलती है।

-इस पुल पर इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक नियंत्रण सिस्टम है, जो कि ट्रेन के नियंत्रण सिस्टम से जुड़ा होगा।

-नए पुल पर डबल लाइन का प्रावधान किया गया है।

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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