ग्लेशियर या हिमानी या हिमनद (Glacier) पृथ्वी की सतह पर विशाल आकार की गतिशील बर्फराशि को कहते है जो अपने भार के कारण पर्वतीय ढालों का अनुसरण करते हुए नीचे की ओर प्रवाहमान होती है। यह पृथ्वी पर ताजे पानी का सबसे बड़ा जलाशय है (दुनिया के ताजा पानी का 75 प्रतिशत)। हिमालय के ग्लेशियर से तात्पर्य उन ग्लेशियरों या ग्लेशियरों से है जो हिमालय पर्वत श्रेणी पर पाए जाते हैं। हिमालय पर्वत श्रृंखला के महत्वपूर्ण ग्लेशियरों तथा उनके स्थान के नाम नीचे दिए गए हैं:
हिमालय पर्वत श्रृंखला के महत्वपूर्ण ग्लेशियरों की सूची
ग्लेशियर के नाम | स्थान |
सियाचिन | हिमालय के पूर्वी काराकोरम रेंज |
फेद्चेंको (यह ध्रुवीय क्षेत्रों के बाहर दुनिया का सबसे लंबा ग्लेशियर है) | काराकोरम |
हिस्पार | काराकोरम |
बिअफो | काराकोरम |
बल्तोरो | काराकोरम |
रोंग्बुक | कंचनजंगा एवरेस्ट |
चोंगो-लुन्गमा | काराकोरम |
खुर्दाप्लो | काराकोरम |
लोलोफोंद | काराकोरम |
यारकंद रिमो | काराकोरम |
गंगोत्री | कुमाऊं-गढ़वाल |
गॉडविन ऑस्टेन | काराकोरम |
पसु | काराकोरम |
जेमू | कंचनजंगा एवरेस्ट |
चोंग कुमदान | काराकोरम |
कंचनजंगा | कंचनजंगा एवरेस्ट |
मिलाम | कुमाऊं-गढ़वाल |
चुन्ग्पुर | पीर पंजाल |
तो लाम बाउ | कंचनजंगा एवरेस्ट |
भगीरथ खराक | कुमाऊं-गढ़वाल |
सोनापानी | पीर पंजाल |
बारा शिघी | पीर पंजाल |
रखीओत | पीर पंजाल |
गंग्री | पीर पंजाल |
राम्बंग | कंचनजंगा एवरेस्ट |
कफनी ग्लेशियर | कुमाऊं-गढ़वाल |
कलबालैंड ग्लेशियर | कुमाऊं-गढ़वाल |
केदार बामक ग्लेशियर | कुमाऊं-गढ़वाल |
मेला ग्लेशियर | कुमाऊं-गढ़वाल |
नामिक ग्लेशियर | कुमाऊं-गढ़वाल |
पंचचुली ग्लेशियर | कुमाऊं-गढ़वाल |
पिंडारी ग्लेशियर | कुमाऊं-गढ़वाल |
रलेम ग्लेशियर | कुमाऊं-गढ़वाल |
सोना ग्लेशियर | कुमाऊं-गढ़वाल |
सातोपंथ ग्लेशियर | कुमाऊं-गढ़वाल |
सुंदरदघा ग्लेशियर | कुमाऊं-गढ़वाल |
डोक्रियन ग्लेशियर | कुमाऊं-गढ़वाल |
चोरबारी ग्लेशियर | कुमाऊं-गढ़वाल |
लोनक | उत्तर-पूर्व हिमालय |
छोटा शिगुरी | पीर पंजाल |
ट्रांगो | काराकोरम |
हिमानियों या ग्लेशियरो या हिमनद द्वारा कई प्रकार के स्थलरूप भी निर्मित किये जाते हैं जिनमें प्लेस्टोसीन काल के व्यापक हिमाच्छादन (Glaciation) के दौरान बने स्थलरूप प्रमुख हैं। इस काल में ग्लेशियरो का विस्तार काफ़ी बड़े क्षेत्र में हुआ था और इस विस्तार के दौरान और बाद में इन हिमानियों या ग्लेशियरो के निवर्तन से बने स्थलरूप उन जगहों पर भी पाए जाते हैं जहाँ आज उष्ण या शीतोष्ण जलवायु पायी जाती है।
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