भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट रेल ब्रिज न्यू पम्बन ब्रिज पूरा होने वाला है और अप्रैल 2025 तक चालू होने की उम्मीद है । 2.10 किलोमीटर लम्बी यह रेल लाइन मुख्य भूमि पर स्थित मंडपम को पंबन द्वीप पर स्थित रामेश्वरम से जोड़ेगी , जिससे तमिलनाडु में रेल संपर्क बढ़ेगा।
यह पुल ब्रिटिश काल के पुराने पम्बन पुल की जगह लेगा , जो एक शताब्दी से अधिक समय से इस क्षेत्र की सेवा कर रहा है। इसका आधुनिक ऊर्ध्वाधर लिफ्ट डिजाइन जहाजों के गुजरने के लिए 72.5 मीटर लंबे हिस्से को ऊपर उठाने में मदद करता है , जिससे निर्बाध समुद्री नौवहन सुनिश्चित होता है।
नवंबर 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शिलान्यास के बाद फरवरी 2020 में पुल का निर्माण शुरू हुआ था । COVID-19 महामारी के कारण हुई देरी के बावजूद परियोजना अब अपने अंतिम चरण में है।
535 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इस पुल को 75 किमी/घंटा की गति से चलने वाली ट्रेनों के लिए डिजाइन किया गया है। साथ ही, समुद्री जल से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए 22 मीटर की हवाई निकासी भी की गई है ।
नया पम्बन ब्रिज एक प्रमुख बुनियादी ढांचागत मील का पत्थर है। इससे क्षेत्र में परिवहन, व्यापार और पर्यटन में सुधार होगा तथा साथ ही अधिक सुरक्षित और टिकाऊ रेल संपर्क उपलब्ध होगा।
नया पम्बन ब्रिज भारत में एक महत्त्वपूर्ण इंजीनियरिंग चमत्कार है, जो देश का पहला वर्टिकल लिफ्ट रेल ब्रिज है। इसे 105 वर्ष पुराने पम्बन ब्रिज की जगह लेने के लिए डिजाइन किया गया है, जिससे भारतीय मुख्य भूमि और तमिलनाडु में रामेश्वरम द्वीप के बीच संपर्क बढ़ेगा।
-प्रमुख विशेषताएं
-लंबाई और डिजाइन: पुल की लंबाई लगभग 2.10 किलोमीटर है, जिसमें 72 मीटर का ऊर्ध्वाधर उठा हुआ भाग है। इसका निर्माण पुराने पम्बन ब्रिज के समानांतर किया गया है और इसमें 18.3 मीटर के 99 खंड शामिल हैं।
-ऊर्ध्वाधर लिफ्ट तंत्र: पुल के ऊर्ध्वाधर लिफ्ट क्षेत्र को ऊपर उठाया जा सकता है, जिससे जहाज नीचे से गुजर सकें, तथा 22 मीटर तक की वायु निकासी हो सके। यह तंत्र पूरी तरह से स्वचालित है तथा पुराने पुल के मैनुअल संचालन के विपरीत, इसमें इलेक्ट्रोमैकेनिकल प्रणाली का उपयोग किया जाता है।
-गति और क्षमता: नया पुल अधिक गति वाली रेलगाड़ियों को सहारा दे सकता है - अधिकांश खंडों पर 75 किमी/घंटा तक तथा लिफ्टिंग खंड पर 50 किमी/घंटा तक - जबकि पुराने पुल पर लिफ्टिंग खंड पर यह गति सीमा 10 किमी/घंटा थी।
-निर्माण विवरण: रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) द्वारा 535 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित यह परियोजना फरवरी 2020 में शुरू हुई और महामारी के कारण इसमें देरी हुई।
-बेहतर संपर्क: इस पुल से रामेश्वरम और मुख्य भूमि के बीच रेल संपर्क में सुधार होगा, जिससे क्षेत्र में पर्यटन और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
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