भारत के उत्तर में जब भी प्रमुख राज्यों की बात होती है, तो इसमें हरियाणा राज्य का नाम भी प्रमुखता से लिया जाता है। देश का यह राज्य क्षेत्रफल के हिसाब से 20वां सबसे बड़ा राज्य है, जो कि 44,212 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यहां का देशी खान-पान, संस्कृति और अनूठी परंपराएं इसे अन्य राज्यों से विशेष दर्जा प्रदान करती हैं।
उपजाऊ मिट्टी की वजह से राज्य कृषि के क्षेत्र में भी महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है और देश में विभिन्न फसलों की आपूर्ति करता है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि भारत के इस राज्य का गठन कब और कैसे हुआ था। इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
पंजाब से अलग कर हुआ राज्य का गठन
हरियाणा राज्य का गठन पंजाब राज्य से अलग कर किया गया था। दरअसल, भाषा के आधार पर पंजाब के पुनर्गठन के परिणामस्वरूप हरियाणा को अलग से गठित किया गया था।
भाषा के आधार पर हुई अलग राज्य की मांग
देश के आजाद होने के बाद पंजाब में पंजाबी और हिंदी बोलने वाले लोगों के बीच भाषाई और सांस्कृतिक तनाव बढ़ने लगा था। ऐसे में हिंदी बोलने वाले लोगों ने पंजाब से अलग होकर एक नए राज्य की मांग रखी और इसे हरियाणा राज्य आंदोलन नाम भी दिया गया।
शाह आयोग ने किया सीमांकन
लोगों की मांग को देखते हुए 1966 में सरकार की ओर से जस्टिस जे.सी. शाह की अध्यक्षता में भाषा के आधार पर सीमांकन की काम तय किया गया। आयोग ने हिंदी और पंजाबी भाषा के आधार पर सीमाओं का निर्धारण किया। वहीं, शाह आयोग की सिफारिश के बाद संसद में 18 सितंबर, 1966 को पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 पारित किया गया। इससे पंजाब राज्य विभाजित हुआ, जिसमें से हरियाणा राज्य को हिंदी भाषा क्षेत्र वाला राज्य बनाया गया।
पहाड़ी क्षेत्र को हिमाचल प्रदेश में किया शामिल
राज्यों के गठन के साथ ही कुछ पहाड़ी क्षेत्र बच गया। इसे देखते हुए सरकार की ओर से इस पहाड़ी क्षेत्र को हिमाचल प्रदेश में शामिल कर दिया गया, जिससे कोई भी विवाद न हो। वहीं, दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी के रूप में चंडीगढ़ को चुना गया, जो कि एक केंद्र शासित प्रदेश है, जिससे इसका नियंत्रण केंद्र सरकार के पास रहे।
कब हुआ हरियाणा राज्य का गठन
सभी फैसले होने के बाद 1 नवंबर, 1966 को 44,212 वर्ग किलोमीटर एरिया के साथ हरियाणा राज्य को देश का 17वां राज्य बनाया गया। राज्य में कुल 10 लोकसभा सीट, 5 राज्यसभा सीट, 10 नगर निगम, 19 नगर परिषद् और 58 नगर समितियां हैं।
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