विश्व एड्स दिवस 2019: AIDS बीमारी की शुरुआत कब और कहां से हुई?

Nov 30, 2019, 15:46 IST

UNICEF के अनुसार 2018 में लगभग 2.8 मिलियन बच्चे और किशोर अवस्ता के बच्चे एचआईवी के साथ जी रहे थे. 10-19 वर्ष की आयु के किशोरों में लगभग 190,000 नए एचआईवी संक्रमण 2018 में पाए गए जिनमें से 4 में 3 लड़कियां थी. क्या आप जानते हैं कि एड्स की शुरुआत कहां से हुई, यह बीमारी सबसे पहले कहां पाई गई थी, किसको हुई थी और किस प्रकार पूरी दुनिया में फैल गई? आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.    

Origin of AIDS disease
Origin of AIDS disease

ये हम सब जानते हैं कि एड्स (AIDS) एक ऐसी बिमारी है जिसका इलाज अभी तक खोजा नहीं जा सका है परन्तु क्या आपने कभी सोचा है कि एड्स बीमारी की शुरुआत कहां से हुई, सबसे पहले यह बीमारी कहां पाई गई थी, किसको हुई थी और किस प्रकार पूरी दुनिया में फैल गई. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.

एड्स (AIDS) क्या है?

एड्स को Acquired Immune Deficiency Syndrome कहते हैं जो कि HIV (Human immunodeficiency virus) से होता है जिसके कारण मानव की प्राक्रतिक प्रतिरोधी क्षमता कमजोर हो जाती है. यानी HIV मनुष्य की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) को खत्म कर देता है. हमारे शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली का काम होता है शरीर को संक्रामक बीमारियों जो कि जीवाणु और विषाणु से होती हैं से बचाना. परन्तु HIV वायरस के कारण मनुष्य बीमारियों से लड़ने की ताकत खो देता है, इसलिए एड्स एक बीमारी ना हो के सिंड्रोम है.

इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि अगर एड्स से पीड़ित व्यक्ति को कोई बीमारी हो जाए तो ज्यादातर देखा गया है कि उस बीमारी का इलाज होना मुमकिन नहीं हो पाता है. इसलिए एड्स से पीड़ित मरीज एड्स के कारण नहीं मरता है बल्कि किसी अन्य बीमारी या संक्रमण या फिर दोनों के कारण उसकी मृत्यु हो जाती है.

हमारे शरीर में इम्यूनिटी सिस्टम कितना मजबूत है और कितना नहीं इसका पता आप कैसे लगा सकते हैं?

सीडी 4 कोशिकाओं की गिनती से ये पटाया लगाया जा सकता है कि शरीर में इम्यून सिस्टम कितना स्ट्रोंग है. यहीं आपको बता दें कि एक स्वस्थ मनुष्य में सीडी 4 कोशिकाओं की संख्या 500 से 1600 प्रति घन मिलीमीटर के बीच में होती है. एड्स से पीड़ित मरीज में इन कोशिकाओं की संख्या 500 प्रति घन मिलीमीटर से कम हो जाती है और इसलिए बैक्टीरिया, वायरस, कवक या प्रोटोजोआ के कारण मनुष्य के शरीर में संक्रमण होता रहता है.

मलेरिया क्या है और कितने प्रकार का होता है?

क्या आप जानते हैं कि एड्स बीमारी की उत्पत्ति कहां से हुई और कैसे?

कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार एचआईवी वायरस सबसे पहली बार 19वीं सदी की शुरुआत में जानवरों में मिला था. इंसानों में यह चिम्पांजी से आया था. 1959 में कांगों के एक बीमार आदमी के खून का नमूना लिया गया. कई सालों बाद डॉक्टरों को उसमें एचआईवी का वायरस मिला और ऐसा माना गया है कि यह व्यक्ति एचआईवी से संक्रमित पहला व्यक्ति था.

वैज्ञानिकों ने एचआईवी की उत्पत्ति को चिम्पांजी और सिमियन इम्यूनोडेफिशियेंसी वायरस (SIV) को माना. SIV एक एचआईवी के जैसा ही वायरस है जो कि बंदरों और एप की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमज़ोर करता है. किन्शासा में संभवतः संक्रमित खून के संपर्क में आने से यह मनुष्यों तक पहुंचा. इस वायरस ने चिंपैंजी, गोरिल्ला, बंदर और फिर मनुष्यों को अपने प्रभाव में लिया. कैमरून में एचआईवी-1 सबग्रुप ओ ने लाखों लोगों को संक्रमित किया.

Origin and evolution of AIDS

Source: www dailymail.co.uk.com

साइंस जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार भी वैज्ञानिकों ने वायरस के जेनेटिक कोड के नमूने का विश्लेषण किया है और इससे यह पता चला है कि इस बिमारी की उत्पत्ति किंशासा शहर, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो की राजधानी से हुई है. कांगो की राजधानी में तेजी से बढ़ती वैश्याव्रत्ति आबादी और दवाइयों की दुकानों में संक्रमित सुइयों का उपयोग इत्यादि कुछ कारणों में से हो सकते हैं.

1960 के दशक में, एचआईवी अफ्रीका से हैती और कैरिबियन तक फैल गया जब औपनिवेशिक लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो से हैती पेशेवर लोग घर लौट के आए थे. फिर वायरस 1970 के आसपास कैरिबियन से न्यूयॉर्क शहर और फिर एक दशक में सैन फ्रांसिस्को तक पहुंच गया. संयुक्त राज्य अमेरिका से अंतर्राष्ट्रीय यात्रा ने दुनिया भर में वायरस को फैलाने में मदद की. यद्यपि एचआईवी 1970 के आसपास संयुक्त राज्य अमेरिका में पहुंचा, लेकिन 1980 के दशक तक जनता के ध्यान में नहीं आया था.

एड्स की पहचान 1981 में हुई थी. डॉक्टर माइकल गॉटलीब ने लॉस एंजिलिस में पांच मरीजों में एक अलग किस्म का निमोनिया पाया. डॉक्टर ने पाया कि इन सब मरीजों में रोग से लड़ने वाला तंत्र अचानक से कमजोर पड़ गया था. ये पांचों मरीज समलैंगिक थे इसलिए शुरुआत में डॉक्टरों को लगा कि यह बीमारी केवल समलैंगिकों में ही होती है. इसीलिए एड्स को ग्रिड यानी गे रिलेटिड इम्यून डेफिशिएंसी का नाम दिया गया.

फ्रांस में 1983 में लुक मॉन्टेगनियर और फ्रांसोआ सिनूसी ने एलएवी वायरस की खोज की थी और 1984 के आसपास अमेरिका के रॉबर्ट गैलो ने एचटीएलवी 3 वायरस की खोज की थी. 1985 के आसपास ज्ञात हुआ कि ये दोनों वायरस एक ही हैं. मॉन्टेगनियर और सिनूसी को नोबेल पुरस्कार से 1985 में सम्मानित किया गया. 1986 में पहली बार इस वायरस को एचआईवी यानी Human immunodeficiency virus वायरस का नाम मिला.

पूरी दुनिया में इसके बाद एड्स के बारे में लोगो को जागरूक करने के अभियान शुरू हो गए और 1988 से हर साल 1 दिसंबर को वर्ल्ड एड्स डे के रूप में मनाया जाता है. इस बार 2019 का थीम है: "Ending the HIV/AIDS Epidemic: Community by Community".

जीका (ZIKA) वायरस क्या है और यह कैसे फैलता हैं?

1991 में पहली बार लाल रिबन को एड्स का निशान बनाया गया. यह एड्स पीड़ित लोगों के खिलाफ दशकों से चले आ रहे भेदभाव को खत्म करने की एक कोशिश थी. 1994 में, FDA ने पहले मौखिक (और गैर-रक्त) एचआईवी परीक्षण को मंजूरी दी. दो साल बाद, यह पहली होम टेस्टिंग किट और पहला यूरिन टेस्ट को मंजूरी दे दी गई. 1995 में नई दवाओं और antiretroviral therapy (ART) या highly active antiretroviral treatment (HAART) HAART की शुरूआत के कारण विकसित देशों में एड्स से संबंधित मौतों और अस्पताल में तेजी से गिरावट आई. फिर भी, 1999 तक, एड्स दुनिया में मौत का चौथा सबसे बड़ा कारण था और अफ्रीका में मौत का प्रमुख कारण भी था.

एचआईवी के उपचार की प्रगति कैसे हुई?

2001 में, जेनेरिक दवा निर्माताओं ने विकासशील देशों को पेटेंट एचआईवी दवाओं की छूट वाली प्रतियां बेचना शुरू कर दिया, जिससे कई प्रमुख दवा निर्माताओं ने एचआईवी दवाओं की कीमत को कम कर दिया. अगले वर्ष, एचआईवी / एड्स (संयुक्त राष्ट्र संघ) पर संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम ने बताया कि उप-सहारा अफ्रीका में एड्स अब तक मौत का प्रमुख कारण था.

खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) ने 2012 में एचआईवी-negative लोगों के लिए प्री-एक्सपोजर प्रोफेलेक्सिस (pre-exposure prophylaxis), या PrEP को अनुमोदित किया. रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) के मुताबिक, अगर इसको रोज लिया जाए तो PrEP एचआईवी के खतरे को 90 प्रतिशत से ज्यादा और अंतःशिरा (intravenous) दवाओं के उपयोग से 70 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है.

दुनिया में भारत का एचआईवी/एड्स बीमारी को लेकर तीसरा स्थान है. 2017 में, वयस्कों (15-49 आयु वर्ग) के बीच एचआईवी प्रसार अनुमानित 0.2% था. यह आंकड़ा अधिकांश अन्य मध्यम आय वाले देशों की तुलना में छोटा है, लेकिन भारत की विशाल आबादी (1.3 बिलियन लोगों) के कारण यह 2.1 मिलियन लोगों को है जो एचआईवी के साथ रहते हैं.

कुल मिलाकर देखा जाए तो भारत में एचआईवी/एड्स बीमारी का स्थर अब गिर रहा है. 2010 और 2017 के बीच नए संक्रमण में 27% की गिरावट आई और एड्स से संबंधित मौतों की संख्या में कमी हुई और 56% की गिरावट आई. हालांकि, 2017 में, 80,000 से नए संक्रमण 88,000 हो गए और 62,000 'यूएनएड्सएस डेटा 2017' के मुताबिक एड्स से संबंधित मौतों की संख्या बढ़कर 69,000 हो गई.

तो अब आपको ज्ञात हो गया होगा कि एड्स की शुरुआत कांगो की राजधानी किंशासा से हुई थी और फिर यह अन्य देशों में फैल गया.

'हाई ग्रेड' मेटास्टैटिक कैंसर क्या है?

न्यूरोपैथी रोग क्या है और यह कैसे होता है?

Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
... Read More

आप जागरण जोश पर भारत, विश्व समाचार, खेल के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए समसामयिक सामान्य ज्ञान, सूची, जीके हिंदी और क्विज प्राप्त कर सकते है. आप यहां से कर्रेंट अफेयर्स ऐप डाउनलोड करें.

Trending

Latest Education News