देश की राजधानी नई दिल्ली, जो कि दिल्ली शहर में बसी हुई है। वहीं, कई बार उजड़ी और कई बार संवरी दिल्ली का अपना समृद्ध इतिहास है, जहां पर अलग-अलग वंश के राजाओं ने राज किया। शुरुआत में यहां पर गांव ही हुआ करते थे।
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हालांकि, समय की सुई ने अपने बढ़ने के साथ यहां पर कई बदलाव किए और शहरों ने गांवों की जगह ले ली। हालांकि, आज भी यहां पर कई पुराने गांव देखे जा सकते हैं। इन्हीं सब गांवों में से एक गांव ऐसा भी है, जिसे दिल्ली का सबसे अमीर गांव भी कहा जाता है। क्या आप जानते हैं कि दिल्ली का सबसे अमीर गांव कौन-सा है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम दिल्ली के सबसे अमीर गांव के बारे में जानेंगे।
कौन-सा है दिल्ली का सबसे अमीर गांव
दिल्ली में मौजूदा समय में 11 जिले हैं और 33 तहसील हैं। दिल्ली का सबसे बड़ा जिला उत्तर-पश्चिम जिला है, जबकि छोटा जिला शाहदरा जिला है। वहीं, पूरी दिल्ली में 350 से भी अधिक गांव हैं। इन्हीं गांवों में दक्षिण दिल्ली का हौज खास गांव है, जिसे दिल्ली का सबसे अमीर गांव कहा जाता है।
क्यों है दिल्ली का सबसे अमीर गांव
अब आप यह सोच रहे होंगे कि आखिर हौज खास ही दिल्ली का सबसे अमीर गांव क्यों है। आपको बता दें कि हौजखास गांव मौजूदा समय में इतिहास के साथ आधुनिकता की गांठ से बंधा हुआ है।
इसके नाम में जरूर गांव है, लेकिन दिल्ली में एक अच्छी शाम बिताने के लिए इस गांव नाम टॉप पर आता है। जो लोग पार्टी, सेलिब्रेशन, पब व बार में दोस्तों के साथ हैंगआउट करने चाहते है, उनके लिए यह जगह पहली पसंद है।
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इस जगह को दिल्ली के पॉश इलाकों में भी गिना जाता है। यहां पहुंचने पर आपको सड़क के दोनों तरफ बने पब और बार के बीच बनी गलियां भारत की अन्य गलियों से अलग ही दिखेंगी। यहां के माहौल में एक समृद्ध इतिहास के साथ आधुनिकता का रंग साफ झलकता है।
आसपास बनी एतिहासिक इमारतें एक तरफ जहां आपको पुराने इतिहास से रूबरू करवाएंगी, तो चकाचौंध से भरी इसकी आंतरिक दुनिया आपकी थाली में आधुनिकता को भी परोसने का काम करेंगी।
1980 के बाद बदलने लगा था यहां का रूप
हौज खास के इतिहास की बात करें, तो यहां पर खिलजी वंश के शासक अलाउद्दीन खिलजी ने पानी की आपूर्ति के लिए एक टैंक का निर्माण करवाया था। आज भी यहां पर कई पुरानी इमारतें और मस्जिदें देखी जा सकती हैं, जिसका संरक्षण भारतीय पुरातत्व विभाग ने किया हुआ है। समय आगे बढ़ा, तो यहां पर आधुनिकता ने भी रफ्तार पकड़ना शुरू की।
हालांकि, साल 1980 के बाद से यहां पर अधिक बदलाव हुआ, जब यहां पहली बार एक तबेले में बीना रमानी ने एक बुटिक की शुरुआत की थी। इसके बाद यहां के कल्चर ने आधुनिकता का हाथ पकड़कर आगे का सफर तय करना शुरू किया और धीरे-धीरे गांव की जमीनों का व्यावसायीकरण शुरू हो गया, जिस पर हम आज महंगे-महंगे रेस्तरां और बार देख सकते हैं।
आज इस गांव में जमीन खरीदना कई रेस्तरां और बार मालिकों का सपना है। क्योंकि, यह अब दिल्ली के सबसे महंगे इलाकों में से एक है।
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