आधुनिक तकनीक केवल पुरानी तकनीक की उन्नति है. आधुनिक जीवन में प्रौद्योगिकी का असर अपरिहार्य है अर्थात इसे मापा नहीं जा सकता. अकसर हम तकनीक को अलग-अलग तरीकों से प्रयोग करते हैं और कभी-कभी हम विभिन्न तकनीकों को लागू करने के तरीकों से वाकिफ नहीं होते हैं और नुकसान कर लेते हैं. हम विशिष्ट कार्यों या रुचियों को पूरा करने के लिए दैनिक आधार पर तकनीक का उपयोग करते हैं. आधुनिक तकनीक या विकसित प्रौद्योगिकी की लोकप्रियता और लाभ के कारण पहले से इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक को बदला जा सकता है. आइये इस लेख के माध्यम से कुछ आधुनिक डिवाइस और उनके उपयोग के बारे में अध्ययन करते हैं.
आधुनिक डिवाइस और उनका उपयोग
1. टेलीविजन (Television):
टेलीविजन द्वारा ध्वनि तथा द्रश्य दोनों को एक साथ रेडियो तरंगों द्वारा एक स्थान से दुसरे स्थान को संप्रेषित किया जाता है. टेलीविजन के दो भाग होते हैं:
(a) आइकोनोस्कोप (Iconoscope) : यह चित्र द्वारा छितराई हुई (scattered) प्रकाश की तरंगों को विद्युत तरंगों में परिवर्तित करता है जिन्हें प्रवर्धित व मॉडुलित (amplified and modulated) करके दूरस्थ स्थानों को प्रेषित कर दिया जाता है.
(b) काइनोस्कोप (Kineoscope) : यह एक प्रकार का कैथोड किरण ऑसिलोग्राफ (CRO) है जो आइकोनोस्कोप से आने वाली विद्युत तरंगों से तुल्यकालित (synchronised) होता है और पर्दे पर चित्र व द्रश्य के अनुसार प्रतिदीप्ति उत्पन्न करता है. अत: द्रष्टि निर्बंध (persistence of vision) के कारण एक सतत चित्र पर्दे पर दिखाई देता है.
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2. राडार (Radar) : राडार का अर्थ है ‘ रेडियो संसूचन एवं सर्वेक्षण’ (Radio Detection and Ranging). इसके द्वारा रेडियो तरंगों की सहायता से आकाशगामी वायुयान की स्थिति व दूरी का पता लगाया जाता है. राडार से प्रेषित एवं वायुयान से परिवर्तित तरंगों के मध्य समयांतर ज्ञात करके वायुयान की दूरी ज्ञात की जाती है.
इसका उपयोग वायुयानों के संसूचन, निर्देशन एवं संरक्षण में, बादलों की स्थिति व दूरी ज्ञात करने में, धातु व तेल के भंडारों का पता लगाने में एवं वायुमंडल की उच्चतम पर्त, आयनमंडल की उंचाई ज्ञात करनें में किया जाता है.
3. लेसर (Laser) : लेसर बीसवीं सदी के वैज्ञानिकों के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है. लेसर Light Amplification by Stimulated Emission of Radiation का संक्षिप्त रूप है, जिसका अर्थ है – उद्हिपित उत्सर्जन प्रक्रिया द्वारा प्रकाश तरंगों का प्रवार्ध्न.
लेसर प्रकाश पुंज का फैलाव बहुत कम होता है, परन्तु उसकी दीप्ती तीव्रता व कलासंबद्धता (coherence) बहुत अधिक होती है. दो प्रकाश स्रोत उस समय कला संबद्ध (coherent) कहलाते हैं जब वे ऐसी तरंगें उत्पन्न करते हैं जिनके मध्य कलांतर (phase difference) या तो शून्य होता है या नियत रहता है. सन 1961 के आरम्भ में विभिन्न प्रकार के लेसर का अविष्कार हो गया था जैसे रूबी लेसर, गैस लेसर, द्रव लेसर, प्लाज्मा लेसर, आदि. लेसर की किरणें एकवर्णी, सामान्तर किरण पुंज हैं जिसकी तीव्रता बहुत अधिक होती है. हजारों किलोमीटर चलने के बाद न ही उनकी तीव्रता कम होती है और न ही उनका फैलाव अधिक होता है.
आज लेसर जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में उपयोगी बन चुका है जैसे संचार में, वायु प्रदुषण की सुचना देता है, सर्वेक्षण, मौसम के अध्ययन में, चिकित्सा के क्षेत्र में आदि.
इस लेख में अह्ने विभिन्न आधुनिक उपकरणों और उनके उपयोगों के बारे में अध्ययन किया हैं.
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