उत्तर प्रदेश उत्तर भारत के प्रमुख राज्यों में शामिल है, जो कि अपनी विविधता और अनूठी परंपराओं के लिए देश-दुनिया में जाना जाता है। इतिहास उठाकर देखें, तो पुराने पन्नों पर उत्तर प्रदेश का गौरवशाली इतिहास भी देखने को मिलता है, जिसमें यहां की शासन व्यवस्था और इन शासन व्यवस्था का केंद्र रहे किले भी शामिल हैं।
समय के साथ इन किलों से शासन खत्म हो गया, लेकिन आज भी अतीत के आइनों में इन किलों की तस्वीर देखी जा सकती है। यही वजह है कि पर्यटकों का एक बड़ा वर्ग आज भी वीरान किलों को देखने के लिए पहुंचता है और अपने साथ भारत की स्वर्णिम यादों को ले जाता है। इस लेख के माध्यम से हम यूपी के पांच बड़े और प्रमुख किलों के बारे में जानेंगे।
आगरा का लाल किला
आगरे का लाल किला अपनी वास्तुकला और भव्यता के लिए विश्व प्रसिद्ध है। इसे विश्व विरासत स्थल का दर्जा भी प्राप्त है। इस किले का निर्माण मुगल शासक अकबर द्वारा 1565 में कराया गया था, जो कि अकबर व उसकी सेना का निवास स्थल था। इस किले का निर्माण इस प्रकार किया गया था कि किले पर परिंदा भी पर नहीं मार सके। आज भी इस किले के आगे गहरी खाई देखी जा सकती है, जो कि जंगली जानवरों और मगरमच्छों व घड़ियालों का निवास स्थान था। इस किले से आज भी ताज महल का दीदार किया जा सकता है।
झांसी का किला
यह यूपी का ऐतिहासिक किला है, जिसका नाम स्वर्णिम अक्षरों के साथ 1857 की स्वतंत्रता संग्राम की कहानी में दर्ज है। इस किले की महारानी लक्ष्मीबाई द्वारा अंग्रेजों से लोहा लिया गया था और उन्होंने इस किले से ही अपने घोड़े के साथ छलांग लगा दी थी। आज भी वह स्थान किले में देखा ज सकता है। इस किले का निर्माण ओरछा के महाराज राजा बीर सिंह देव द्वारा 1613 में किया गया था।
इलाहाबाद का किला
इलाहाबाद के किले को आज हम प्रयागराज के किले तौर पर जानते हैं। इस किले का निर्माण मुगल शासक अकबर द्वारा किया गया था। खास बात यह है कि यह किला गंगा और यमुना के संगम पर स्थित है। इस किले में आज भी ऐतिहासिक अशोक स्तंभ को देखा जा सकता है।
अलीगढ़ का किला
अलीगढ़ का किला अपनी मजबूती के लिए जाना जाता है। इस किले का निर्माण 16वीं शताब्दी में इब्राहिम लोदी के दरबार के गर्वनर द्वारा करवाया गया था। किले का समय-समय पर जीर्णोधार करवाया गया। सबसे आखिर में माधवराव सिंधिया द्वारा किले का जीर्णोधार करवाया गया था।
रामगढ़ का किला
रामगढ़ का किला वाराणसी में स्थित है, जो कि गंगा नदी के किनारे पर बना हुआ है। इस किले का निर्माण 1750 में राजा बलवंत सिंह द्वारा करवाया गया था। किले में मुगलशैली से लेकर विदेशी वास्तुकला भी देखी जा सकती है।
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