Sengol Debate: सेंगोल उस समय चर्चा में आ गया जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 18वीं लोकसभा में पहली बार संसद के दोनों सदनों को संबोधित करने के लिए दाखिल हुईं थी उसके बाद उनका स्वागत एक सुनहरे, 5 फीट लंबे राजदंड सेंगोल से किया गया. जिसके बाद से यह चर्चा में आ गया है.
समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी इस व्यवस्था पर सवाल खड़ा करते हुए आपत्ति दर्ज कि उन्होंने स्पीकर ओम बिरला को इसके संबंध में एक पत्र लिखा कि इसे भारत के संविधान की प्रति से बदला जाना चाहिए. इस मुद्दे पर सांसद आरके चौधरी की बात का समर्थन मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भी किया. आरके चौधरी के इस पत्र को लेकर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी प्रतिक्रिया देते हुए अपनी बात कही, चलिये जानते है आखिर क्या है सेंगोल और इसका क्या इतिहास है.
सेंगोल क्या है?
सेंगोल का महत्व भारतीय परंपरा में गहरा है. सेंगोल एक प्रकार का राजदंड है, जिसे प्राचीन तमिल साम्राज्य में शक्ति और शासन के प्रतीक के रूप में जाना जाता है. या यूँ कहे कि सेंगोल एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक प्रतीक है.
सत्ता हस्तांतरण के लिए किया जाता था उपयोग:
सेंगोल का मुख्य उद्देश्य सत्ता के हस्तांतरण को दर्शाने के लिए किया जाता था. सत्ता हस्तांतरण के दौरान पुराने राजा इस राजदंड को नए राजा को सौपतें थे. सेंगोल के साथ सत्ता हस्तांतरण पवित्र और धार्मिक अनुष्ठान के साथ किया जाता था. बता दें कि राज्याभिषेक के समय राजा के गुरु इसे नए राजा को औपचारिक तौर पर सौंपते थे.
चोल शासन काल में था प्रचलित:
सेंगोल का उपयोग भारतीय इतिहास में विशेष रूप से चोल राजवंश के समय में प्रमुखता से किया जाता था. इसे सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक माना जाता था.
सेंगोल का क्या है अर्थ:
ऐसा माना जाता है कि सेंगोल शब्द की उत्पत्ति तमिल शब्द ‘सेम्मई’ (Semmai) से हुई है, जिसका अर्थ ‘नीतिपरायणता’ होता है. यानी सेंगोल को धारण करने वाले पर यह विश्वास किया जाता है कि वह नीति अनुसार शासन करेगा.
बता दें कि सेंगोल का निर्माण सोने या चांदी से किया जाता था, साथ ही इसे सुंदर नक्काशी और आभूषणों से सजाया जाता था.
पहले प्रधानमंत्री को भी मिला था सेंगोल:
भारत की आजादी के समय साल 19 47 में अंग्रेजों से सत्ता हस्तांतरण के समय, शांतिपूर्ण हस्तांतरण के प्रतिक के रूप में सेंगोल को भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को सौंपा गया था. यह सेंगोल अभी भी भारतीय राष्ट्रीय संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है. इसे भारतीय संस्कृति और इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है, जो भारतीय सभ्यता की गहराईयों को दर्शाता है.
रामायण-महाभारत कथाओं में भी उल्लेख:
रामायण-महाभारत से भी इसके इतिहास को जोड़कर देखा जाता है. रामायण-महाभारत के कथा प्रसंगों में भी सेंगोल का उल्लेख मिलता है. कथाओं में राजतिलक के दौरान सत्ता सौंपने के प्रतीकों के तौर पर सेंगोल क्व उपयोग का उल्लेख मिलता है.
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