भारत में इस समय चुनावी मौसम है और हर गली चुनावी रंग से रंगी हुई है। सत्ता के गलियारों में चुनावी चर्चाेओं को लेकर माहौल गर्म है, जिसमें सियासी रण में विजयी होने के लिए रणनीतियों पर मंथन किया जा रहा है। 18वीं लोकसभा के लिए कुछ नए बांकुरे भी चुनावी रण में सियासी पारी खेलने के लिए उतरे हैं।
भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जहां जनता को लोकतंत्र का आधार बताया गया है। साथ ही जनता को अपने पसंद के उम्मीदवार को चुनने का भी अधिकार है, जिससे सत्ता की जीत का ताज उस सिर पर सज सके, जिसे लोगों द्वारा अपनी पसंद से चुना गया है।
यही वजह है कि इसे लोकतंत्र कहा गया है। हालांकि, चुनाव आयोग की ओर से ऐसे मतदाताओं का भी ध्यान रखा गया है, जो कि किसी भी उम्मीदवार को पसंद नहीं करते हैं। ऐसे मतदाताओं के लिए चुनाव आयोग की ओर से नोटा का विकल्प दिया गया है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि भारत में पहली बार और कब और किस राज्य में नोटा के बटन का इस्तेमाल हुआ था। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
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कितने मतदाता करेंगे वोट
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि इस बार चुनावी रण में देशभर के कितने मतदाता वोट करेंगे। चुनाव आयोग की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, इस बार कुल 96.8 करोड़ मतदाता मतदान करेंगे। इसमें 1.8 करोड़ पहली बार वोट करने वाले मतदाता होंगे, जबकि 19.47 करोड़ 20 से 29 वर्ष के बीच आयु वाले मतदाता होंगे।
पहली बार कब इस्तेमाल हुआ नोटा
भारत में पहली बार साल 2013 के विधानसभा चुनावों में नोटा के बटन का पहली बार इस्तेमाल किया गया था। इससे उन मतादातओं को विकल्प मिला था, जो किसी भी उम्मीदवार को वोट नहीं देना चाहते थे।
किस राज्य में पहली बार इस्तेमाल हुआ नोटा
अब हम यहा जान लेते हैं कि किन राज्यों में पहली बार नोटा के बटन का इस्तेमाल हुआ था, तो आपको बता दें कि कुल चार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में नोटा के बटन का इस्तेमाल हुआ था, जो कि छत्तीसगढ़, मिजोरम, राजस्थान और मध्यप्रदेश समेत दिल्ली थे।
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