फिल्में सामाज का आइना होती हैं, जो कि सामाज को उसकी तस्वीर दिखलाती हैं। वहीं, कुछ फिल्में इतिहास के पन्नों में जाकर एतिहासिक घटनाओं को लोगों तक पहुंचाने का भी काम करती हैं।
सैम बहादुर नाम से बनी फिल्म बड़े पर्दे पर आ गई है। सैम बहादुर फिल्म में अभिनेता विक्की कौशल सैम मानेकशॉ का किरदार निभा रहे हैं। सैम मानेकशॉ अपनी बहादुरी के लिए जाने जाते हैं।
ऐसे में इस लेख के माध्यम से हम सैम मानेकशॉ के बारे में जानेंगे। साथ ही यह भी देखेंगे कि आखिर क्या वजह थी, जिससे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उनसे नाराज हो गई थी।
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कौन थे सैम मानेकशॉ
सैम मानेकशॉ का पूरा नाम सैम होरमूजजी फ्रामजी जमशेदजी मानेकशॉ था। हालांकि, उन्हें कम ही उनके पूरे नाम के साथ पुकारा गया था। सैम मानकेशॉ का जन्म 3 अप्रैल, 1914 को पंजाब के अमृतसर में हुआ था।
वह एक पारसी परिवार से ताल्लुक रखते थे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अमृतसर में पूरी की और बाद में वह शेरवुड कॉलेज में दाखिल हुए। वह देहरादून स्थित इंडियन मिलिट्री अकादमी के पहले बैच के अभ्यर्थी थे।
विभिन्न पदों पर सेवा करते हुए सैम मानेकशॉ भारतीय सेना अध्यक्ष बने और साल 1973 में एक जनवरी को उन्हें फील्ड मार्शल की उपाधि दी गई।
जोश में आकर ज्वाइन की थी आर्मी
सैम मानेकशॉ विदेश जाकर रिसर्च करना चाहते थे, लेकिन उनके पिता ने उन्हें विदेश जाने से मना कर दिया था। ऐसे में उन्होंने जोश में आकर भारतीय सेना में शामिल होने का निश्चय किया था।
1942 में मिली थी शोहरत
सैम मानेकशॉ को साल 1942 में द्वितीय विश्व यद्ध के दौरान शोहरत मिली थी। उस समय वह बर्मा मार्चे पर थे, तभी एक जापानी सैनिक ने उन पर साल सात गोलियां चलाई, जो कि उनकी किडनी, आंत और लिवर में जाकर लगी।
सैम मानेकशॉ की जीवनी लिखने वाले जनरल वीके सिंह ने बीबीसी को दिए इंटरव्यू में बताया था कि मानेकशॉ के घायल होने पर उनके कमांडर मेजर जनरल कोवान ने अपना मिलिट्री क्रॉस उतारकर सैम मानेकशॉ को लगा दिया था, क्योंकि मृत सैनिक को मिलिट्री क्रॉस नहीं दिया जाता है।
वहीं, उस समय आदेश थे कि घायलों को वहीं छोड़ दिया जाए, क्योंकि यदि उन्हें साथ लाया जाता, तो पीछे हट रही मिलिट्री की रफ्तार कम हो जाती। हालांकि, उनके अर्दली सूबेदार शेर सिंह सैम मानेकशॉ को अपने कंधों पर उठाकर वापस लाए थे।
कैंप में पहुंचने पर डॉक्टरों ने उनका इलाज करने मना कर दिया था, लेकिन भारतीय सैनिकों के दबाव बनाने पर उनका इलाज किया गया और सैम मानेकशॉ बच गए।
भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत को दिलाई थी विजय
सैम मानेकशॉ को साल 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने उस युद्ध की रणनीति का आर्किटेक्ट भी कहा जाता है। क्योंकि, उनके नेतृत्व में ही भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों के दांत खट्टे कर दिए थे, जिसके बाद बांग्लादेश नए देश के रूप में सामने आया था।
क्यों नाराज हो गईं थीं इंदिरा गांधी
साल 1971 में तत्कालीन प्रधानंमत्री इंदिरा गांधी ने सैम मानेकशॉ से मुलाकात की और उनसे मार्च में ही पाकिस्तान पर चढ़ाई करने के लिए कहा, लेकिन सैम मानेकशॉ ने ऐसा करने से इंकार कर दिया।
उनका कहना था कि सेना इसके लिए पूरी तरह से तैयार नहीं है। इसके साथ ही मौसमी परिस्थितियों को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने इंदिरा गांधी से तब छह माह के लिए समय मांगा था, जिसके बाद उन्होंने जीत की गारंटी दी थी। सैम मानेकशॉ के नेतृत्व में जब युद्ध लड़ा गया, तो भारत ने पाकिस्तान को बुरी तरह से हराया था।
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