भारत विश्व के उन देशों में है जहाँ आस्था का महत्व अपने आप में विशेष है| मंदिर, भारत की आस्था और संस्कृति को जोड़ कर रखने वाले वे बहुमूल्य रत्न हैं, जिनसे भारतीय कला प्रतिबिंबित होती है| यूँ तो भारत में अग्रणित मंदिर अपने अद्वितीय मूल्य के साथ आज भी मौजूद है, जिनमे से कुछ अत्यंत ख़ास महत्व रखने वाले मंदिरों पर चर्चा निम्नलिखित है|
ये हैं भारत के पांच खास मंदिर
1. बालाजी मन्दिर, मेंहदीपुर:- राजस्थान के सवाई माधोपुर एवं दौसा के बीच बसे मेहंदीपुर में यह मन्दिर अवस्थित है और अतिशय विख्यात है। इस मन्दिर में तीन देवों की प्रधानता है। श्री बाला जी, श्री प्रेतराज सरकार और श्री कोतवाल। इसके विषय में तकरीबन 1000 से अधिक वर्ष पूर्व ज्ञात हुआ और यह सर्वाधिक रूहानी या तान्त्रिक इलाज के लिए विख्यात है। इस मन्दिर का सबसे बड़ा रहस्य यह है कि मूर्ति की बाई छाती के पास से एक बारीक जलधारा निरन्तर बहती ही रहती है। चाहे कुछ भी आवरण हो यह जलधारा बंद नहीं होती।
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2. काल भैरव मन्दिर:- काल भैरव मन्दिर मध्य प्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है। यह मन्दिर प्रारंभ में परमार द्वारा निर्मित और मालबा चित्रकालाओं से शोभित था। बाद में मराठा पेशवा सिंधिया के द्वारा इसका जीर्णोद्धार कराया गया। आज भी इस मन्दिर में प्रसाद के रूप में मदिरा का भोग लगाया जाता है और सबसे बड़ी विचित्रता यह है कि मदिरा का प्याला काल भैरव के मुख से लगाते ही खाली हो जाता है।
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3.ज्वालामुखी मन्दिर:- यह मन्दिर भी भारत के 52 शक्तिपीठों में से एक है। यह मन्दिर हिमाचल प्रदेश के नगरकोट में स्थित है जिसका वर्तमान शैलिक निर्माण राजा भूमिचन्द्र एवं जीर्णोद्धार महाराजा रणजीत सिंह द्वारा करवाया गया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस मन्दिर की खोज पाण्डवों द्वारा की गई थी। मान्यता है कि ज्वाला में माता सती की जीभ अवस्थित है जिसके प्रतीक के रूप में ज्योति प्रज्वलित है तथा यह नौदुर्गा के प्रतीक के रूप में नौरंगो में प्ररिवर्तित होती रहती है। इस मन्दिर का निर्माण 1835 मे पूरा हुआ।
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4. करणी माता मन्दिर:- यह मन्दिर राजस्थान में बीकानेर के निकट देशनोक में स्थित है। करणी माता को ऋितु बहि के नाम से भी जाना जाता है। इस मन्दिर का निर्माण राजपूत शैली मे मध्यकाल में 15वीं से 20वीं सदी के बीच का है। करणी देवी की कथा राजस्थान की एक ग्रामीण बाला की कथा है जिसके साथ अनेक चमत्कारिक घटनाऐ जुड़ी हुई हैं। इस मन्दिर में चूहों की अगणित संख्या भी एक आश्चर्य है जिसके कारण इसे चूहों वाला मन्दिर भी कहा जाता है। इस मन्दिर के विषय में प्रसिद्ध है कि जो व्यक्ति सफेद चूहा देख ले उसकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है |
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5. कामाख्या मन्दिर:- कामाख्या मन्दिर भारत के प्रसिद्ध 52 शक्तिपीठों में भी सर्वोच्च स्थान रखता है तथा पूर्वोत्तर के मुख्य द्वार कहे जाने वाले असम के गुवाहाठी मे नीलांचल पर्वत श्रंख्ला के निकट स्थित है। वर्तमान मन्दिर का निर्माण मध्यकाल में चिलाराय के द्वारा करवाया गया था। इसे भारत के तन्त्र उपासको के लिए सर्वश्रेष्ठ स्थल की श्रेणी मे रखा गया हैं। पौराणिक कथाओ के अनुसार यही वह स्थल है जहाँ माता सती की महामुद्रा स्थापित है। ये भी प्रसिद्ध है कि भगवान शिव द्वारा भष्म किए गए कामदेव को यही पुनः अस्तित्व प्राप्त हुआ इसलिए इसे कामाख्या स्थल कहा गया। इसके एक पत्थर से सदैव जलधारा प्रवाहित होती है| हर माह में एक बार रक्त प्रवाहित होता है जो सबसे बड़ा रहस्य है।
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