D-SIB 2021: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने हाल ही में डोमेस्टिक सिस्टमिकली इम्पोर्टेन्ट बैंकों (D-SIB) 2021 की लिस्ट जारी की है जिसमे भारत की तीन महत्वपूर्ण बैंकों SBI, ICICI और HDFC को शामिल किया गया है.
RBI ने 2020 की D-SIB लिस्ट के अनुसार ही इन बैंकों को फिर से इस लिस्ट में शामिल किया है. वर्ष 2008 के ग्लोबल फाइनेंसियल क्राइसिस के बाद से ही दुनिया भर की सेंट्रल बैंकों ने 'टू-बिग-टू-फेल' बैंकिंग संस्थानों पर नजर रखना शुरू किया था.
RBI releases 2022 list of Domestic Systemically Important Banks (D-SIBs)https://t.co/4rUtJNjHHH
— ReserveBankOfIndia (@RBI) January 2, 2023
डोमेस्टिक सिस्टमिकली इम्पोर्टेन्ट बैंक, हाइलाइट्स:
RBI के अनुसार, D-SIB के लिए अतिरिक्त कॉमन इक्विटी टियर 1 (CET-1) की आवश्यकता 1 अप्रैल, 2016 को शुरू हुई थी, जो 1 अप्रैल, 2019 तक कैपिटल कंजर्वेशन (capital conservation) बफर के अतिरिक्त थी.
RBI के अनुसार, ये तीन बैंक देश के सबसे बड़े फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस में से एक हैं. जिन्हें किसी भी हाल में डूबने नहीं दिया जा सकता.
वर्ष 2015 और 2016 में, RBI ने SBI और ICICI बैंक को D-SIB लिस्ट में शामिल किया था. इसके बाद 31 मार्च 2017 तक RBI ने HDFC को भी इस लिस्ट में जोड़ दिया था.
D-SIB के लिए क्या है फ्रेमवर्क?
डोमेस्टिक सिस्टमिकली इम्पोर्टेन्ट बैंक (D-SIB) के लिए RBI ने 22 जुलाई 2014 को एक स्ट्रक्चर जारी किया था.
इस फ्रेमवर्क के अनुसार, वर्ष 2015 से RBI उन बैंकों की लिस्ट जारी करती है जिन्हें उनके सिस्टमिकली इम्पोर्टेन्ट स्कोर (SIS) के अनुसार वर्गीकृत किया गया है.
SIB को ऐसे बैंक के रूप में माना जाता है जो 'टू बिग टू फेल (TBTF)' हैं. TBTF की इस धारणा के अनुसार संकट के समय इन बैंकों के लिए सरकारी सहायता प्रदान की जाती है.
RBI के अनुसार, एक D-SIB को बकेट के आधार पर एक अतिरिक्त सामान्य इक्विटी मानक को पूरा करना चाहिए जिसमें उन्हें वर्गीकृत किया गया है.
SIB, सिस्टमेटिक रिस्क्स और उनके द्वारा उत्पन्न नैतिक खतरों (moral hazard) के मुद्दों से निपटने के लिए अतिरिक्त नीतिगत उपायों के अधीन लागू होता हैं.
विदेशी बैंकों के लिए G-SIB के तहत है नियम:
विदेशी बैंकों के लिए ग्लोबल सिस्टमिकली इम्पोर्टेन्ट बैंक (G-SIB) के तहत रूल बनाये गए है, इसके तहत यदि कोई विदेशी बैंक या उसकी ब्रांच भारत में है तो उसे G-SIB के तहत भारत में अतिरिक्त CET1 कैपिटल सरचार्ज को मेन्टेन रखना होगा. जोकि भारत में इसकी जोखिम भारित संपत्ति (Risk Weighted Assets-RWAs) के अनुपात में होगा.
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