सरकारी बैंकों में क्लर्क बनने के लिए कॉमन रिटेन एग्जामिनेशन के लिए समय काफी कम बचा है। परीक्षा में सफल होने के लिए प्रश्नों के पैटर्न को समझना बेहद जरूरी हो गया है, क्योंकि सभी बैंक अलग-अलग क्षेत्रों से संबंधित टेस्ट परीक्षा लेते हैं। अगर आपको इसमें सफल होना है, तो कम समय में सही प्रश्नों का अधिक से अधिक उत्तर देने की कोशिश करना होगा। इसके लिए अधिक से अधिक अभ्यास करना ही एकमात्र बेहतर विकल्प है। बेहतर स्ट्रेटेजी यह होगी कि आप खुद को आंकें कि आप कितने प्रश्नों को एक्यूरेसी के साथ आसानी से हल कर सकते हैं। आपके पास यह विकल्प होता है कि आप इनमें से किसी भी सेक्शन को पहले हल कर सकते हैं। आपके लिए बेहतर होगा कि आप सबसे पहले जनरल अवेयरनेस के प्रश्नों को हल करें। इसमें अपेक्षाकृत प्रश्न सीधे और कम टाइम टेकिंग होते हैं। यदि आपके पास 135 मिनट है, तो आप इसके लिए आप 20 मिनट का समय दे सकते हैं। अंग्रेजी के प्रश्नों को देखेंगे, तो उसमें 9-10 प्रश्न पैसेज से संबंधित होते हैं। आप सबसे पहले इन्हें हल करें। इसमें थोडी मेहनत से सभी प्रश्न सही हो सकते हैं। अंग्रेजी के लिए 25 मिनट से अधिक समय न दें। बचे हुए समय का उपयोग आप रीजनिंग और मैथ्स के लिए दें। इसमें समय अधिक लगता है और कुछ प्रश्नों के प्रॉसेस भी काफी लंबे होते हैं। आप सबसे पहले उन्हीं प्रश्नों को हल करें, जिसे अच्छी तरह से जानते हैं। शुरुआत में किसी प्रश्नों पर अधिक समय खर्च करने से बचने की कोशिश करें।
बेहतर प्रदर्शन है जरूरी
आप अपनी तैयारी को सामूहिक प्रैक्टिस के जरिये सरल बना सकते हैं। यदि आप दो-चार के ग्रुप में तैयारी कर रहे हैं, तो कम समय में कठिन और आसान प्रकार के खंडों की तैयारी की जा सकती है। सामूहिक अध्ययन से एक-दूसरे की खामियों का पता चलता है, जिससे परीक्षा हॉल में होने वाली गलतियों से बच सकते हैं। अक्सर स्टूडेंट के बीच इस तरह के झूठे प्रचार सुनने को मिलते हैं कि मिनिमम इतने क्वैश्चन सॉल्व करने के बाद ही परीक्षा में उत्तीर्ण हुआ जा सकता है। इस तरह के झूठे प्रचार में कभी भी न फंसें। इसके लिए सिर्फ मिनिमम क्वालिफिकेशन फिक्स होता है, जो आपको पहले से ही बता दिया जाता है। वास्तविकता यह है कि जितनी रिक्तियां होती हैं, उसी के अनुपात में सर्वाधिक अंक प्राप्त उम्मीदवारों को चुना जाता है। कितने अंक प्राप्त करने के बाद सफलता मिल सकती है, इस तरह की बातें पहले से कोई नहीं बता सकता। इस कारण यदि आपके मन में इस तरह के भ्रम हैं, तो सबसे पहले उसे दिमाग से निकाल दें तथा परीक्षा में सभी क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश करें।
उत्तर वही दें, जो जानते हैं
अब प्राय: सभी बैंकों में गलत उत्तर देने पर निगेटिव मार्किग का प्रावधान है। इससे बचने के लिए पहले से ही इस बात को गांठ बांध लें कि जिन प्रश्नों के उत्तर आप नहीं जानते हैं या जिनके बारे में आपको दुविधा है, उन्हें कभी भी सॉल्व न करें। सिर्फ अनुमान के आधार पर बाकी प्रश्नों के उत्तर कतई न दें, अन्यथा यदि आप 100 में 50 प्रश्न सही करते हैं और 50 गलत, तो इन 50 के गलत उत्तरों के लिए आपके 50 सही उत्तरों के अंक भी कट जाएंगे। अब आप ही सोचिए कि क्या ऐसी स्थिति में आपकी मेहनत पर पानी नहीं फिरेगा? ऑब्जेक्टिव परीक्षा में अधिकतर स्टूडेंट्स रेड वॉयर सिंड्रोम के शिकार हो जाते हैं। इस संबंध में विशेषज्ञों का मानना है कि इस परीक्षा में सफलता उन्हीं को मिल सकती है, जो रेडवॉयर सिंड्रोम से ग्रस्त नहीं हैं। रेड वॉयर सिंड्रोम को इस तरह से समझा जा सकता है-पहला-आसान, दूसरा-50-50 और तीसरा लकी। दो विकल्प को अपनाना तो कारगर हो सकता है, लेकिन तीसरे विकल्प को अपनाना घातक होता है। रेड वॉयर सिंड्रोम से ग्रस्त स्टूडेंट्स तीसरे विकल्प का भरपूर इस्तेमाल करते हैं। इस तरह के स्टडेंट्स की यही सोच होती है कि सभी प्रश्नों को बनाकर ही सेलेक्शन पक्की की जा सकती है। कहने का आशय यह है कि अगर आप पहले से ही परीक्षा में प्रश्नों को सॉल्व करने की रणनीति बना लेते हैं, तो आप परीक्षा हॉल में अतिरिक्त परेशानी से बच सकते हैं।
विजय झा
बैंक कलर्क हेतु सही स्ट्रेटेजी अपनाएं
सरकारी बैंकों में क्लर्क बनने के लिए कॉमन रिटेन एग्जामिनेशन के लिए समय काफी कम बचा है
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