अगर आप बचपन में प्लेन,एयरक्राफ्ट और स्पेसशिप के बारे में जानने के लिए हमेशा उत्सुक रहा करते थे तथा ये चीजे आपको बहुत ज्यदा आकर्षित करती थीं तो आप निःसंदेह एक एयरोनॉटिकल इंजीनियर बनने का सपना देख सकते हैं. एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में आप अपने सुनहरे भविष्य की तलाश कर सकते हैं. एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग आजकल छात्रों के बीच एक लोकप्रिय करियर ऑप्शन है. आइये इस विषय में कुछ जानकारी हासिल करते हैं.
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग डिजाइन,एयरक्राफ्ट ऑपरेट करने की टेक्नीक, फ्लाईट मशीन का मेन्युफैक्चरिंग आदि का साइंटिफिक स्टडी है. एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग के अध्ययन का मुख्य उद्देश्य कामर्सियल एयरक्राफ्ट के अधिकतम प्रदर्शन के लिए कमर्शियल एयरक्राफ्टों का डिजाइन, निर्माण, एनालिसिस और उनका परीक्षण करना आदि है. एयरोस्पेस इंजीनियर ही उच्च अंतराल वाले एयरक्राफ्ट, सेटेलाईट, मिसाइलों और अंतरिक्ष यान जैसे उपकरण का डिजाइन और उत्पादन करने के लिए व्यापक रिसर्च करते हैं. कमर्शियल एवियेशन, स्पेस एक्सप्लोरेशन और रक्षा प्रणालियों के प्रभावी संचालन के लिए आधुनिक टेक्नोलॉजी के विकास का कार्य एयरोनॉटिकल इंजीनियर ही करते हैं. एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स को एयरोडायनेमिक्स, एयरोस्पेस मटीरियल्स, स्ट्रक्चर, प्रोपल्सन, फ्लाईट मेकेनिक्स और स्थिरता और नियंत्रण का पूर्ण ज्ञान होता है

एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग का अध्ययन क्यों करें?
पिछले दशक में अंतरिक्ष मिशन परियोजनाओं में वृद्धि से नए अंतरिक्ष उपकरणों को विकसित करने की आवश्यकता के कारण एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की मांग बहुत बढ़ गयी है और इसकी वजह से एयरोस्पेस इंजीनियरों के लिए आकर्षक करियर के अवसर की संभावना पहले के वनिस्पत बहुत ज्यादा बढ़ गया है.
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग मिसाइलों और एयरक्राफ्ट के विकास और निर्माण जैसे क्षेत्रों में छात्रों को पूर्ण और गहन प्रशिक्षण प्रदान करता है. रक्षा और अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में ऐसे एयरोनॉटिकल इंजीनियरों की जो आधुनिक अंतरिक्ष उपकरणों के उत्पादन में डिजाइन, परीक्षण और योगदान कर सकते हैं,बहुत आवश्यकता है.
पात्रता मापदंड (एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया)
इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग एक बहुत ही डिमांड वाला ऑप्शन है
एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग करने के लिए अभ्यर्थी की पकड़ फिजिक्स,केमेस्ट्री और मैथ्स पर बहुत मजबूत होनी चाहिए. साथ ही इस कोर्स के लिए आवेदन करने हेतु फिजिक्स,केमेस्ट्री और मैथ्स विषय के साथ 12 वीं कक्षा उत्तीर्ण होना अनिवार्य है.
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग के टॉप कोर्सेज
भारत में मुख्य रूप से 4 प्रकार के एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम हैं:
- कक्षा 10 वीं और कक्षा 12 वीं के बाद क्रमशः 3 साल की अवधि वाला डिप्लोमा पाठ्यक्रम
- 12 वीं कक्षा के बाद 4 साल की अवधि वाला एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बीई / बीटेक
- एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद 4 साल की अवधि वाले पोस्टग्रेजुएट पाठ्यक्रम (एमई / एमटेक)
- एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में एमई के पूरा होने के बाद 2 साल की अवधि वाले पीएचडी/ डॉक्टरेट डिग्री कोर्स
कोर्स / लेवल |
कोर्स की अवधि |
पात्रता/एलिजिबिलिटी |
डिप्लोमा कोर्स |
3 वर्ष |
10/12 वीं के बाद |
बी.ई / बी.टेक |
4 वर्ष |
12 वीं के बाद |
एम.ई. / एम.टेक |
2 वर्ष |
ग्रेजुएशन के बाद |
पीएचडी/ डॉक्टोरल डिग्री |
2 वर्ष/परिवर्तनीय |
मास्टर डिग्री के बाद |
प्रवेश प्रक्रिया : एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बीई / बीटेक जैसे ग्रेजुएट कोर्सेज में प्रवेश पाने के लिए छात्रों के लिए जेईई मेंस परीक्षा देना अनिवार्य है.
जबकि एम.टेक जैसे पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज के लिए उम्मीदवारों का गेट परीक्षा में शामिल होना अनिवार्य है.
सभी एनआईटी और आईआईटी एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में इंजीनियरिंग कोर्सेज कराते हैं.भारत में कुछ अन्य कॉलेज और यूनिवर्सिटी भी हैं जो एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग के कोर्सेज कराते हैं.
पीजी पाठ्यक्रमों के लिए यूजी पाठ्यक्रम और गेट परीक्षा के लिए जेईई मेंस परीक्षा के अलावा कुछ यूनिवर्सिटी और इंस्टीट्यूट भी छात्रों को प्रवेश प्रदान करने के लिए अपनी प्रवेश परीक्षा आयोजित करते हैं.
भारत के टॉप एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग कॉलेज
भारत में कुछ टॉप एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग कॉलेज हैं
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, आईआईटी बॉम्बे
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी,आईआईटी खड़गपुर
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, आईआईटी मद्रास
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, आईआईटी कानपुर
- मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी
- अन्ना यूनिवर्सिटी
- पीईसी यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी
एयरोनॉटिकल इंजीनियरों के लिए करियर के अवसर
चूंकि एयरोनॉटिकल इंजीनियरों के पास एयरोडायनेमिक्स, एयरोस्पेस मटीरियल्स, स्ट्रक्चर, प्रोपल्सन, फ्लाईट मेकेनिक्स और स्थिरता और नियंत्रण का पूर्ण ज्ञान होता है, इसलिए वे इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) और रक्षा मंत्रालय में आसानी से नौकरियां पा सकते हैं. एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बैचलर्स करने के बाद कोई भी राष्ट्रीय एयरोनॉटिकल प्रयोगशाला, नागरिक उड्डयन विभाग, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं (डीआरडीओ) जैसे प्रतिष्ठित संगठनों के साथ आकर्षक वेतन पैकेज के साथ काम कर सकता है.
एयरोनॉटिकल इंजीनियरों के लिए करियर की संभावनाएं बहुत उज्ज्वल हैं और आगे एक बेहतर भविष्य की संभावना है.
भारत के अलावा, एयरोस्पेस इंजीनियरों को संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, यूके और जर्मनी जैसे देशों में भी नौकरियां मिल सकती हैं. एयरोस्पेस इंजीनियरों की प्रतिष्ठित शोध केंद्रों जैसे नासा और एयरबस जैसे निजी कंपनियों में बहुत अधिक मांग है.
करियर के अवसर
डोमेस्टिक |
एनएएल सिविल एविएशन डिपार्टमेंट इसरो डिफेन्स मिनिस्ट्री एचएएल – हिंदुस्तान एरोनॉटिकल लिमिटेड डीआरडीओ |
इंटरनेशनल |
बोईंग एयरबस नासा |
शुरुआती स्तर पर उम्मीदवार जूनियर इंजीनियर या इंजीनियरिंग ट्रेनी के रूप में काम करना शुरू करते हैं. उनके प्रदर्शन, अनुभव, स्किल सेट, एकेडमिक पृष्ठभूमि और योग्यता के आधार पर उन्हें विमान रखरखाव या समर्थन प्रणाली में ट्रेनिंग के लिए रखा जाता है.अपने ट्रेनिंग के सफल समापन पर, उन्हें सहायक तकनीकी अधिकारी (असिस्टेंट टेक्नीकल ऑफिसर)और सहायक विमान इंजीनियर (असिस्टेंट एयरक्राफ्ट इंजीनियर) के रूप में पदोन्नत किया जाता है. इससे ऊपर के पदों तथा प्रोमोशन के लिए कर्मचारियों को डिपार्टमेंटल एग्जाम क्लियर करना पड़ता है. अपने अनुभव तथा योग्यता के आधार पर उम्मीदवार एक्सक्यूटिव के पदों तक पहुँच सकते हैं तथा एयरोस्पेस सलाहकार भी बन सकते हैं.
एयरोनॉटिकल इंजीनियर्स के लिए रोजगार के अवसरों का एक विस्तृत दायरा है, बशर्ते कि उम्मीदवार को इस फील्ड में काम करने की उत्कृष्ट इच्छा शक्ति हो और इससे जुड़े सारे स्किल्स उसमें हो.
एक एयरक्राफ्ट इंजीनियर के आवश्यक स्किल्स
एक एयरक्राफ्ट इंजीनियर बनने के लिए, आपके पास निम्नांकित गुण होने चाहिए:
- मैनुअल, टेक्नीकल और मेकेनिकल एप्टीट्यूड
- सामान्य रंग दृष्टि (नार्मल कलर विजन)
- शारीरिक फिटनेस ( फिजिकल फिटनेस )
- स्पेसक्राफ्ट और एयरक्राफ्ट उपकरण के लिए जुनून
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग के बाद रोजगार के अवसर
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में रोजगार के क्षेत्र अलग-अलग हैं और उम्मीदवार अपनी विशेषज्ञता और योग्यता के आधार पर इनका चयन कर सकता है. एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग के बाद उम्मीदवार निम्नांकित संगठनो में जा सकते हैं -
- नासा और इसरो जैसे अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र
- वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (एयरोनॉटिकल डेवेलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट)
- एयरोनॉटिकल प्रयोगशालाएं (एयरोनॉटिकल लेबोरेट्रीज)
- एयरक्राफ्ट मेन्युफैक्चरिंग कंपनीज
- एयरलाइंस
- रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन
- रक्षा सेवाएं
- नागरिक उड्डयन विभाग
- फ्लाइंग क्लब
- सरकारी स्वामित्व वाली एयर सेवाएं
- निजी एयरलाइंस
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग करने के बाद सैलरी पैकेज
एक एयरोनॉटिकल इंजीनियर का औसत प्रारंभिक वेतन प्रति वर्ष 25.5 लाख रुपये होता है, जो उम्मीदवार के अनुभव, स्किल-सेट और प्रतिभा,योग्यता और ऑर्गनाइजेशन के आधार पर प्रति वर्ष 50.00 लाख रूपए तक हो सकता है.
निजी क्षेत्र में शामिल होने वाले इंजीनियर को संगठन के मैनेजमेंट द्वारा निर्धारित वेतनमानों के अनुसार भुगतान किया जाता है, जो अलग अलग कंपनियों में भिन्न भिन्न हो सकता है.हालांकि, सरकारी क्षेत्र में एयरोनॉटिकल इंजीनियर्स को एक निश्चित पैमाने तक भुगतान किया जाता है. उदाहरण के लिए, ग्रेड-ए, ग्रेड-बी, जूनियर इंजीनियर और असिस्टेंट इंजीनियर की सैलरी सरकारी क्षेत्र में फिक्स्ड स्केल के आधार पर होती है.जहां तक करियर ग्रोथ और विकास का सवाल है, एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में निवेश पर रिटर्न के मामले में यह टॉप विकल्पों में से एक है. इस स्ट्रीम में स्थिर करियर, उत्कृष्ट पैकेज और बेहतर भविष्य की संभावनाएं हैं. विभिन्न प्रकार के करियर ऑप्शंस की जानकारी के लिए www.jagranjosh.com पर विजिट करें.