पुरे सैमेस्टर पढ़ाई कर लेने के बाद थीसिस तैयार कर लेने पर अंततः मौखिक परीक्षा ली जाती है जिसके तहत छात्रों के कार्यों का मूल्यांकन करते हुए उनकी क्षमता और प्रतिभा और परीक्षा के दौरान किये गए सवालों के उत्तर के आधार पर मार्क्स दिया जाता है. इस दौरान छात्रों के पास प्रश्नों का चयन करने की छुट नहीं होती है. मौखिक परीक्षा में पूछे गए सभी सवालों का जबाव देना होता है. इस समय छात्रों को सोचसमझकर सावधानी पूर्वक प्रश्नों के उत्तर देने चाहिए क्योंकि इसके मार्क्स आपके पूरे वर्ष दिए गए लिखित परीक्षा में प्राप्त अंकों के साथ जुड़ते हैं.
मौखिक परीक्षा क्यों ली जाती है ?
- यह पुष्टि करने के लिए कि तैयार थीसिस आपका खुद का काम है.
- यह जानने के लिए कि आपने जो कुछ भी लिखा है, उसकी पूरी समझ रखते हैं.
- आपकी मौलिकता क्या है, इसकी जाँच करना.
- भविष्य के प्रकाशन और अनुसंधान विकल्पों पर विचार करने के लिए एक विकासात्मक अवसर प्रदान करने के लिए
इन सभी तथ्यों की जाँच हेतु मौखिक परीक्षा ली जाती है.अतः मौखिक परीक्षा में भयमुक्त होकर बेहतर प्रदर्शन के लिए निम्नांकित बातों पर ध्यान दीजिये.
गहरी साँस लें
स्वांश पर नियन्त्रण से न सिर्फ मानसिक और शारीरिक शांति मिलती है बल्कि हमरा रक्तचाप भी नियंत्रित रहता है.यह शांति और संतुष्टि की भावना के साथ साथ तनाव को भी दूर करता है. कई विशेषज्ञ जागरूकता और मस्तिष्क की क्षमता बढ़ाने के साधन के रूप में साँस का उपयोग करने की सलाह देते हैं. जब आप मौखिक परीक्षा के समय अपनी बारी का इंतजार कर रहे होते हैं उस समय आप स्वांश से जुड़े प्राणायाम कर सकते हैं.
सम्बंधित प्रेशर प्वाइंट को दबाए
एक्यूप्रेशर के अंतर्गत बहुत सी ऐसी नसें हैं,जिन्हें दबाने से तनाव से राहत मिलने के साथ साथ सकारात्मक विचार आते हैं तथा चिंता समाप्त होती है और और मन प्रसन्न रहता है. इसके साथ ही सिरदर्द,वोमेटिंग और घबराहट जैसी समस्याओं से भी निजात मिलती है. एक्यूप्रेशर मानव शरीर की विभिन्न बीमारियों से निपटने के लिए बहुत पुरानी तकनीक है. रिफ्लेक्सोलॉजी एक्युप्रेशर अंक की सहायता से हम तनाव और चिंता को ठीक कर सकते हैं.
टहलना
पैदल चलने से शरीर की कोशिकाओं में रक्त का संचार होता है तथा कई तरह के हारमोंस हमारे शरीर में पैदा होते हैं जो तनाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. एक जगह पर बैठकर तनावग्रस्त मुद्दों से अपने मन को विचलित करना मुश्किल होता है. अध्ययनों से पता चला है कि चलने के कई फायदे हैं.इससे वजन नियंत्रित होने के साथ साथ हृदय की बीमारी,उच्च रक्तचाप हड्डियों को मजबूत बनाने और मूड को नियंत्रित करने में बहुत लाभ होता है.
चलने का सही तरीका
- चलते समय अपने सिर को ऊपर रखें और जमीन की बजाय आगे देखें.
- हाथों को हिलाएं. यह शरीर में कम्पन पैदा कर ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है.
- पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाएं. स्वस्थ मांसपेशियों रीढ़ को सपोर्ट करते हुए शरीर के उपरी हिस्से को संतुलित रखती हैं.
- गर्दन, कंधे और पीठ को एक सीध में आराम से रखें.शरीर के इन हिस्सों को सीधा और खड़ा होना चाहिए. लेकिन कठोरता पूर्वक सीधा रखने का प्रयास हरगिज नहीं करें. ऐसा करने पर चोट लगने की संभावना बढ़ जाती है.
संगीत सुनें
मन को शांति प्रदान करने का सबसे अच्छा साधन संगीत को माना जाता है. हम हमेशा यह अनुभव करते हैं कि दिन भर के काम के थकान के बाद जब हम संगीत सुनने की कोशिश करते हैं तो बहुत जल्दी राहत महसूस होती है. ज्योंही हम अपनी पसंदीदा गीत सुनते हैं हम तुरंत मुस्कुरा पड़ते हैं और बेहतर महसूस करते हैं. अतः अपनी बारी का इंतजार करते समय खुद को डी-टैस्ट करने के लिए संगीत सुन सकते हैं.
अपने किसी पसंदीदा व्यक्ति से बात कर लें
अगर आप नर्वस महसूस कर रहें हैं तो आप अपने तनाव को दूर करने के लिए अपने खास मित्रों से बात करे. आपकी समस्या को कोई सुनने वाला है, इस विचार मात्र से आपको राहत मिलती है और आपके तनाव का स्तर कम हो जाता है. हो सकता है आपका मित्र भी कभी इस तनाव की स्थिति से गुजरा हो और उसका सही समाधान जानता हो और वह समाधान आपके लिए कारगर सिद्ध हो.
उम्मीद है कि उपर दिए गए तकनीकों का इस्तेमाल कर आप अपने तनाव को कम करने में पूरी तरह सफल होंगे.
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