UP Board Class 10 Science Notes :activities of life or processes of life Part-IV

Aug 4, 2017, 18:18 IST

In this article we are providing UP Board class 10th Science notes on chapter 18(activities of life or processes of life)4th part. We understand the need and importance of revision notes for students. Hence Jagran josh is come up with the all-inclusive revision notes which have been prepared by our expert faculty.

Get UP Board class 10th Science chapter 18(activities of life or processes of life)4th part.It is often witnessed that students don’t organize their revision notes while going through the subjects and because of this they tend to miss out various crucial points. The main topic cover in this article is given below :

1. आक्सी श्वसन की क्रियाविधि

2. क्रेब्स चक्र

3. आक्सी तथा अनॉक्सी श्वसन में अन्तर

4. मनुष्य में आन्तरिक परिवहन

5. लसीका तन्त्र

आक्सी श्वसन की क्रियाविधि (Mechanism of Aerobic Respiration) :

कोशिकीय श्वसन सभी जीवित कोशिकाओं में होता रहता है। इसकी क्रियाविधि सामान्यत: सभी जीवों में एकसमान होती है। इस क्रिया के निम्नलिखित दो भागो मेँ बाँटते हैं-

(i) ग्लाइकोलिसिंस (Glycolysis) तथा (ii) क्रेब्स चक्र (Krebs cycle)

(i) ग्लाइकोलिसिंस (Glycolysis) :

ये प्रक्रियाएँ कोशिकाद्रव्य में होती है जिसमें ग्लूकोस का एक अणु विघटित होकर पाइरुविक अम्ल के दो अणु बनाता है। इन प्रक्रियाओं से उत्पन्न ऊर्जा से चार ATP अणुओं का निर्माण होता है किन्तु अभिक्रियाओं को कराने के लिए दो ATP अणु पहले ही काम में आ चुके होते है। अत: उपलब्धि केवल दो ATP अणुओं की ही होती है। दो स्वतन्त्र H+ आयन भी प्राप्त होते है जो प्राय: NAD या NADP पर चले जाते है। ये क्रियाएँ एन्जाइम्स तथा सहएन्जाइम्स की सहायता से श्रृंखलाबद्ध रूप मे, घटित होती है

ग्लाइकोलाइसिस को निम्नलिखित साराश समीकरण द्वारा प्रदर्शित कर सकते हैं-

Mechanism of Aerobic Respiration

(ii) क्रेब्स चक्र (Krebs cycle) :

ग्लाइकोलिसिस के उपरान्त को पाहरुविक अम्ल का आक्सीकरण आँक्सीजन की उपस्थिति में क्रैब्स चक्र में होने वाली अभिक्रियाओं द्वारा होता है (चित्र 18.4)। इसकी सम्पूर्ण अभिक्रियाएँ माइटोकान्द्रिया में होती है, जहाँ सभी प्रकार के आवश्यक एन्जाइम व सहएन्जाइम मिलते हैं। इसमें तीन स्थानों पर एक-एक अणु कार्बन डाइआक्साइड निर्मुक्त होती हैं। इस प्रकार पाइरुविक अम्ल का एक अणु सम्पूर्ण रूप में (पाइरुविक अम्ल में कार्बन के तीन परमाणु है) आँक्सीकृत हो जाता है तथा इसके तीनो कार्बन अलग - अलग हो जाते हैं।

इस प्रकार आक्सी श्वसन में ग्लूकोस के एक अणु (पाइरुविक अम्ल के दो अणुओं) से कार्बन डाइआक्साइड के छह अणु निकलते हैं। इस क्रिया में कुल 38 ATP अणु बनते हैं।

(i) ग्लाइकोलिसिस में 8 ATP

(ii) ऐसीटिल कोएन्जाइम 'ए' के बनते समय 6 ATP कुल 38 ATP

(iii) केब्स चक्र में 24 ATP

इस प्रकार ग्लूकोस अणु से सम्पूर्ण आक्सी श्वसन के बाद 38 ATP अणु प्राप्त होते हैं।

चित्र- कोशिकीय श्वसन कि रूपरेखा :

Krebs cycle image

आक्सी तथा अनॉक्सी श्वसन में अन्तर (Differences between Aerobic and Anaerobic Respiration) :

क्रoसंo

आक्सी श्वसन (Aerobic Respiration)

अनाक्सी श्वसन (Anaerobic Respiration)

1.

2.

 

3.

 

 

4

 

5.

 

 

6.

इस क्रिया में आक्सीजन आवश्यक है|

इसमें ग्लूकोस के अणुओं का पूर्ण विखण्डन हो जाता है|

इसमें एक अणु ग्लूकोस से अत्यधिक उर्जा (673 किलो कैलोरी) प्राप्त होती है|

इसके अन्त में कार्बन डाइआक्साइड व जल ही प्राप्त होते हैं|

 

ये क्रियाएँ कोशाद्र्व्य तथा माइटोकान्द्रिया में क्रेब्स चक्र द्वारा सम्पन्न होती हैं|

इस क्रिया में आक्सीजन आवश्यक नहीं है|

इसमें ग्लूकोस के अणुओं का पूर्ण विखण्डन नहीं हो पाता|

इसमें एक अणु ग्लूकोस से केवल 21 किलो कैलोरी उर्जा प्राप्त होती है|

इस क्रिया में क्रिया अन्त में एथिल ऐल्कोहाल तथा CO2 प्राप्त होती है|

 

ये क्रियाएँ कोशिकाद्रव्य में ही सम्पन्न होती है|

 

 

मनुष्य में आन्तरिक परिवहन :

प्राणियों के शरीर में उपापचय क्रियाओं हेतु अनेक प्रकार के पदार्थों की आवश्यकता होती है। शरीर में भोज्य पदार्थ, वर्ज्य पदार्थ, O2 CO2, जल हार्मोन्स आदि को आवश्यकतानुसार एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाना परिवहन कहलाता है। यह कार्य मनुष्य में मुख्यत: रवत्त तथा लसीका हारा सम्पन्न होता है। रक्त तथा लसीका तरल संयोजी ऊतक हैं। मनुष्य में रक्त परिसंचरण की खोज विलियम हार्वे (William Harvey) ने की थी। शरीर में रक्त का वितरण धमनियों (arteries) द्वारा होता है। हदय स्वरों को धमनियों में पम्प करता है। धमनियों शाखित होकर धमनिकाएँ (arterioles) बनाती है। धमनिकाएँ पुन: विभाजित होकर केशिकाओ (capillaries) का निर्माण करती हैं। केशिकाएँ परस्पर मिलकर शिराकाएं (venuoles) बनाती हैं| शिराकएं परस्पर शिरा (vein) बनाती हैं| शिराएं रक्त को ह्रदय में वापस पहुंचाती हैं|

रक्त केशिकाओं (blood capillaries) के जाल में रक्त का प्रवाह बहुत मन्द गति से होता है विभिन्न पदार्थों का आदान प्रदान उतक तरल तथा रक्त केशेकाओं के मध्य होता रहता है|

मनुष्य में रुधिर परिसंचरण बन्द प्रकार का होता हैं। रुधिर संग्रह केन्द्र हृदय (heart) है सम्पूर्ण शरीर में पम्प किया जाता है तथा वापस सम्पूर्ण शरीर से इसी में आकर एकत्र होता है। मनुष्य के हदय में चार वेश्म होते हैं - दो  अलिन्द (auricles) तथा दो निलय (ventricles)| दाएँ अलिन्द में सम्पूर्ण शरीर से (फेफडों को छोड़कर) अशुद्ध रुधिर आकर एकत्र होता है तथा बाएँ अलिन्द में फेफडों से शुद्ध रक्त दाएँ अलिन्द का रुधिर दाएँ निलय में आता है और यहाँ से फेफडों को भेज दिया जाता है, ताकि वहाँ आक्सीजन से मिलकर शुद्ध हो सके। इसी प्रकार आक्सीजनयुक्त (शुद्ध) रुधिर, जो बाएँ अलिन्द में फेफडे से आता है, सम्पूर्ण शरीर में धमनियों द्वारा भेजा जाता है। आहार नाल से रुधिर, शिराओं (veins) के द्वारा पहले यकृत (liver) मे आता है|

process of human body

UP Board Class 10 Science Notes : structure of human body, Part-VI

UP Board Class 10 Science Notes : structure of human body, Part-VII

जहाँ इसमें से अधिक मात्रा में आया भोजन रोक लिया जाता है, अर्थात् शरीर की आवश्यकतानुसार भोज्य पदार्थ रक्त के द्वारा वितरित होते रहते हैं। इस प्रकार रुधिर, भोजन तथा आँक्सीज़न आदि को सारे शरीर मे वितरित करता है, साथ ही अगो से वर्ज्य पदार्थों को एकत्र कर उन्हें उत्सर्जी अंगों (वृक्कों) तक पहुँचाता है। यही नहीं, रक्त अन्त: स्रावी ग्रन्थियों से हॉर्मोन्स को, शरीर के विभिन्न अंगों (लक्ष्य कोशिकाओं) तक पहुंचाता है। हार्मोन्स उपापचय क्रियाओं पर रसायनिक नियन्त्रण रखते हैं।

लसीका तन्त्र (Lymphatic System): यह लसीका केशिकाओ, लसीका वाहिनियों, लसीका गाँठों तथा लसीका अंगों से मिलकर बना होता है। लसीका छना हुआ रक्त होता है। इसमे प्लाज्मा तथा श्वेत रुधिर कणिकाएँ पाई जाती है। इसमें रक्त की तुलना में श्वेत रूधिराणु, अधुलनशील प्रोटीन तथा उत्सर्जी पदार्थ अधिक मात्रा में पाए जाते है।

लसीका तन्त्र द्वारा ऊतक तरल वापस रक्त में पहुँचाया जाता है। लसीका केशिकाएँ क्षुद्रात्र से वसीय अम्ल तथा गिल्सरॉल का अवशोषण करके वसा बिन्दुओं के रूप में रक्त परिसंचरण तन्त्र में पहुंचाती हैं।

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Education Desk

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