UP Board कक्षा 10 विज्ञान के 18th जीवन की प्रक्रियाएँ (activities of life or processes) के 6th पार्ट का स्टडी नोट्स यहाँ उपलब्ध है| हम इस चैप्टर नोट्स में जिन टॉपिक्स को कवर कर रहें हैं उसे काफी सरल तरीके से समझाने की कोशिश की गई है और जहाँ भी उदाहरण की आवश्यकता है वहाँ उदहारण के साथ टॉपिक को परिभाषित किया गया है| इस लेख में हम जिन टॉपिक को कवर कर रहे हैं वह यहाँ अंकित हैं:
1. प्रकाश संश्लेषण
2. प्रकाश संश्लेषण की क्रियाविधि
3. प्रकाशीय अभिक्रिया
4. अप्रकाशीय अभिक्रिया
प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) :
प्रकाश संश्लेषण हरे पौधों में होने वाली ऐसी उपचयिक क्रिया है जिसके द्वारा अकार्बनिक सरल यौगिकों, जल तथा कार्बन डाइआँक्साइड को प्रकाशीय ऊर्जा के द्वारा काबोंहाइड्रेटस के रूप में बदल दिया जाता है। प्रकाशीय ऊर्जा का उपयोग पर्णहरिम (Chlorophyll) की उपस्थिति में किया जाता है तथा इसमें आंक्सीज़न उप-उत्पाद के रूप में निकलती है।
प्रकाश संश्लेषण एक आंक्सीकरण - अवकरण प्रक्रिया (oxidation - reduction process) है जिसमें जल का प्रकाशिक आक्सीकरण तथा CO2 का अप्रकाशिक अवकरण होता है और कार्बनिक यौगिक बनते है तथा आक्सीजन मुक्त होती है।
प्रकाश संश्लेषण की क्रियाविधि (Mechanism of Photosynthesis) :
प्रकाश संश्लेषणष अत्यन्त जटिल क्रिया है, जो प्रमुखत: दो पदों में सम्पन्न होती है-
1 प्रकाशीय अभिक्रिया तथा
2 अप्रकाशीय अभिक्रिया,
1. प्रकाशीय अभिक्रिया (Light reactions) - सूर्य के प्रकाश की ऊर्जा को प्रयोग में लाने तथा जल के विच्छेदन से हाइड्रोजन उपलब्ध कराने के लिए ये क्रियाएँ प्रकाश की उपस्थिति में हरितलवक (chloroplast) के अन्दर उपस्थित ग्रैना (grana) नामक कणों में होती है। इन कणों में पर्णहरिम या क्लोरोफिल (chlorophyll) नामक पदार्थ होता है। इन क्रियाओं को संक्षेप में निम्न प्रकार से लिख सकते है-
(i) सूर्य के प्रकाश की विकिरण ऊर्जा के कारण क्लोरोफिल के अणु सक्रिय हो जाते है और ऊर्जा युक्त उत्तेजित इलेकट्रॉन्स का निष्कासन करते हैं।
(ii) सक्रिय क्लोरोफिल से आवश्यक ऊर्जा प्राप्त कर जल के अणुओं का विच्छेदन होता है जिससे हाइड्रोजन तथा आंक्सीजन प्राप्त होती है|
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(iii) उत्तेजित इलेवट्रॉन एक विशेष तन्त्र, जिसे इलेवट्रॉन स्थानान्तरण तन्त्र कहते है, के द्वारा अपनी उर्जा दे देते है। इस ऊर्जा को ADP के अणुओं में एक फॉस्फेट गुट और छोडकर (ATP अणु बनाकर) संचित कर लिया जाता है।
(iv) प्राप्त आंक्सीज़न पौधे से बाहर निकल जाती हैं।
(v) प्राप्त हाइड्रोजन NADP नामक ग्राही पदार्थ के द्वारा एकत्रित कर ली जाती है। इसमें NADP.H2 का निर्माण होता है।
2. अप्रकाशीय अभिक्रिया (Dark reactions) - इन क्रियाओं के लिए प्रकाश की आवश्यकता नहीं है। इन अभिक्रियाओं को इनकी खोज करने वाले वैज्ञानिक के नाम के आधार पर ब्लैकमैन अभिक्रियाएँ (Blackman's reactions) कहते हैं। ये क्रियाएँ हरितलवक की पीठिका या स्ट्रोमा (Stroma) में होती हैं। इन समस्त क्रियाओं को, जो एक विशेष पदार्थ रिबुलोस बाइफास्फेट (ribulose biphosphate = RuBP) की उपस्थिति में एक चक्र के रूप में होती है, कैल्विन चक्र (Calvin cycle) भी कहते हैं। संक्षेप में इन अभिक्रियाओं को निम्न प्रकार से व्यक्त कर सकते हैं-
(i) कुछ विशेष पदार्थों की उपस्थिति में वातावरण से प्राप्त CO2 का प्रकाशीय क्रियाओं से प्राप्त NADP.H2 की H+ से अवकरण होता है और PGAL नामक पदार्थ बनता है। इन क्रियाओ में अग्रलिखित अभिक्रियाएँ सम्मिलित है-
(a) 5 कार्बन वाले यौगिक RuBP (रिबुलोस बाइफॉस्फेट) के साथ कार्बन डाइआँक्साइड के अणु (6CO2) मिलकर एक 6 कार्बन अस्थायी यौगिक का निर्माण करते है-
(b) यह अस्थायी यौगिक शीघ्र ही अपचयित होकर व टूटकर दो अणु PGA (फॉस्फोग्लिसरिक अम्ल) बना लेता है। यह तीन कार्बन वाला यौगिक (C3) है-
(c) PGA अणु बाद में और अधिक अपचयित होकर PGAL (फास्फोगिलसरैलडीहाइड) का निर्माण करते हैं।
(d) PGAL के दो अणु मिलकर तथा अपचयन के द्वारा फॉस्फेट शर्करा का तथा बाद में शर्करा का निर्माण कर लेते हैं।
(ii) PGAL स्वयं भी भोजन की तरह काम कर सकता है। यह तीन कार्बन परमाणु वाला यौगिक है। इसके दो अणु मिलकर पहले एक अणु ग्लूकोस का निर्माण करते हैं।
(iii) ग्लूकोस से ही अन्य सभी प्रकार के भोज्य पदार्थों, जैसे - प्रोटीन, वसा, मण्ड इत्यादि का निर्माण भी पौधे के अन्दर ही हो जाता है।
(iv) कैल्विन चक्र में PGAL तथा इसके उत्पादों से रिबुलोस बाइफास्फेट (RuBP) आदि का भी फिर से निर्माण हो जाता है, अर्थात यह चक्र की अभिक्रियाओं को चलाने के लिए फिर से तैयार होता है|
UP Board कक्षा 10 विज्ञान चेप्टर नोट्स : जीवन की प्रक्रियाएँ, पार्ट-I
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