UP Board कक्षा 10 विज्ञान के 26th चैप्टर : जीवन की उत्पत्ति (origin of life) का स्टडी नोट्स यहाँ उपलब्ध है| हम इस चैप्टर नोट्स में हम जिन टॉपिक्स को कवर कर रहें हैं उसे काफी सरल तरीके से समझाने की कोशिश की गई है और जहाँ भी उदाहरण की आवश्यकता है वहाँ उदहारण के साथ टॉपिक को परिभाषित किया गया है| इस नोट्स में सभी टॉपिक के महत्वपूर्ण बिन्दुओं को काफी सरलता से समझाया गया है तथा यह आपके एग्जाम के समय रिविज़न करने का भी आसान तरीका है|इस लेख में हम जिन टॉपिकस को कवर कर रहे हैं वह यहाँ अंकित हैं:
ओंपेरिन सिद्धान्त या जीवन की उत्पत्ति का जैव रासायनिक सिद्धान्त (Oparin theory or Theory of Biochemical Origin of Life) :
ए०आई० ओपेरिन (A.I.Oparin) के अनुसार पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति निम्नलिखित चरणों में हुई -
प्रथम चरण : परमाणु अवस्था (First Step: Atomic Stage) :
पृथ्वी का अति प्रारम्भिक स्वरूप एक ज्वलित वाष्प पुंज के रूप में था। इसमें सभी तत्व परमाणु के रूप में द्यमान थे। पृथ्वी का ताप लगभग 5000-6000०C था। धीरे - धीरे पृथ्वी का ताप कम होने से भारी परमाणु; जैसे - ताँबा, निकिल, लौह आदि पृथ्वी के केन्द्र में एकत्र हुए जिससे पृथ्वी का केद्रीय भाग (core) बना है, जबकि हल्के परमाणु, जैसे - हाइड्रोज़न, नाइट्रोजन, कार्बन, आक्सीजन आदि से आदि वायुमण्डल (primitive atmosphere) बना। आज भी पृथ्वी का केन्दीय भाग पिघले हुए लावा के रूप में ही है।
द्वितीय चरण : अणु अवस्था (Second Step: Molecular Stage) :
घीरे-धीरे पृथ्वी ठण्डी हो रही थी। वातावरण अपचायक (reducing) था। सबसे हल्के तथा क्रियाशील परमाणु, हाइड्रोजन ने विभिन्न तत्वों से संयोग करके जल (H2O) हैं मेथेन (CH4), अमोनिया (NH3) तथा हाइड्रोजन सायनाहड (HCN) आदि का निर्माण किया। पृथ्वी के गर्म होने के कारण जल तरल रूप में न होकर वाष्प रूप में था| जलवाष्प ठंडा होने पर जल के रूप में पृथ्वी पर बरसने लगी और शनै: शनै: पृथ्वी ठंडी होती गई। यद्यपि अनेक वर्षों . तक पृथ्वी पर गिरे हुए पदार्थ गर्मी के कारण गैस में परिवर्तित होते रहे होंगे। इस समय तक कुछ पदार्थ ठोस भी हो गए होगे जिससे आदि पृथ्वी का स्थानमण्डल (lithosphere) बना होगा। अन्त में अतिवृष्टि के कारण आदि सागरों का निर्माण हुआ। आदि वातावरण में आँक्सीजन के परमाणु स्वतन्त्र रूप से नहीं रहे।
तृतीय चरण : कार्बनिक यौगिकों का बनना (Third Step: Formation of Organic Compounds):
संभवतया आदि वायुमण्डल में मेथेन (CH4) सबसे पहले बनने वाला कार्बनिक यौगिक था। मेथेन से एथेन, प्रोपेन, ऐसीटिलीन, ऐल्कोहाल, ऐल्डिंहाहड्स, कीटोन्स तथा कार्बनिक लवणों का निर्माण हुआ। विभिन्न कार्बनिक यौगिकों के बहुलकीकरण (polymerization) तथा संघनन (condensation) के फलस्वरूप निम्नलिखित जटिल यौगिक बने होंगे-
(1) शर्करांएँ (sugars),
(2) गिल्सराल (glycerol),
(3) वसीय अम्ल (fatty acids)),
(4) ऐमीनो अम्ल (amino acids),
(5) पिरीमिडीन्स (pyrimidines),
(6) प्यूरिन्स (purines) आदि!
UP Board कक्षा 10 विज्ञान चेप्टर नोट्स : जैव विकास
सूर्य की पराबैगनी किरणों (ultraviolet rays), विद्युत (घर्षण) ऊर्जा, अन्तरिक्षी किरणों तथा ज्वालामुखियों से उत्पन्न ताप ने उपर्युक्त पदार्थों के संश्लेषण के लिए ऊर्जा प्रदान की होगी।
स्टैनले मिलर का प्रयोग (Experiment of Stanley Miller) :
अमेरिकी वैज्ञानिक स्टैनले मिलर (Stanley Miller, 1953) ने प्रयोग द्वारा यह सिद्ध किया कि मेथेन, अमोनिया और हाइड्रोजन के रासायनिक संयोग से अनेक ऐसे कार्बनिक यौगिकों का निर्माण होता है जो जीवन की उत्पत्ति के लिए आवश्यक थे । इन रासायनिक क्रियाओं के लिए आवश्यक ऊर्जा विभिन्न स्रोतों से प्राप्त हुईं; जैसे - विद्युत् विसर्जन, पराबैगनी किरणे, जवालामुखी।
मिलर ने पाँच लीटर के फ्लास्क में मैथेन, अमोनिया एवं हाहड्रोज़न का गैसीय मिश्रण 2 : 1 : 2 अनुपात में लिया। आधा लीटर के एक पलास्क में उन्होंने जल लेकर उबालने का प्रबन्ध किया तथा इसकी वाष्प का सम्बन्ध बडे इलेक्ट्रोड के मध्य एक सप्ताह तक तीव्र विद्युत धारा प्रवाहित की। बडे फ्लास्क के दूसरे सिरे का सम्बन्ध' एक 'U' नली से होकर छोटे फ्लास्क से किया । बडे फ्लास्क व 'U' नली के बीच की नली को एक कंडडेन्सर से होकर निकाला ताकि आने वाली वाष्प ठण्डी होकर द्रव में बदल जाए। प्रयोग के पश्चात् उन्हें 'U' नली में गहरा लाल - सा गन्दला तरल पदार्थ प्राप्त हुआ। इस पदार्थ के विश्लेषण से ज्ञात हुआ कि इसमें अनेक प्रकार के कार्बनिक यौगिक युक्त जल ऐमीनी अम्ल, सरल शर्कराएँ तथा अन्य कई प्रकार के कार्बनिक पदार्थ उपस्थित हैं!
आक्सीजन क्रान्ति (Oxygen Revolution) :
पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के समय आदि वातावरण में हाइड्रोजन की बहुतायत थी; अत: आदि वातावरण अपचायक (reducing) था। जीवन की उत्पत्ति के फलस्वरूप प्रकाश संश्लेषण स्वपोषी आदि कोशिकाओं का विकास हुआ। प्रकाश संश्लेषण के फलस्वरूप मुक्त आंक्सीजन के करण वातावरण आक्सीकारक हो गया। इसे आँक्सीजन क्रान्ति कहा गया। इसके फलस्वरूप निम्नलिखित महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए।
(1) जीवधारियों में आक्सीश्वसन होने लगा। कम भोजन व्यय करके जैविक क्रियाओं के लिए अधिक ऊर्जा उपलब्ध होने लगी। इसके फलस्वरूप जैव विकास हुआ।
(2) आक्सीजन ने मेथेन से क्रिया करके CO2 तथा जल का निर्माण किया। प्रकाश संश्लेषण हेतु CO2 अधिक मात्रा में उपलब्ध हुई।
(3) आँक्सीज़न ने अमोनिया से क्रिया करके N2 जल का निर्माण किया। आधुनिक वायुमण्डल में 78.79% नाइट्रोजन पाई जाती है। यह O2 की ज्वलनशीलता को नियन्त्रित करने में सहायक होती है।
(4) आँक्सीज़न से ओजोन (O3) का निर्माण हुआ। समतापमण्डल में उपस्थित O3 परत पृथ्वी का रक्षात्मक आवरण है।
(5) आँवसीजन के कारण वातावरण आंक्सीकारक हो गया। इन परिवर्तनों के फलस्वरूप पृथ्वी पर कार्बनिक पदार्थों का स्थायित्व समाप्त हो गया और स्वत: जनन की सम्भावनाएँ समाप्त हो गई।
UP Board कक्षा 10 विज्ञान चेप्टर नोट्स : जैव प्रौधोगिकी
UP Board कक्षा 10 विज्ञान चेप्टर नोट्स :तंत्रिका समन्वयन, पार्ट-II
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