आज हम यहाँ आपको UP Board कक्षा 10 विज्ञान के 21th अध्याय जनन के तीसरे पार्ट का स्टडी नोट्स उपलब्ध करा रहें हैं| हम इस चैप्टर नोट्स में जिन टॉपिक्स को कवर कर रहें हैं उसे काफी सरल तरीके से समझाने की कोशिश की गई है और जहाँ भी उदाहरण की आवश्यकता है वहाँ उदहारण के साथ टॉपिक को परिभाषित किया गया है| तत्वों के वर्गीकरण यूपी बोर्ड कक्षा 10 विज्ञान का एक विशेष अध्याय हैं। इसलिए, छात्रों को इस अध्याय को अच्छी तरह तैयार करना चाहिए। यहां दिए गए नोट्स यूपी बोर्ड की कक्षा 10 वीं विज्ञान बोर्ड की परीक्षा 2018 और आंतरिक परीक्षा में उपस्थित होने वाले छात्रों के लिए बहुत उपयोगी साबित होंगे। इस लेख में हम जिन टॉपिक को कवर कर रहे हैं वह यहाँ अंकित हैं:
1. कायिक जनन का महत्त्व (Importance of Vegetative Propagation)
2. कायिक जनन के लाभ तथा हानी
3. बीजों का अंकुरण (Germination of Seeds)
4. भारत की जनसंख्या : एक विस्फोटक स्थिति (Population of India : An Explosive Condition)
कायिक जनन का महत्त्व (Importance of Vegetative Propagation) :
लाभ - 1. नए पौधे कम समय में उत्पन्न हो जाते हैं।
2. नए पौधे मातृ पौधे की तरह होते हैं। इनमें विभिन्नताएं नहीं आतीं।
3. अनेक पौधों में सामान्यत: केवल कायिक जनन ही संभल होता है।
4. अनेक जंगली और बेकार पौधों को कृत्रिम कायिक जनन; जैसे - कलम, रोपण आदि; के द्वारा उपयोगी पौधों में बदला जा सकता है।
5. नए पौधे बनते समय वातावरण का प्रभाव कम होता है। बीज से उत्पन्न होने वाले नवोदभिद पादपों पर वातावरण का प्रभाव अधिक होता हैं।
हानियाँ - 1. इस प्रकार के जनन से पौधों में उनके लक्षणों को नहीं बदला जा सकता।
2 नए पौधों के मातृ पौधे के आस - पास उगने से भूमि, जल खनिज प्रकाश, वायु आदि के लिए पौधों में जीवन - संघर्ष अधिक बढ़ जाता हैं।
3. कायिक जनन से पौधों की प्रजनन शक्ति कम हो जाती हैं।
4. नईं जातियों विकसित नहीं होती।
बीजों का अंकुरण (Germination of Seeds) :
बीज के अन्दर स्थित भ्रूण के प्रसूप्तवस्था (dormant stage) से सक्रिय अवस्था (active stage) में आने तथा नवोदभिद को जन्म देने की प्रक्रिया अंकुरण (germination) कहलाती हैं। बीज का अंकुरण जल, उचित ताप, वायु आदि अनुकूल परिस्थितियों के मिलने पर ही होता है।
अंकुरण के प्रकार - बीजों का अंकुरण मुख्य रूप से निम्नलिखित दो प्रकार का होता है-
1. भुम्युपरिक (Epigeal) - जब अंकुरण के समय चीज के बीजपत्र भूमि से बाहर निकल आते है, जैसे - सेम, अरण्डी में|
2. अधोभूमिक (Hypogeal) - जब बीज़पत्र अंकुरण के समय भूमि के अन्दर ही रह जाते है, केवल प्रांकुर ही भूमि के बाहर आता है जैसे - चना, मक्का में|
3. जरायुज (Viviparous) - इसमें अंकुरण के समय फल पौधों पर लगे रहते हैं। जब मूलांकुर सुविकसित हो जाता है को नवोदभिद पादप मातृ पौधे से पृथकृ होकर दलदल में धँस जाता है, जैसे राइजोफोरा में|
भारत की जनसंख्या : एक विस्फोटक स्थिति (Population of India : An Explosive Condition) :
हमारे देश की जनसंख्या सन 1981 मे लगभग 70 करोड़ थी और आज 121 करोड हो गई है।
विश्व भर में चीन के बाद भारत का जनसंख्या में दूसरा स्थान हैं। जनसंख्या की इस वृद्धि से अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो रही है; जैसे - पेट भरने के लिए भोजन की कमी, तन ढकने के लिए कपडे की आवश्यकता, भूमि पर रहने के लिए स्थान की कमी व सड़को पर बढ़ती भीड, विद्यालयों में सीमित स्थान, बेरोजगारी, देश की आर्थिक स्थिति का बिगड़ता अस्पतालों में सीमित स्थान तथा बढती भीड़ के कारण रोगियों की उचित देख - भाल न होना आदि। वर्ष 2011 को जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या 1, 210, 193, 422 और उत्तर प्रदेश की जनसंख्या 199,588,477 थी। आज जनसंख्या/वृद्धि देश के आर्थिक विकास के हर क्षेत्र में अवरोध उत्पन्न कर रहीं है। जनसंख्या की दृष्टि से हमारा देश आज निश्चित रूप है विस्फोटक स्थिति में आ गया है। इस वृद्धि पर रोक लगानाहमारे लिए अत्यन्त आवश्यक है।
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