आईएएस प्रारंभिक परीक्षा 2014, संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा 24 अगस्त 2014 को आयोजित की जाएगी. इस वर्ष की सिविल सेवा परीक्षा की प्रक्रिया प्रारंभिक परीक्षा के लिए अधिसूचना जारी किए जाने के साथ शुरू हो होगी, जो यूपीएससी की सूचना के अनुसार 17 मई 2014 को होने की आशा है. प्रारंभिक परीक्षा में दो प्रश्नपत्र - सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र I और सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र II होते हैं.
आईएएस प्रारंभिक परीक्षा का पाठ्यकम भारतीय इतिहास के अंग के रूप में भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का स्पष्ट उल्लेख करता है. इससे इस टॉपिक का अत्यधिक समर्पण के साथ अध्ययन करना अनिवार्य हो जाता है.
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन आधुनिक भारतीय इतिहास का एक अंग है, जो मोटे तौर पर मुगलोत्तर अवधि से संबंध रखता है. भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन सामान्यत: 1857 के विद्रोह से लेकर स्वतंत्रता-प्राप्ति तक का वर्णन करता है. भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन पर विशेष फोकस के साथ यह आधुनिक भारतीय इतिहास परीक्षा के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि लगभग 8-10 प्रश्न हर साल इस खंड से पूछे जाते हैं.
इस टॉपिक की तैयारी आदर्श रूप में एनसीईआरटी की कक्षा XII की बिपिन चंद्र द्वारा लिखित 'आधुनिक भारत' शीर्षक पुस्तक से की जानी चाहिए. इसके बाद इस टॉपिक को गहराई और विस्तार से समझने के लिए अभ्यर्थियों को बिपिन चंद्र द्वारा ही लिखी गई 'भारत का स्वतंत्रता के लिए संघर्ष' नामक पुस्तक पढ़नी चाहिए. यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई महत्त्वपूर्ण बिंदु छूट न जाए, आधुनिक भारतीय इतिहास पर स्पेक्ट्रम की पुस्तक पढ़ी जा सकती है.
अभ्यर्थियों को महत्त्वपूर्ण बिंदुओं को रेखांकित करना और लिख लेना चाहिए तथा अपने खुद के नोट्स बनाने चाहिए. नोट्स में तालिकाएँ और फ्लोचार्ट्स जैसी चित्रात्मक प्रस्तुतियाँ शामिल करने से टॉपिक्स को रिवाइज करने और पॉइंट्स को बेहतर तरीके से याद करने में मदद मिलती है. इससे परीक्षा से पहले सुगम और तीव्र रिविजन करना भी आसान हो जाएगा.
फोकस के क्षेत्र :
अभ्यर्थियों को प्रारंभिक परीक्षा में बार-बार पूछे जाने वाले निम्नलिखित क्षेत्रों पर अपना फोकस रखना चाहिए :
• भू-राजस्व व्यवस्था और सामाजिक व्यवस्था सहित ब्रिटिशयुगीन नीतियाँ और प्रशासनिक व्यवस्था
• महत्त्वपूर्ण ब्रिटिश गवर्नर-जनरल और उनकी नीतियाँ
• विभिन्न सशस्त्र विद्रोही, किसान आंदोलन, महिला आंदोलन, जनजातीय विद्रोह
• सामाजिक-धार्मिक सुधारक और उनके सुधार आंदोलन, जैसे कि राजा राममोहन राय और ब्रह्म समाज, स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण मिशन, दयानंद सरस्वती और आर्यसमाज
• भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और उसके महत्त्वपूर्ण अधिवेशन
• ब्रिटिशयुगीन सम्मलेन, समितियां और कानून
• महात्मा गांधी पर विशेष फोकस के साथ प्रमुख स्वतंत्रता-सेनानी और स्वतंत्रता-आंदोलन में उनका योगदान.
विषय को गहराई से समझकर इन सब प्रश्नों का उत्तर दिया जा सकता है. पिछले कुछ वर्षों से इतिहास के प्रश्नों का ट्रेंड बदल गया है और अब वे तथ्योन्मुख न होकर अधिक विश्लेष्णात्मक और तार्किक किस्म के प्रश्न होने लगे हैं. इससे अभ्यर्थियों को आसानी और कठिनाई दोनों हुई है. प्रारंभिक परीक्षा में प्रश्नों के उत्तर देने के लिए पॉइंट्स रटने मात्र के बजाय विषय की गहनतर समझ आवश्यक है.
इस खंड से पिछले वर्षों के कुछ प्रश्न नीचे दिए जा रहे हैं :
प्रश्न : बंगाल में तिभाग किसान आंदोलन की माँग निम्नलिखित में से किसके लिए थी?
(क) भूस्वामियों के हिस्से को फसल के आधे से घटाकर एक-तिहाई करना
(ख) भूमि का स्वामित्व किसानों को प्रदान करना, क्योंकि वे भूमि के असली उत्पादक थे
(ग) जमींदारी-प्रथा का उन्मूलन और कृषि-दासता की समाप्ति
(घ) किसानों के समस्त ऋण समाप्त करना
उत्तर : (क)
प्रश्न : एनी बीसेंट :
1. होम रूल आंदोलन शुरू करने के लिए उत्तरदायी थीं
2. थियोसोफिकल सोसायटी की संस्थापक थीं
3. एक बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष रही थीं
नीचे दिए गए कोड्स का इस्तेमाल कर सही कथन/कथनों का चयन करें.
(क) केवल 1
(ख) केवल 2 और 3
(ग) केवल 1 और 3
(घ) 1, 2 और 3
उत्तर : (ग)
प्रश्न : भारतीय स्वतंत्रता-संघर्ष के दौरान राष्ट्रीय सामाजिक सम्मेलन का गठन किया गया था. इसके गठन का क्या कारण था?
(क) बंगाल क्षेत्र के विभिन्न समाजसुधार-समूह या संगठन बृहत्तर हितों के मुद्दों पर चर्चा करने और सरकार के समक्ष उपयुक्त याचिकाएँ/अभ्यावेदन प्रस्तुत करने हेतु एक एकल निकाय बनाने के लिए एकजुट हो गए
(ख) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अपनी चर्चाओं में समाज-सुधार को शामिल नहीं करना चाहती थी, इसलिए उसने इस प्रयोजन के लिए एक अलग निकाय बनाने का फैसला किया
(ग) बेहरामजी मालाबारी और एम.जी. रानाडे ने देश के समस्त समाजसुधार-समूहों को इकट्ठा कर एक संगठन के अंतर्गत लाने का निश्चय किया
(घ) इस प्रसंग में ऊपर दिए गए (क), (ख) और (ग) कथनों में से कोई कथन ठीक नहीं है
उत्तर : (ग)
प्रश्न : भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन (1929) इतिहास में बहुत महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि
1. कांग्रेस ने पूर्ण स्वतंत्रता की माँग का संकल्प पारित किया
2. इस अधिवेशन में चरमपंथियों और नरमपंथियों के मतभेद दूर कर दिए गए
3. इस अधिवेशन में द्विराष्ट्र सिद्धांत को नकारने का संकल्प पारित किया
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन ठीक है/हैं?
(क) केवल 1
(ख) 2 और 3
(ग) 1 और 3
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर: (क)
प्रश्न : निम्नलिखित में से किसने 19वीं सदी में भारत में जनजातीय विद्रोह के लिए सामान्य कारक उपलब्ध कराया?
(क) भू-राजस्व की नई प्रणाली और जनजातीय उत्पादों पर कर लगाने की शुरुआत
(ख) जनजातीय क्षेत्रों में विदेशी धार्मिक मिशनरियों का प्रभाव
(ग) जनजातीय क्षेत्रों में एक बड़ी संख्या में साहूकारों, व्यापारियों और राजस्व-किसानों का बिचौलियों के रूप में उभार
(घ) जनजातीय समुदायों की पुरानी कृषि-व्यवस्था का संपूर्ण विघटन
उत्तर : (ग)
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