हम देखते है कि कुछ छात्र बोर्ड परीक्षा, डिप्लोमा एग्जाम, प्रवेश परीक्षा, इंजीनियरिंग एग्जाम, मैनेजमेंट एग्जाम या ज़िंदगी के किसी भी बेसिक एग्जाम में फेल हो जाते है, तो यह आपके लिए अत्यंत कष्टकारी और आत्मगिलानीयुक्त होता है | इस सब से बाहर निकल कर आपको अपने भविष्य पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करनी चाहिए और उन बिन्दुओं को खोजे जिनसे आपको असफलता मिली तथा उन बिन्दुओं पर मेहनत करते हुए भविष्य में सफलता की ओर अग्रसर हो |
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इस लेख में हम कुछ बिन्दुओं पर प्रकाश डाल रहे है, जिसके द्वारा आप फेल होने पर भी ज़िन्दगी में आगे बढने और सफलता प्राप्त करने में कामयाब हो सकते है |
1. कम्पार्टमेंट के द्वारा पास होने का एक और मौका :
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कुछ एग्जाम में पहेले प्रयास में फेल होने पर फिर से एग्जाम में पास होने का मौका देते है, जैसे कि बोर्ड एग्जाम में 1 या 2 विषय में फेल होने पर बोर्ड कम्पार्टमेंट एग्जाम कराता है | अत: हमको बिना समय गवायें कम्पार्टमेंट एग्जाम की तैयारियां स्टार्ट कर देनी चाहिए | अगर जरूरत पड़े तो उस विषय की किसी अच्छे अध्यापक से कोचिंग भी ले सकते है | याद रखे इसमें फेल होने पर उस कक्षा में उसी साल में पास होने का और कोई और मौका नही मिलेगा | अत: मेहनत करे और अपने अच्छे भविष्य का निर्माण करें |
इसके अतिरिक्त जिनको कम्पार्टमेंट एग्जाम का मौका नही मिलता उन्हें चाहिए कि बिना किसी नकारात्मक सोच के दुबारा अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए और कड़ी महेनत करें | क्योंकि हमारे सामने एसे बहुत सरे उदाहरण हैं जिसमें व्यक्ति कई बार फेल होने के बाद भी सफलता हासिल की है | उदाहरण के तौर पर प्रख्यात वैज्ञानिक थॉमस ऐल्वा एडीसन |
2. रिलैक्स करें ज्यादा टेंशन न लें:
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फेल होने पर ज्यादा निराश होने की जरूरत नही है, और फिर से जीवन की नई शुरुआत समझकर अगले साल होने वाले एग्जाम में पास होने के लिए तैयार हो जाने चाहिए | गतवर्ष में की गई गलतियों से सबक लें तथा फिर से एक नई और उचित रणनीति बनाकर एग्जाम में पास होने के लिए प्रयास करे |
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आप जिस एग्जाम में फेल हुए है, उसका नये छात्र की तरह पुरे सिलेबस की फिर से प्रिपरेशन करने की जरूरत नही है | आप सॉल्व्ड और अनसॉल्व्ड पेपर्स सॉल्व करेंगे तो काफी हद तक आपकी प्रिपरेशन हो जाएगी।
3. प्रत्येक असफलता एक सकारात्मक संदेश भी देती है:
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कभी भी किसी काम में असफलता मिलने पर निराश न हो, बल्कि उन बिन्दुओं पर ध्यान दे जिनकी वजह से असफलता मिली उससे सीखने की कोशिश करें क्योंकि प्रत्येक असफलता एक सकारात्मक संदेश देती है |
आलसी न बन कर प्रत्येक कार्य जिम्मेदारी के साथ समय से पूरा करने की कोशिश करें, क्योंकि आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन होता है । अत: अपने आप को हमेशा चुस्त बनाये रखे और अपने जीवन के लक्ष्य को पाने के लिए लगातार कड़ा परिश्रम करते रहे, क्योंकि रुका हुआ पानी भी जल्दी ही सड़ जाता हैं |
4. हमेशा सकारात्मक रहे:
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आप कभी ऐसे व्यक्ति से मिलना पसंद नही करेंगे जोकि बहुत ही नकारात्मक हो । लोग हमेशा जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण वाले लोगों से घिरे रहना चाहते हैं। वे ऐसे लोगों के बीच रहना चाहते हैं जो उनका उत्साह बनाए रखें और जो उनके आस–पास के माहौल में सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकें । ज्यादातर मामलों में ये ऐसे लोग होते है जिनका व्यक्तित्व ही विजय प्रदान करने वाला होता है। अत: हम कहे सकते है कि सकारात्मकता और व्यक्तित्व भी एक दूसरे से संबद्ध हैं।
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हम सभी जानते हैं कि सकारात्मक रहना हमें सफल बनाने में मदद करता है लेकिन ज्यादातर लोग अपने जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में असमर्थ रहते हैं। ऐसा करने के क्रम में आपको चीजों को अलग तरीके से देखना शुरु करना होगा और यह आपके काम में भी दिखाई देना चाहिए। परिस्थितियों और चुनौतियों के बावजूद अपना उज्जवल पक्ष ढूंढ़ने की कोशिश करें। अच्छी बातों को देखने की कोशिश करें और उन्हें हल करने का सबसे अच्छा तरीका ढूंढ़ें। यह आपके जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में मदद करेगा।
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1. फेल होने के बाबजूद पढ़ाई में रूचि बनाये रखें। इसके माध्यम से सफलता प्राप्त करने की कोशिश करें।
2. सकारात्मकता पर ध्यान दें। नकारात्मक की बजाए सकारात्मक और सार्थक वातावरण में रहें।
3. बातचीत करें बहस नहीं। जहां असहमती हो, असहमती पर सहमति दिखाएं।
4. किसी दूसरे पर अपना विचार न थोपें. आलोचना या फैसला न करें। दूसरे के विचारों और अधिकारों का सम्मान करें।
5. व्यक्ति को उसके सबसे अच्छे गुणों से जानें। व्यक्ति को अच्छा दिखाएं (बनावटी न बने) ।
6. समानताओं पर निर्णय करते समय मतभेदों को स्वीकारें ।
7. खुद के लिए सच्चे बनें । नकल न करें, अपने खुद के विचारों को साझा करने के लिए तैयार रहें।
8. किसी भी चर्चा में हावी न हों, साथ ही अपनी बात कहने से भी न चूकें।
9. उद्देश्यपूर्ण प्रश्न पूछें। जीवन में आपको क्या प्रोत्साहित करता है? इस बदलाव की प्रेरणा क्या है? सार्थक सवाल से सार्थक जवाब प्राप्त करें।
10. दूसरे क्या कहते हैं/ करते हैं, पर अधिक आलोचनावादी रवैया न अपनाएं।
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