तैयारी आर्मी की

Jan 19, 2012, 15:43 IST

बहुत से युवाओं की तरह उसके पास भी कॅरियर विकल्पों की कमी नहीं थी

बहुत से युवाओं की तरह उसके पास भी कॅरियर विकल्पों की कमी नहीं थी। वह चाहता तो किसी भी कॅरियर में जाकर बेहतर पैसा, सेफ्टी, आरामदेह जिंदगी आसानी से पा सकता था, लेकिन उसने चुना अग्निपथ। दरअसल कारगिल की चोटियों को दुश्मनों के कब्जे से वापस लेने की जिद्द ने उसके भीतर वह आग लगाई, जो दुश्मनों के लिए दावानल साबित हुई। दुश्मनों की लाशों पर से अपना सफर बनाते हुए एक के बाद एक हिमालय की प्वांइट 5140, प्वाइंट 4750, प्वाइंट 4875 पर फ तेह हासिल की। और आखिर में अपनी जान देकर आने वाली पीढियों को गर्व करने की वजह दे दी। हम बात कर रहे हैं कारगिल युद्ध के शहीद परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बत्रा की। तीन साल के छोटे से सेना के कॅरियर में उन्होंने कुछ वे मुकाम स्थापित कर दिए, जिसके लिए आम लोग पूरी जिंदगी मेहनत के बाद भी तरसते हैं। आज विक्की द्वारा स्थापित इन ऊंचे मुकामों के करीब पहुंचने की हसरत आर्मी ज्वाइन करने वाला हर युवा रखता है। सबसे पहले देश, फिर अपनी रेजीमेंट, अपने साथी और सबसे आखिरी में अपनी जिंदगी का ख्याल। आज भारतीय सेना अपनी इन्हीं परंपराओं के कारण पूरी दुनिया में एक अलग पहचान रखती है। यदि सेना को कॅरियर के लिहाज से देखें, तो यह महज एक अवसर भर नहीं है, बल्कि यह तो फर्जअदायगी की वह राह है, जिसमें देश के करोडों लोग आप भर असीम भरोसा करते हैं और मानते हैंकि जब तक आप सरहद पर अपलक बैठे हैं दुश्मन देश में झांकने की जुर्रत भी नहीं कर सकता। 15 जनवरी, सेना दिवस के ऐसे ही खास अवसर पर हम सेना को कॅरियर विकल्प के तौर पर आपके सामने रख रहे हैं।

आर्मी ही क्यों ?

वैसे तो देश की सुरक्षा में तीनों ही सेनाएं अपनी-अपनी जिम्मेदारी निभाती हैं, लेकिन जहां तक थल सेना का सवाल हैतो उसकी अहमियत सर्वाधिक है। अब चाहे आकार की बात हो या फिर डिफेंस बजट में कुल हिस्सेदारी की। थल सेना को सर्वाधिक वरीयता दी जाती है। आखिर ऐसा हो भी क्यों न। देश की सीमावर्ती क्षेत्रों की निगहबानी हो या आतंक प्रभावित क्षेत्रों में कई-कई दिन चलने वाले कठिन ऑपरेशन, या फिर युद्धकालीन परिस्थितियां,थल सेना हर दम फ्रंट लाइन रोल में होती है। यही कारण हैकि सेना को हरदम बेहद जुनूनी, कठिन से कठिन परिस्थितयों में हार न मानने वाले जूझारू युवाओं की जरूरत होती है। इन्हीं सबके चलते करीब 12 लाख की शक्तिशाली भारतीय सेना में आज अवसरों की कोईकमी नहीं है। केवल कॉम्बेट फ्रंट पर ही नहीं इंजीनियरिंग सिग्नल, मेडिकल, एजूकेशन जैसे बहुत से क्षेत्र हैं, जो युवाओं को आर्मीमें इंट्री की राह देते हैं। यदि आप भी आर्मीमें जाकर उसकी बेहतरीन लाइफ स्टाइल, एडवेंचर, देश के लिए कुछ करने के जुनून से सीधे दो चार होना चाहते हैं तो आपके लिए यहां करने व सीखने को बहुत कुछ है।

बेहतर लाइफ की गारंटी

सेना आपको एक अलग ही दुनिया में ले जाती है, जहां आप एडवेंचर से लेकर बेहतरीन प्रोफेशनल कोर्सेज तक के न जाने कितने विकल्प चुन सकते हैं। आप चाहें तो सेना के जरिए कार रैली, बाइक रैली, माउंटियनेरिंग आदि में हिस्सा लेकर अपने एडवेंचरस नेचर को नेक्स्ट लेवल तक ले जा सकते हैं, तो वहीं मुक्केबाजी, घुडसवारी, शूटिंग, फेंसिंग (तलवारबाजी), गोल्फ जैसे तमाम खेलों में भी यहां हाथ अजमाने का पूरा मौका होता है। केवल सेना में रहने तक ही नहीं बल्कि इसके बाद भी आपके पास एक बेहतरीन लाइफ का विकल्प होता है। रक्षा मंत्रालय पुर्नवास महानिदेशालय ऐसे ही मामले देखता है। इसने सेना के स्थाई कमीशन व एसएससी ऑफिसरों के प्रशिक्षण के लिए आईआईएम, एमिटी जैसे संस्थानों से समझौते किए हैं, वहीं सैनिकों के पुर्नवास के लिए भी यह कईस्किल इनहैंसमेंट प्रोग्राम चलाता है।

कैसे ले सकते हैं इंट्री

सेना में दो तरह के ऑफिसर होते हैं- एक वे जो शॉर्ट सर्विस कमीशन के जरिए थोडे समय के लिए आर्मी से जुडते हैं। दूसरे जो सेना में स्थाईकमीशन ले उसे लॉन्ग टर्म कॅरियर ऑपरेशन के रूप में देखते हैं। स्थाई कमीशंड अधिकारियों की नियुक्ति जहां यूपीएससी करता है तो वहीं अल्पकालीन क मीश्ड अधिकारियों, तकनीकी, महिला, एनसीसी डायरेक्ट इंट्री स्कीम आदि से संबधित भर्तियां संबधित रिक्रूटमेंट डायरेक्टोरेट बोर्डक रता है।

एसएसबी है कसौटी

एसएसबी, डिफेंस सर्विसेज ज्वाइन करने से पहले आपकी काबिलियत जानने की महत्वपूर्ण कसौटी होती है। रिटेन टेस्ट में सफल होने वाले कैंडिडेट्स एसएसबी में भाग लेते हैं। इस पांच दिवसीय टेस्ट में देश के भावी सैन्य ऑफिसरों को हर लिहाज से परखा जाता है। यहां शामिल होने वाले कैंडिडेट्स को न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक तौर पर खुद को फिटेस्ट साबित करना होता है। यह प्रक्रिया पूरे पांच दिन चलती है, जिसमें हर दिन कैंडिडेट्स को अनेक टेस्टों, परीक्षणों, डिस्कशन के बेहद चुनौतीपूर्ण दौर से गुजरना होता है। इन टेस्टों में कामयाब कुछ कैंडिडेट्स ही आखिरी दिन के एसएसबी तक पहुंच पाते हैं।

पहला दिन - एसएसबी इंटरव्यू का पहला दिन कैंडिडेट्स के लिए खासा महत्वपूर्ण होता है, जिसमें कैंडिडेट्स वर्बल, नॉन वर्बल टेस्ट देते हैं। इसके बाद टीएटी (थिमेटिक एपरसेप्शन टेस्ट) होता है। इसमें कैंडिडेट्स दिए हुए चित्र पर स्टोरी लिखकर उस पर डिस्कशन करते हैं।

दूसरा दिन - उम्मीदवारों को पुन: टीएटी से गुजरने के बाद वर्ड एसोसिएशन टेस्ट होता है, जिसमें कु छ शब्द दिखाकर उन पर वाक्य लिखने को कहा जाता है। जबकि विभिन्न परिस्थितियों में कैंडिडेट्स की मानसिक प्रतिक्रिया जांचने के लिए सिचुएशन रिएक्शन टेस्ट से गुजारा जाता है।

तीसरा दिन - एसएसबी के तीसरे दिन कैंडिडेट्स ग्रुप डिस्कशन, प्रोग्रेसिव ग्रुप टास्क (समूह टास्क) जैसे टेस्ट में हिस्सा लेते हैं। इसके बाद उन्हें हाफ ग्रुप टास्क, ग्रुप प्लानिंग, स्नेक टेस्ट (फिजिकल ऑब्सटेकल क्लियरेंस टेस्ट),इंडीविजुअल ऑब्सटेकल टेस्ट पूरे करने होते हैं।

चौथा दिन - टेस्ट के चौथे दिन सबसे पहले कैंडिडेट्स कमांड टेस्ट में भाग लेते हैं, जहां उनकी नेतृत्व क्षमताओं का आकलन किया जाता है। वहीं इसके बाद उम्मीदवारों की फिजिकल क्षमताएं जानने के लिए फाइनल प्रोग्रेसिव ग्रुप टास्क कंडक्ट किया जाता है।

पांचवां दिन - इसमें आप जीटीओ, डिप्टी कमांडेट, कमांडेट, साइकोलॉजिस्ट के साथ एक फॉर्मल डिकस्क्शन सेशन में भाग लेते हैं। इस दौरान आपके अनुभव, प्रक्रिया में सुधार के सूझाव भी मांगे जाते हैं।

Jagran Josh
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Education Desk

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