उत्तर प्रदेश में लोकसेवा आयोग द्वारा कराई जाने वाली संयुक्त अधीनस्थ सेवा चयन परीक्षा का रास्ता साफ हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने ओवरएज हो चुके आयुसीमा में छूट मांगने वाले अभ्यर्थी सुनील कुमार रे की याचिका मंगलवार को खारिज कर दी. कोर्ट ने राज्यपाल का आदेश देखने के बाद याचिका खारिज की.
उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग की कंबाइंड लोअर सबऑर्डिनेट सर्विस (जनरल सेलेक्शन) 2013 की परीक्षा गत 19 जनवरी को होने वाली थी. लेकिन सुनील कुमार रे की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट से जारी अंतरिम रोक आदेश के कारण परीक्षा टल गई थी. 25 फरवरी 2014 को उप्र सरकार की ओर से पेश वकील एमआर शमशाद ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता की आयु सीमा में छूट मांगने की दलील ठीक नहीं है. जून 2012 में आयुसीमा में पांच साल की बढ़ोतरी की गई है. परीक्षा में शामिल होने के लिए आयुसीमा 35 से बढ़ाकर 40 साल की गई है. उन्होंने कोर्ट में राज्यपाल का आदेश भी पेश किया जिसमें राज्यपाल ने आयु सीमा में और छूट देने से इन्कार किया था. मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति एआर दवे की पीठ ने राज्यपाल का आदेश देखने के बाद सुनील की याचिका खारिज कर दी. हालांकि सुनील ने बाद में कोर्ट से याचिका वापस लेने का अनुरोध किया जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया.
उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग की परीक्षाएं हर साल नहीं होती हैं. दो-तीन साल के अंतराल पर ये परीक्षा आयोजित की जाती है। इससे कई अभ्यर्थी ओवरएज हो जाते हैं. कुछ ओवरएज हो चुके अभ्यर्थियों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर हर वर्ष परीक्षा कराने का आदेश मांगा था. हाई कोर्ट की एकलपीठ ने आयोग को हर साल परीक्षा कराने का आदेश तो नहीं दिया लेकिन कहा कि राज्यपाल के पास उम्र में छूट देने का अधिकार है. ऐसे में परीक्षा की तिथि आगे बढ़ा दी जाए. इस बीच ओवरएज अभ्यर्थी राज्यपाल से उम्र में छूट मांगे या राज्यपाल के आवेदनों पर फैसला लेने तक ओवरएज अभ्यर्थियों को प्रोविजनल अभ्यर्थियों के तौर पर परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दे दी जाए. फैसले के खिलाफ आयोग ने हाई कोर्ट की खंडपीठ में अपील की जहां गत वर्ष चार दिसंबर को एकलपीठ के आदेश पर रोक लगा दी थी. याचिकाकर्ता इसके बाद सुप्रीम कोर्ट चला गया था.
यूपीपीएससी लोअर पीसीएस 2013: प्रारंभिक परीक्षा स्थगित
Comments
All Comments (0)
Join the conversation