आज ज्यादातर इंडस्ट्रीज बदलते समय के अनुरूप खुद को बदलने या अपडेट करने में लगी हैं। इसके चलते एक ओर उनका विस्तार नए क्षेत्रों में हुआ है तो वहीं कॅरियर के नए व अब तक अंजान क्षेत्रों में भी अवसर बढे हैं। ऐसे में जो विकल्प कल तक कॅरियर के लिहाज से जॉब ओरिएंटेड नहीं थे, आज मजबूत भविष्य का आधार साबित हो रहे हैं। हेल्थ सेक्टर ऐसा ही क्षेत्र है, जहां इन दिनों युवाओं के लिए इस क्षेत्र की परंपरागत शाखाओं के अलावा नए-नए अवसर खुल रहे हैं। कुछ वर्ष पहले तक यही धारणा थी कि बायो स्ट्रीम से बारहवीं करने के बाद सिर्फ डॉक्टर बना जा सकता है, लेकिन आज के दौर में ये बातें सही नहीं रह गई हैं। आज बायो स्ट्रीम के स्टूडेंट्स के पास हेल्थ सेक्टर में अच्छे मौके हैं। जरूरत है तो बस पूर्ण समर्पण के साथ लक्ष्य पर नजर रखने की। इसमें सैलरी और सामाजिक प्रतिष्ठा भी किसी तरह से कम नहीं है। यही कारण है कि आज हेल्थ इंडस्ट्री में बडी संख्या में युवा कॅरियर बना रहे हैं व अपनी उपयोगिता भी सिद्ध कर रहे हैं। अगर आपकी रुचि इस सेक्टर में है, तो यहां बेहतर कॅरियर बनाया जा सकता है।
खास है कॅरियर
देश की बढती जनसंख्या, बढती स्वास्थ्य जरूरतों के बीच,इस फील्ड की अहमियत किसी से छिपी नहीं है। अब चाहें वह साधारण खरोंच हो या जटिल रोग, सभी स्थितियों में लोग डॉक्टरी सलाह को ही महत्व देते हैं। ऐसे में योग्य डॉक्टरों व मेडिकल कर्मियों की जरूरत पहले के मुकाबले आज कहीं बढी है। इन्वेस्टमेंट कमीशन ऑफ इंडिया के अनुसार देश का हेल्थ केयर सेक्टर आज सालाना 12 प्रतिशत की दर से आगे बढ रहा है। एक अनुमान के अनुसार सन 2020 तक इसका आकार 280 बिलियन अमेरिकी डॉलर का हो जाएगा। ऐसे में मेडिकल से जुडे सभी क्षेत्रों में अवसरों में इजाफा तय है।
क्यों बढ रहा है हेल्थ सेक्टर
जनसंख्या बढने के साथ-साथ लोगों की लाइफस्टाइल भी बदली है। इसके कारण क्रॉनिक और लाइफस्टाइल डिजीज ने पैर पसारे हैं, लेकिन प्रतिव्यक्तिआय व जागरूकता में इजाफे के चलते जहां आज लोग बेहतर इलाज में समर्थ हुए हैं, तो वहीं खुद सरकारी व प्राइवेट सेक्टर भी अपने कर्मचारियों का बेहतर स्वास्थ्य व इलाज के लिए भारी निवेश कर रहे हैं। इन सब कारणों से आज उच्च गुणवत्ता वाले हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स की मांग में इजाफा लाजिमी है। अत्यधिक मांग की वजह से इस क्षेत्र में प्राइवेट हेल्थकेयर प्रोवाइडर तेजी से इंट्री ले रहे हैं साथ ही उच्च तकनीक और अच्छा एन्वॉयरनमेंट प्रदान करने वाले तमाम हॉस्पिटल्स भी आज की जरूरत बन गए हैं। इस इंडस्ट्री में बडे बदलाव की वजह तकनीक का एडवांसमेंट और चिकित्सा के क्षेत्र में नई-नई खोजें भी मानी जा रही हैं। यहां लैब टेक्निीशयन से लेकर बायोमेडिकल, क्लीनकल रिसर्च, फीजियोथेरपी जैसे बहुत से मुकाम हैं जो इन दिनों कामयाब कॅरियर की गांरटी माने जा रहे हैं। इसके अलावा जनरल प्रैक्टिशनर, स्पेशलिस्ट, साइकियाट्रिस्ट, रेडियोडायग्नोसिस फार्मेसिस्ट, गैस्ट्रो एंट्रोलॉजी, पैरामेडिकल विशेषज्ञ के तौर पर भी आप सरकारी, गैर सरकारी समेत एनजीओ जैसे तमाम क्षेत्रों का रुख कर सकते हैं। आप चाहें तो स्वतंत्र रूप से भी काम कर सकते हैं।
कैसे पाएं इंट्री
इस सेक्टर में प्रवेश के लिए ग्रेजुएट से लेकर डिप्लोमा, सर्टिफिकेट सभी तरह के कोर्स उपलब्ध हैं। मेडिकल, पैरामेडिकल व इससें जुडी दूसरी सेवाओं में प्रवेश की चाह रखने वाले युवाओं को 12वीं पीसीबी (फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी ) ग्रुप से होना अनिवार्य है, तो वहीं कई पीजीडीएम कोर्सेज के लिए बायो ग्रुप से स्नातक की योग्यता मांगी जाती है।
हेल्थ के हॉट सेक्टर
स्वास्थ्य सेवाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लक्ष्य पर काम कर रही सरकार के सामने सबसे बडी चुनौती यह है कि सामान्य मेडिकल सुविधाओं को लग्जरी नहीं बल्कि जरूरत की सूची में लाया जाए। यही कारण है कि पिछले एक-डेढ दशक में शहरों से लेकर गांवों तक हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर का तेजी से विकास हुआ है। पैरामेडिकल, ऑर्थोपैडिक्स, प्लास्टिक सर्जरी, क्लीनिकल रिसर्च, रेडियोडायग्नोसिस व अन्य सहायक मेडिकल सेवाएं ऐसे ही तमाम अवसर हैं, जिनका बेहतर इस्तेमाल क र कॅरियर की पगडंडी को स्वर्णिम हाईवे से जोडा जा सकता है। अब तो इस क्षेत्र में टूरिज्म और मैनेजमेंट जैसे नए क्षेत्र की भी इंट्री हो गई है। प्रमुख क्षेत्र हैं :
मेडिकल में मैनेजमेंट
हॉस्पिटल्स में इन दिनों उन मैनेजमेंट विशेषज्ञों की जरूरत है, जो हेल्थ केयर के साथ एडमिनिस्ट्रेशन की बारीकियों से भी वाकिफ हों। ऐसे में हॉस्पिटल मैनेजमेंट/ एडमिनिस्ट्रेशन प्रोफेशनल की डिमांड खूब है। यह एक उभरता हुआ कॅरियर है, जिसे हेल्थ केयर इंडस्ट्री की रीढ तक कहा जाता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि देश के पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर्स के हर अस्पताल में कम से कम 2 या 3 योग्य हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेटर्स होने चाहिए। ऐसे में यदि आपके पास अच्छी मैनेजमेंट स्किल है तो यह क्षेत्र आपके ही लिए है।
फार्मेसी में फ्यूचर
फार्मेसी भी कॅरियर का एक अच्छा विकल्प बनकर उभरा है। दिन-प्रतिदिन खुलते सरकारी एवं प्राइवेट हॉस्पिटल्स तथा नर्सिग होम के साथ दवा कंपनियों की प्रतिस्पर्धा ने इस फील्ड को डिमांडिंग बना दिया है। आज फॉर्मेसी का कोर्स करने के बाद ज्यादातर युवाओं के लिए जॉब की राह आसान हो जाती है। इस कोर्स में इंट्री के लिए कुछ संस्थान प्रवेश परीक्षा तो कुछ मेरिट के आधार पर प्रवेश देते हैं। डिप्लोमा इन फार्मेसी(डीफार्मा), बैचलर ऑफ फार्मेसी (बीफार्मा) व मास्टर ऑफ फॉर्मेसी (एमफार्मा)जैसे कोर्स करके फार्मा कंपनियों में नियुक्ति पाई जा सकती है।
महिलाओं के लिए नर्सिग
नर्सिग के क्षेत्र में आज भी महिलाओं की मजबूत उपस्थिति है। बडी संख्या में महिलाएं इस क्षेत्र में काम कर रही हैं और उससे बडी संख्या में प्रवेश की आकांक्षी हैं। दरअसल नर्सिग लोगों की सेवा से जुडा एक सम्मानित और मानवीय कार्य है, जिसमें रोगी का उपचार करके उसे शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से उबारने में मदद की जाती है। डॉक्टरी के पेशे की तरह इस काम को भी खासा चैलेजिंग माना जाता है। नर्सो को मरीज के सुख-दुख का साथी बनना पडता है। काम के लंबे घंटे, अलग-अलग शिफ्टों में काम, मरीजों के कष्टों को खुद पर हावी न होने देने की चुनौती आदि कुछ ऐसी चीजें हैं, जिन्हें पार कर इस क्षेत्र में कामयाबी पाई जा सकती है।
मेडिकल टूरिज्म का मैजिक
इन दिनों भारत दुनिया में सस्ते व बेहतर इलाज का एक बडा हब बनकर उभरा है, जिसके चलते आज इलाज के लिए भारत आने वाले विदेशियों की संख्या बढी है। मैकिंजे व सीआईआई की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2012 तक मेडिकल टूरिज्म का व्यवसाय 1 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। ऐसे में यदि हम भारतीय मेडिकल इंडस्ट्री की बात करें तो आने वाले 6 वर्षो में इसके 15 फीसदी प्रति वर्ष की दर से बढने की उम्मीद है, जिसमें मेडिकल टूरिज्म के 30 फीसदी वार्षिक की दर से बढने की संभावना है। खुद देश में इस क्षेत्र को हॉस्पिटैलिटी से भी जोडकर देखा जा रहा है, जहां देश के नामी गिरामी हॉस्पिटल्स विदेशियों को आकर्षित करने के लिए तरह तरह की स्कीमें ला रहे हैं। जिसमें वाजिब रेट पर इलाज के साथ पर्यटन, भोजन, आवास, परिवहन जैसी सुविधाएं भी पूरे पैकेज में ऑफर की जाती हैं। यही नहीं विदेशी मुद्रा का बडा स्रोत बन रहे इस क्षेत्र में कई राज्य सरकारें भी इन दिनों खासी रुचि दिखा रही है। केरल जैसे प्रदेश तो मेडिकल टूरिज्म वर्ष का कॉन्सेप्ट भी ला चुके हैं। ऐसे में यदि आपकी रुचि इस क्षेत्र में है, तो यह बडी संभावनाओं का क्षेत्र सबित हो सकता है।
रेडियोग्राफी में राइट कॅरियर
रेडियोग्राफी में किरणों एवं इमेजिंग तकनीक की मदद से इलाज किया जाता है। मेडिकल फील्ड में कई चमत्कारिक खोजें हुई हैं, जिसमें एक्स-रे सबसे अहम है। दरअसल रेडियोग्राफी से कैंसर, ट्यूमर जैसी घातक बीमारियों का समय रहते पता चल जाता है और उनका प्रभावी इलाज संभव हो पाता है। इस फील्ड में जाने के लिए सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, ग्रेजुएट और पीजी लेवल कोर्स किए जा सकते हैं।
मेडिसिन में इंजीनियरिंग स्किल
यदि आपमे इंजीनियरिंग स्किल है, लेकिन रुचि मेडिकल क्षेत्र में है, तो आप बायोमेडिकल या जेनेटिक इंजीनियरिंग में कॅरियर बना सकते हैं। जेनेटिक इंजीनियरिंग विज्ञान की एक अत्याधुनिक ब्रांच है, जिसमें सजीव प्राणियों के जीन्स को अत्याधुनिक तकनीक केजरिए परिवर्तित किया जाता है। जेनेटिक इंजीनियरिंग का कमाल कुछ वर्ष पहले ही दुनिया देख चुकी है, जब इयान विल्मुट और उनके सहयोगी रोसलिन ने क्लोनिंग विधि से भेड का बच्चा तैयार किया, जिसे डॉली नाम दिया गया था। यह हुबहू भेड की जेनेटिक कॉपी थी। जेनेटिक तकनीक के द्वारा ही रोग प्रतिरोधक फसलें और सूखे में पैदा हो सकने वाली फसलों का उत्पादन किया जाता है। जबकि इसी की मदद से पेड-पौधे और जानवरों में रोग प्रतिकारक शक्तियां भी पैदा की जाती है। वहीं इसी क्षेत्र के अंर्तगत आने वाली पेसमेकर, सीटी स्कैनिंग और सोनोग्राफी जैसी तकनीकों के जरिए, कृत्रिम अंगों का निर्माण, जीवनरक्षक तकनीकों का विकास भी संभव हो सका। आपकी रुचि यदि इस क्षेत्र में है, तो इसमें कॅरियर के बेशुमार मौके हैं।
रहें फिट, बनाएं फिट
फजियोथेरेपी फिजिकल थेरेपी का ही दूसरा नाम है, जहां व्यायाम की मदद से बीमारियों पर काबू पाया जाता है। हॉस्पिटल्स, हेल्थ इंस्टीट्यूट में आर्थोपेडिक विभाग में मानसिक तथा शारीरिक रूप से अस्वस्थ बच्चों के स्कूलों के साथ सामान्य स्कूलों, खेलों के क्षेत्र में भी फिजियोथेरपिस्ट की मांग है। वहीं आप चाहें तो प्राइवेट क्लीनिक या फिजियोथेरेपी क्लासेस करके स्वरोजगार की डगर पर चल सकते हैं।
फ्यूचर प्रॉस्पेक्ट्स
हमारे देश में हेल्थकेयर सर्विसेज का बडा नेटवर्क है, लेकिन इनमें स्टाफ की काफी कमी है। एक आंकडे के मुताबिक, यहां करीब 4010 कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर है, 23669 प्राइमरी हेल्थ सेंटर और 154988 सब सेंटर हैं। एक ओर, देश के कई बडे उद्योग समूह हॉस्पिटल्स चेन खोलने की मंशा से इस सेक्टर में इंट्री ले रहे हैं। तो दूसरी ओर स्वास्थ ढांचे की बेहतरी के लिए सरकार भी ठोस कदम उठा रही है। बजट 2011-12 में स्वास्थ सेवाओं में 20 फीसदी के इजाफे की घोषणा की गई। वहीं एसोचेम का एक अध्ययन बताता है कि भारतीय हेल्थ सेक्टर आने वाले सालों में करीब 77 बिलयन डॉलर का होगा। एक अनुमान के मुताबिक, भारत में 2.5 लाख हॉस्पिटल्स हैं, जिन्हें संभालने के लिए बडी संख्या में ट्रेंड प्रोफेनल्स की जरूरत है। रिसर्च व एकेडेमिक्स की, तो यहां भी अच्छे अवसर मौजूद हैं। आज मेडिसिन,न्यूट्रिसनिस्ट, सायकोथेरपिस्ट, साइक्लोजिस्ट, बायोमैकेनिक्स जैसे प्रोफेशनल विशेषज्ञों की भूमिका खास होती है।
कहां से करें कोर्स
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, नई दिल्ली
आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज, पुणे
तीर्थकर महावीर विश्वविद्यालय, मुरादाबाद
महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, वर्धा
जवाहरलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन ऐंड रिसर्च, पॉन्डिचेरी
क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लूर और लुधियाना
पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन ऐंड रिसर्च, चंडीगढ
जीएसवीएम मेडिकल कालेज कानपुर
छत्रपति साहू जी महाराज मेडिकल विश्वविद्यालय, लखनऊ
नालंदा मेडिकल कालेज, पटना
जेआरसी टीम
हेल्थ सेक्टर में हेल्दी कॅरियर
आज ज्यादातर इंडस्ट्रीज बदलते समय के अनुरूप खुद को बदलने या अपडेट करने में लगी हैं
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