26वां विश्व एड्स दिवस 1 दिसंबर 2014 को पूरी दुनिया में मनाया गया. यह दिन एड्स महामारी जो कि एचआईवी संक्रमण से होता है, के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है.
इस दिवस को मनाने का मकसद है सरकारों एवं स्वास्थ्य अधिकारियों, स्वयं सेवी संगठनों एवं लोगों को एड्स से बचाव और उसके इलाज को संबोधित करने की आवश्यकता को रेखांकित करना.
विश्व एड्स दिवस के हिस्से के तौर पर, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने यह कहते हुए कि 15 वर्ष के बच्चों के बीच संक्रमण को रोकना अधिक जरूरी है अधिक निवेश एवं बच्चों तक उपचार की पहुंच बढ़ाने पर जोर दिया.
यूनिसेफ ने एड्स के कारण मृत्यु के आंकड़े जारी किए हैं जिसके मुताबिक 10–19 वर्ष के आयु समूह के बीच मौत की संख्या में कमी नहीं आई है लेकिन 2005 से 2013 के बीच अन्य आयु समूह में मौतों की संख्या में 40 फीसदी की कमी दर्ज की गई है.
विश्व एड्स दिवस के बारे में
• विश्व एड्स दिवस का विचार 1987 में विश्व स्वास्थ्य संगठन में कार्यरत ग्लोबल प्रोग्राम ऑन एड्स के दो जन सूचना अधिकारियों जेम्स बन और थॉमस नीटर का था।
• एचआईवी और एड्स का इतिहास 1981 में अमेरिका में शुरु हुआ जब देश में यह नई बीमारी कुछ समलैंगिक पुरुषों में पाई गई. हालांकि व्यापक तौर पर यह स्वीकार किया गया है कि एचआईवी का मूल अफ्रीका में है और अमेरिका पहला देश था जिसने इस वायरस के बारे में लोगों को बताया.
• विश्व एड्स दिवस पूरी दुनिया के लोगों को एचआईवी के खिलाफ जंग में एकजुट होने का अवसर प्रदान करने, एचआईवी संक्रमित लोगों को अपना समर्थन दर्शाने और इस बीमारी से मारे गए लोगों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए हर वर्ष 1 दिसंबर को मनाया जाएगा.
• पहला विश्व एड्स दिवस 1988 में आयोजित किया गया था और वह पहला वैश्विक स्वास्थ्य दिवस था.

Comments
All Comments (0)
Join the conversation