आस्ट्रेलिया की वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं द्वारा किए गए नये अध्ययन के अनुसार एरोबिक व्यायाम से उम्र बढ़ने के साथ याददाश्त में भी सुधार होता है और दिमाग स्वस्थ बना रहता है.
अध्ययन के दौरान वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने मस्तिष्क के एक हिस्से हिप्पोकैम्पस पर एरोबिक व्यायाम के प्रभाव की समीक्षा की. हिप्पोकैम्पस याददाश्त और दिमाग की कार्यप्रणाली के लिए प्रमुख है.
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अनुसंधानकर्ताओं ने 14 क्लीनिक परीक्षणों की व्यवस्थागत तरीके से समीक्षा की, जिनमें एरोबिक व्यायाम कार्यक्रमों के बाद या नियंत्रित परिस्थितियों में 737 लोगों के दिमाग के स्कैन का परीक्षण किया गया.
आस्ट्रेलिया की वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं द्वारा किया गया शोध पत्रिका न्यूरोइमेज में प्रकाशित किया गया है. पत्रिका न्यूरोइमेज में प्रकाशित परिणाम के अनुसार व्यायाम का हिप्पोकैम्पल के कुल आकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा लेकिन इससे मनुष्यों में हिप्पोकैम्पस के बाएं भाग के आकार में काफी वृद्धि हुई. दिमांग में यह वृद्धि उसके आयतन में होती है. साथ ही संज्ञानात्मक कार्य में वृद्धि होती है.
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वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कॉम्पलीमेंट्री मेडिसिन के जोसेफ फिर्थ के अनुसार ‘‘जब आप व्यायाम करते हैं तो ‘ब्रेन डिराइव्ड न्यूरोट्रॉफिक फैक्टर’ नामक रसायन पैदा होता है जो उम्र के साथ दिमाग को कमजोर होने से रोक सकता है.
विज्ञानियों के अनुसार उम्र बढ़ने के साथ दिमाग कमजोर होता जाता है. चालीस वर्ष की आयु के बाद प्रत्येक दशक में करीब पांच प्रतिशत दिमाग सिकुड़ जाता है. साथ ही व्यक्ति की याददास्त भी प्रभावित होने लगती है. कई बार तो उम्र के साथ याददास्त क्षीण हो जाती है.
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