अमलेंदु तिवारी,बलराम कावंत, ओम नागर और तसनीम खान को वर्ष 2015 के लिए भारतीय ज्ञानपीठ का 11वां नवलेखन पुरस्कार 28 जुलाई 2016 को एक समारोह में प्रदान किया गया. अमलेंदु तिवारी और बलराम कावंत उनके उपन्यास ‘परित्यक्त’ और ‘सारा मोरिला’ के लिए सम्मानित किए गए. जबकि ओम नागर और तसनीम खान को क्रमश: ‘नीब के चिरे से’ और ‘ये मेरे रहनुमा’ के लिए सम्मानित किया गया.
पुरस्कार पाने वालों का चयन वरिष्ठ लेखक एवं पत्रकार मधुसूदन आनंद के नेतृत्व वाली समिति ने किया. इस समिति में जानेमाने साहित्यिक हस्तियां जैसे विष्णु नागर, गोविंद प्रसाद और ओम निश्चल शामिल थे. समारोह में ज्ञानपीठ निदेशक लीलाधर मांडलोई मौजूद थे.
अमलेंदु तिवारी और ओम नागर को 50-50 हजार रुपए, एक प्रमाणपत्र और वाग्देवी की प्रतिमा दी जाएगी. भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार पाने वाले चारों लेखकों की कृतियों का प्रकाशन भी करेगा.
ज्ञानपीठ पुरस्कार के बारे में:
• ज्ञानपीठ पुरस्कार भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान है.
• ज्ञानपीठ पुरस्कार ‘भारतीय ज्ञानपीठ न्यास’ द्वारा प्रतिवर्ष दिया जाता है.
• यह पुरस्कार भारतीय संविधान के आठवीं अनुसूची में उल्लिखित 22 भाषाओं में से किसी भाषा के लेखक को प्रदान किया जाता है.
• प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार वर्ष 1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरुप को प्रदान किया गया था.
• वर्ष 1982 तक यह पुरस्कार लेखक की एकल कृति के लिए दिया जाता था. लेकिन इसके बाद से यह लेखक के भारतीय साहित्य में संपूर्ण योगदान के लिए दिया जाने लगा.
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