Amarnath Yatra 2020: इस साल नहीं होगी अमरनाथ यात्रा, जानें वजह

Jul 22, 2020, 12:19 IST

बता दें कि हजारों श्रद्धालु हर साल इस यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन कराते हैं और बाबा बर्फानी के दर्शन करते है. भगवान भोलेनाथ की पवित्र अमरनाथ यात्रा 2020 हर साल जून महीने में शुरू होती थी.

Amarnath Yatra cancelled due to COVID 19 in Hindi
Amarnath Yatra cancelled due to COVID 19 in Hindi

कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के चलते इस साल होने वाली अमरनाथ यात्रा को रद्द कर दिया गया है. जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल जीसी मुर्मू की अध्यक्षता में हुई श्राइन बोर्ड की बैठक में यह निर्णय लिया गया. इसके साथ ही यात्रा पर जारी असमंजस दूर हो गया है.

बता दें कि हजारों श्रद्धालु हर साल इस यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन कराते हैं और बाबा बर्फानी के दर्शन करते है. भगवान भोलेनाथ की पवित्र अमरनाथ यात्रा 2020 हर साल जून महीने में शुरू होती थी. इससे पहले अप्रैल महीने में भी अमरनाथ श्राइन बोर्ड की तरफ से पवित्र गुफा की यात्रा को रद्द करने की बात कही गई थी. हालांकि इसके थोड़ी देर बाद जम्मू कश्मीर सूचना निदेशालय ने यात्रा रद्द करने का आदेश ही वापस ले लिया था.

क्यों रद्द किया गया यात्रा

बोर्ड के सदस्य इस बात पर सहमत नजर आए कि मौजूदा हालात में श्री अमरनाथ की वार्षिक यात्रा की अनुमति प्रदान करना जनहित में सही नहीं है. अधिकारियों के मुताबिक अगर यात्रा की अनुमति दी जाती है तो स्वास्थ्य अमले और नागरिक व पुलिस प्रशासन का पूरा ध्यान कोविड-19 को हराने की मुहिम के बजाय तीर्थयात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य, सुरक्षा व अन्य प्रबंधों पर केंद्रित हो जाएगा. इससे कोरोना संक्रमण बढऩे की आशंका है.

छड़ी मुबारक क्यों निकाली जाती है?

हालांकि, दशनामी अखाड़ा के महंत दीपेंद्र गिरि की अगुवाई में तीन अगस्त को छड़ी मुबारक निकाली जाएगी. जम्मू-कश्मीर में हाल ही में कोरोना वायरस के संक्रमित मामले बढ़ने से लखनपुर से लेकर बालटाल तक कई क्षेत्र रेड जोन घोषित हैं.

बाबा बर्फानी की छड़ी मुबारक इस साल पारंपरिक पहलगाम मार्ग से नहीं जाएगी क्योंकि उस मार्ग को अभी तक बर्फ की वजह से साफ नहीं किया जा सका है. इसलिए छड़ी मुबारक को महंत दशनामी अखाड़ा के नेतृत्व में कुछ साधु-संतों के साथ हेलीकॉप्टर से गुफा तक ले जाया जाएगा ताकि यात्रा को पूर्ण किया जा सके और पारंपरिक रीति-रिवाज के साथ बाबा की पूजन प्रक्रिया पूरी हो सके.

मान्यताओं के अनुसार छड़ी मुबारक दो अलग-अलग छाड़ियां हैं जिसमे से एक बड़ी छड़ी है और दूसरी छोटी छड़ी है. दोनों अलग-अलग धातुओं से और चांदी के मिश्रण से बनी हैं. इन छड़ियों को भगवान शंकर और माता पारवती के प्रतीक के रूप में श्रावण पूर्णिमा यानी रक्षाबंधन के दिन गुफा में स्थापित कर पूजा जाता है.

अमरनाथ गुफ़ा के बारे में

बाबा अमरनाथ की गुफ़ा को क़रीब 500 साल पहले खोजा गया था. पिछले कई दशकों से भगवान शिव को मानने वाले अमरनाथ यात्रा करते रहे हैं और स्थानीय प्रशासन के लिए भी ये तीर्थ-यात्रा सर्वोच्च प्राथमिकता रही है. अमरनाथ हिन्दुओं का एक प्रमुख तीर्थस्थल है. यह कश्मीर राज्य के श्रीनगर शहर के उत्तर-पूर्व में 135 सहस्त्रमीटर दूर समुद्रतल से 13600 फुट की ऊँचाई पर स्थित है. इस गुफा की लंबाई (भीतर की ओर गहराई) 19 मीटर और चौड़ाई 16 मीटर है. गुफा 11 मीटर ऊँची है.

अमरनाथ गुफा भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है. अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है क्यों कि यहीं पर भगवान शिव ने माँ पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था. यहीं पर एक ऐसी जगह है, जिसमें टपकने वाली हिम बूँदों से लगभग दस फुट लंबा शिवलिंग बनता है.

चन्द्रमा के घटने-बढ़ने के साथ-साथ इस बर्फ का आकार भी घटता-बढ़ता रहता है. श्रावण पूर्णिमा को यह अपने पूरे आकार में आ जाता है और अमावस्या तक धीरे-धीरे छोटा होता जाता है. आश्चर्य की बात यही है कि यह शिवलिंग ठोस बर्फ का बना होता है, जबकि गुफा में आमतौर पर कच्ची बर्फ ही होती है जो हाथ में लेते ही भुरभुरा जाती है. मूल अमरनाथ शिवलिंग से कई फुट दूर गणेश, भैरव और पार्वती के वैसे ही अलग अलग हिमखंड हैं.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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