एंटी रोमियो स्क्वाड : नैतिक पोलिसिंग या वैध पोलिसिंग?

Apr 7, 2017, 10:29 IST

उत्तर प्रदेश सरकार ने महिलाओं का सार्वजनिक स्थानों में उत्पीडन तथा छेड़खानी रोकने हेतु एंटी रोमियो स्क्वाड का गठन किआ है. यह स्क्वाड कई कारणों से चर्चा में है. हमने इन सभी कारणों का विस्तृत अध्ययन किया है.

एंटी रोमियो स्क्वाड क्या है?

चुनाओं में किये गए अपने वादों को पूरा करते हुए योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने 23 मार्च 2017 को एंटी रोमियो स्क्वाड से सम्बंधित आदेश जारी किया.
एंटी रोमियो स्क्वाड विशेष प्रकार की पुलिस टीमें हैं जो सार्वजनिक स्थानों को महिलाओं तथा किशोरियों के लिए सुरक्षित बनाने के लिए तैयार की गई हैं

इन स्क्वाड्स की पुलिस के पुरुष तथा महिला सिपाही बाजार क्षेत्र में, माँलों में, तथा चौकियो में सादे कपड़ों में तैनाद रहते हैं.

मुख्य विवाद: वैध पोलिसिंग या नैतिक पोलिसिंग

महिला उत्पीडन

 

एंटी रोमियो स्क्वाड के पीछे का विचार यह है कि पीछा करने वालो तथा छेड़छाड़ करने वालो पे पैनी नजर रख के सार्वजनिक व निजी स्थानों में औरतों की सुरक्षा को बढ़ाना. उत्तरप्रदेश सरकार के इस कदम की समाज के कुछ धड़ो द्वारा आलोचना भी की गई है.
    
एंटी रोमियो स्क्वाड के कार्यपद्धति से सम्बंधित  मुख्य मामले

1. परिचालन हेतु दिशा निर्देशो की कमी  

यह तर्क दिया जा चुका है कि एंटी रोमिओ स्क्वाड के परिचालन हेतु रोमिओ शब्द की परिभाषा उचित रूप से नही दी गई है. इसीलिए एंटी रोमियो स्क्वाड अपने अधिकारो का गलत इस्तेमाल भी कर सकती है तथा निर्दोष लोगों की धर पकड़ कर सकती है.

2.मौके पर सजा देने का मामला

पुलिस के निचले तबके के कर्मियों को मौके पर मुंडन करने, चेहरे पे कालिख पोतने, ऊठक-बैठक करवाने ,मुर्गा बनाने तथा इन घटनाओं को सोशल मीडिया पर डालने जैसे घटनाओं ने , एंटी रोमियो स्क्वाड की वैधता पर सवाल उठाये हैं.

3. मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन 

यह एंटी रोमियो स्क्वाड की सबसे बड़ी आलोचना है. इस विचार के आलोचकों का यह मानना है कि यह स्क्वाड यह युवा लोगों की स्वंत्रता के अधिकार का हनन है जिसकी भारत का संविधान गारंटी देता है.

4. रोमिओ शब्द ही क्यों ?

कुछ आलोचकों का यह भी मानना है कि रोमियो शब्द का इस्तेमाल अपने आप में ही विवादस्पद है. रोमियो शेख्स्पीयर के उपन्यास रोमियो और जुलिअट का एक रूमानी चरित्र है जबकि महिलाओं का पीछा करने वाले पुरुष मनोरोगी होते हैं.

एंटी रोमियो स्क्वाड: समय की मांग

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि हर एक छेड़खानी करने वाले में एक संभावित बलात्कारी होता है. इसीलिए छेड़खानी करने वाले युवको के खिलाप सख्त कदम उठाने की जरूरत है ताकि भविष्य में अन्य संगीन घटनाओं से बचा जा सके.
हाल ही के कुछ सालो में, सार्वजनिक स्थानों में महिलाओं के साथ छेड़खानी तथा उत्पीड़न की की घटनाएं बढी हैं.इससे महिलाओं के विद्यालयों तथा कॉलेज छोड़ने की दर काफी बढ़ गई है. उदाहरण के लिए बरेली के मीरगंज तहसील में  एक 10 वर्ष की बच्ची के साथ सेक्सुअल उत्पीडन की घटना ने 60 बालिकाओं को विद्यालय छोड़ने पर मजबूर कर दिया.

एंटी रोमियो स्क्वाड: एक शंका

पुलिस के द्वारा छेड़खानी करने वालो की खुली निगरानी करने को एक वैध कार्य कहा जा रहा है. निम्नलिखित कुछ उदाहरण ऐसे स्क्वाड की कार्यशैली को लेके कुछ शंकाएं व्यक्त करते हैं:

1. असामाजिक तत्वों की बढ़ती उपस्थिति

यह आरोप लगाया गया है कि एंटी रोमियो स्क्वाड की आड़ में असामाजिक तत्व भी क़ानून को अपने हाथो में ले रहे हैं.

2. युवा लोगो के लिए सिकुड़ते स्थान
वित्तीय सशक्तीकरण तथा उदार मूल्यों के चलते आजकल के युवा गैर रूढीवादी तरीकों से अपने लिए जीवन साथी चुन रहे हैं. युवा पीढी के इस विकास की वजह से थोडा आत्मीयता का खुले में प्रदर्शन जैसी घटनाएं भी सामने आ रही हैं जो इन स्क्वाड्स के द्वारा इन युवक युवतियों को भी रोमियो स्क्वाड द्वारा परेशान किये जाने की घटनाएं सामने आ रही हैं.

3. पुलिस राज्य का बनना

कुछ आलोचकों का कहना है कि एंटी रोमियो स्क्वाड के गठन के पीछे के कारण पूर्णतया नैतिक हैं. ऐसे स्क्वाड के गठन के बाद वैध और नैतिक चीजो में बीच के अंतर को बनाए रखना मुश्किल हो गया है. तो भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में पुलिस राज्य का बनना एक लोकतंत्र के लहजे से उचित साबित नहीं होता है.
अन्य राज्यों में ऐसी कुछ कार्य

1. तमिलनाडु सरकार महिलाओं उत्पीडन रोकथाम अधिनयम 1998, महिलाओं के उत्पीडन पर रोकथाम लगानेके लिए बनाया था. इस अधिनियम के तहत छेड़खानी करने वालो को कड़ी से कड़ी सजा दी जाती थी.
2. 2013 में गोवा की विधान सभा छेड़खानी तथा उत्पीडन रकने के लिए लोक सेवाओं का समयबद्ध प्रतिपादन हेतु एक अधिनियम पास किया था.
3. अक्टूबर 2014 में तेलंगाना सरकार ने SHE टीमों की स्थापना की ताकि छेड़खानी तथा उत्पीडन के मसले कम किये जा सकें. एंटी रोमियो स्क्वाड की तरह SHE टीमें भी सिविल पोशाको में रहेंगी.

आगे का रास्ता क्या है ?


एंटी रोमियो स्क्वाड के तरह की पहलें उत्तर प्रदेश में नयी नहीं हैं. 2005 में उत्तर प्रदेश सरकार ने “ऑपरेशन मजनूँ” के नाम से छेड़खानी रोकने हेतु एक पहल शुरू की थी. बात में यह ऑपरेशन विफल हो गया तथा इसको छोड़ दिया गया. एंटी रोमियो स्क्वाड की सफलता हेतु निम्नलिखित बिन्दुओ को ध्यान में रखना जरूरी है :
क़ानून तथा नियमों में रोमियो शब्द की एक स्पष्ट परिभाषा हो.
पुलिस को उत्पीडन तथा छेड़खानी जैसे मुद्दों को सुलझाने के लिए उपयुक्त ट्रेनिंग दी जाये.
स्क्वाड्स के कार्यो की पारदर्शिता हेतु तकनीकी का इस्तेमाल किया जाये.
मुख्यमंत्री के दफ्तर में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाये जो इन स्क्वाड्स के कार्यकलापो पर नजर रखेगी. इससे जनता के मन में इन स्क्वाड्स को लेके विश्वास जागेगा.

उपसंहार

दशकों पहले , भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा “ जिस दिन महिलायें रात में सड़क पर बिना किसी दर के चलने लगेंगी.उस दिन हम कह सकते हैं की भारत ने आजादी प्राप्त कर ली है.” दुर्भाग्यवश आजादी के सात दशक बाद भी हमारा समाज महिलाओं को निजी, डिजिटल तथा सार्वजानिक स्थानों में वो स्वतंत्रता देने में नाकामियाब रहा है. इस समस्या को सुलझाने हेतु सरकार को कोई गंभीर पहल करने की जरूरत है ताकि भारत की सड़के लडकियों और महिलाओं के लिए सुरक्षित हो सकें.

यूपीएससी, एसएससी, बैंकिंग, रेलवे, डिफेन्स और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए नवीनतम दैनिक, साप्ताहिक और मासिक करेंट अफेयर्स और अपडेटेड जीके हिंदी में यहां देख और पढ़ सकते है! जागरण जोश करेंट अफेयर्स ऐप डाउनलोड करें!

एग्जाम की तैयारी के लिए ऐप पर वीकली टेस्ट लें और दूसरों के साथ प्रतिस्पर्धा करें। डाउनलोड करें करेंट अफेयर्स ऐप

AndroidIOS

Trending

Latest Education News