राजस्थान विधानसभा में ध्वनिमत से राजस्थान विनियोग अधिनियम (निरसन विधेयक) 2017 पारित किया गया. प्रदेश के उद्योग मंत्री राजपाल सिंह शेखावत ने विधेयक को सदन में पटल पर रखा.
उद्देश्य एवं कारण-
- प्रदेश के उद्योग मंत्री राजपाल सिंह शेखावत के अनुसार प्रदेश में वर्तमान में वर्ष 1950 से लेकर वर्ष 2012 तक की कालावधि के दौरान अधिनियमित किए गए 235 विनियोग अधिनियमों की पहचान ऐसी विधियों के रूप में की गई जो वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अप्रचलित हैं.
- ऐसे दो सौ पैतीस विनियोगों और अधिनियम सूचीबद्ध हैं.
- ऐसे विधेयकों को लाए जाने का प्रयोजन भी पूर्ण कर लिया है.
- ऐसे गतकालिक और प्रभावहीन विनियोगों और अधिनियमों को समाप्त करने हेतु यह विधेयक लाया गया.
- अधिनियम के जरिए समाप्त किए जाने वाले कानूनों में अधिकतर ऐसे कानून शामिल है, जिनके प्रचलन से कार्य प्रणाली में अनेक प्रकार की प्रक्रिया अपनाना होती है, जबकि उसकी कोई आवश्यकता ही नहीं होती.
- इनमे सर्वाधिक विनियोग वर्ष 2002 की अवधि के बाद के है.
- इस अधिनियम के समाप्त किए जाने से प्रशासनिक ढांचे पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
- विधिक प्रणाली को और अधिक सुगम बनाने और इसमें सुधार करने के उद्देश्य से यह विधेयक लाया गया.
विधेयक के बारे में-
- विधेयक एक प्रारूप संविधि है जिसे संसद की दोनों सभाओं द्वारा पारित किए जाने तथा राष्ट्रपति द्वारा सहमति प्रदान किए जाने के पश्चात् यह कानून बन जाता है. सभी विधायी प्रस्ताव विधेयक के रूप में संसद के समक्ष प्रस्तुत किए जाते हैं.
- बिल या विधेयक एक प्रस्ताव होता है जिसे विधि का स्वरूप प्रदान किया जाता है.
- भारत में विधेयकों को दो श्रेणियाँ में बांटा गया है. सार्वजनिक श्रेणी तथा असार्वजनिक विधेयक श्रेणी
- इसके अतिरिक्त यदि कोई विधेयक सरकार द्वारा प्रेषित किया जाता है तो उसे सरकारी विधेयक कहा जाता है.
- सरकारी विधेयक भी दो प्रकार के होते हैं. सामान्य सार्वजनिक विधेयक तथा धन विधेयक.
- जब संसद का कोई साधारण सदस्य सार्वजनिक विधेयक प्रस्तुत करता है तब इसे प्राइवट सदस्य का सार्वजनिक विधेयक कहा जाता है.
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