केंद्र सरकार ने पूरे असम राज्य को सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) के तहत और एक महीने के लिए अशांत क्षेत्र घोषित कर दिया. राज्य की इस अशांति के लिए उल्फा (युनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम), एनडीएफबी (नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड) और अन्य विद्रोही गुटों की हिंसक गतिविधियों का हवाला दिया गया.
इस अधिसूचना के तहत अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग और लांगडिंग जिलों के अलावा राज्य के नौ अन्य जिलों के 14 पुलिस थानों को अशांत क्षेत्र घोषित करते हुये इनमें चार अगस्त से 30 सितंबर तक अफस्पा लागू किया गया है. इन तीनों जिलों में जनवरी 2016 से अफस्पा लागू है. असम में नवबंर 1990 से अफस्पा लागू है.
सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफस्पा)
• अफ्सपा कानून के तहत सेना के जवानों को किसी भी व्यक्ति की तलाशी केवल संदेह के आधार पर लेने का अधिकार प्राप्ता है.
• गिरफ्तारी के दौरान सेना के जवान उस व्यक्ति के घर में घुस कर संदेह के आधार पर तलाशी ले सकते हैं.
• सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफ्सपा) के तहत सेना के जवानों को कानून तोड़ने वाले व्यक्ति पर फायरिंग का भी पूरा अधिकार प्राप्तत है.
• संविधान लागू किये जाने के बाद से ही भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में बढ़ रहे अलगाववाद, हिंसा और विदेशी आक्रमणों से प्रतिरक्षा के लिए मणिपुर और असम में वर्ष 1958 में अफस्पा लागू किया गया था.
• मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि इस क़ानून से प्रभावित क्षेत्रों के नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन होता है.
• इस कानून का विरोध करने वालों में मणिपुर की कार्यकर्ता इरोम शर्मिला का नाम प्रमुख है, जो इस कानून के खिलाफ 16 वर्षों से उपवास पर थी.
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