प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के वाराणसी का दौरा किया है, जिसका उद्घाटन "स्वास्थ्य अवसंरचना ढांचे को बढ़ाने के लिए भारत की सबसे बड़ी योजना" के रूप में किया गया है. इस आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन का उद्देश्य शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में एक मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य अवसंरचना ढांचा सुनिश्चित करना है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थितियों या बीमारी के प्रकोप का जवाब देने में सक्षम हो.
आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी
सभी लोगों तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाने के लिए, यह आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना (हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर) मिशन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अलावा, 10 'उच्च फोकस' वाले राज्यों में 17,788 ग्रामीण स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों को सहायता प्रदान करेगा और देश भर में 11,024 शहरी स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र स्थापित करेगा.
प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी की गई एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, इस मिशन का उद्देश्य "सार्वजनिक स्वास्थ्य अवसंरचना ढांचे में, विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण देखभाल सुविधाओं और शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक देखभाल में, महत्त्वपूर्ण अंतराल को भरना है."
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प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के अनुसार, यह 'एक्सक्लूसिव क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल ब्लॉक्स' के माध्यम से पांच लाख से अधिक आबादी वाले देश के सभी जिलों में क्रिटिकल केयर सेवाओं तक सामान्य जनता की पहुंच सुनिश्चित करेगा और फिर, अन्य सभी शेष जिलों को रेफरल सेवाओं के माध्यम से कवर किया जाएगा. सभी जिलों में एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाएं भी स्थापित की जाएंगी, जिससे लोगों को "डायग्नोस्टिक सेवाओं की एक पूरी श्रृंखला" तक पहुंच प्राप्त होगी.
रोग की निगरानी और निदान पर बढ़ा फोकस
इस आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन का उद्देश्य ब्लॉक, जिला, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर निगरानी प्रयोगशालाओं के नेटवर्क के माध्यम से एक IT-सक्षम रोग निगरानी प्रणाली स्थापित करना है.
PMO ने आगे यह भी कहा कि, इन सभी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं को एकीकृत स्वास्थ्य सूचना पोर्टल के माध्यम से जोड़ा जाएगा, जिसका विस्तार सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किया जाएगा.
यह आयुष्मान भारत योजना इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?
भारत को लंबे समय से एक सर्वव्यापी स्वास्थ्य प्रणाली की आवश्यकता है. वर्ष, 2019 में लोकनीति-CSDS द्वारा किए गए एक अध्ययन ('दक्षिण एशिया में लोकतंत्र की स्थिति (SDSA)-राउंड 3') ने इस बात पर प्रकाश डाला कि, हाशिए पर रहने वाले लोगों के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच कैसे उनकी पहुंच से दूर ही रही. इस अध्ययन में यह पाया गया कि, 70 प्रतिशत स्थानों में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं हैं. तथापि, शहरी क्षेत्रों (87 प्रतिशत) की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों (65 प्रतिशत) में इन सेवाओं की उपलब्धता कम थी.
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इस सर्वेक्षण में शामिल 45 प्रतिशत स्थानों में, लोग पैदल चलकर स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सकते थे, जबकि 43 प्रतिशत स्थानों में उन्हें परिवहन का उपयोग करने की आवश्यकता थी. इस सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि, भारत के शहरी इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की निकटता अधिक है क्योंकि शहरी क्षेत्रों में 64 प्रतिशत प्रगणकों के माध्यम से यह देखा गया कि यहां लोग पैदल चलकर स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सकते हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 37 प्रतिशत ही ऐसा कर सकते हैं.
प्रधानमंत्री ने हाल ही में एक अन्य योजना, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM), एक प्रमुख डिजिटल योजना शुरू की थी.
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